shabd-logo

मानव सेवा ही भगवन का सच्चा भक्ति है.

26 फरवरी 2016

119 बार देखा गया 119

कशी विश्वनाथ मंदिर में भगवन शिव की कृपा से अचानक एक दिन एक दिव्य थाल प्रकट हुआ . 

उस रात्रि भगवन ने पुजारी के स्वपन में आकर उनसे कहा -" यह दिव्य थाल शिवरात्री के दिन 

मेरे विग्रह के सामने रख देना. मेरा सच्चा भक्त उस दिन आएगा और यह दिव्या थाल उसके 

हाथ में चला जायेगा ." इस घटना की खबर चारो ओरफाइल गई .

                     शिव रात्री के दिन कशी नरेश भी इस दिव्या घटना का साक्छी बनाने के उद्देश्य 

से वह आकर बैठ गए. सुबह से दोपहर तक अनेको दर्शनार्थी आये , पर थाल अपनी जगह से 

नहीं ह्ि्ल्ा्. दोपहर बाद एक ग्रामीण आ्य्ा् और उसने देखा क्ि्मन्दिर् के द्वार पर बैठा एक काेढी 

रो रहा है. उसने उससे कहा - "भैया चलो तुम्हे घर ले चलता हु , तुम्हारी सेवा करूँगा . भगवन क्््््््े््््््् 

दर्शन् किसी और दिन हो जायेंगे ." उसके इतना कहते ही वह क्ा्े्ढ्ी् दिब्य पुरुष में बदल गया 

और वह थाल सवतह  उसके हाथ में पहुंच गया . सम्स्स्त् कशी वशियो को पता चल गया की 

मानवता की सेवक ही भगवन का सच्चा भक्त होता है .


























प्रमोद शर्मा की अन्य किताबें

1

मानव सेवा ही भगवन का सच्चा भक्ति है.

26 फरवरी 2016
0
1
0

कशी विश्वनाथ मंदिर में भगवन शिव की कृपा से अचानक एक दिन एक दिव्य थाल प्रकट हुआ . उस रात्रि भगवन ने पुजारी के स्वपन में आकर उनसे कहा -" यह दिव्य थाल शिवरात्री के दिन मेरे विग्रह के सामने रख देना. मेरा सच्चा भक्त उस दिन आएगा और यह दिव्या थाल उसके हाथ में चला जायेगा ." इस घटना की खबर चारो ओरफाइल गई . 

2

अपने जीवन में अवसर का सदुपयोग बहुत जरुरी है.

27 फरवरी 2016
0
3
0

एक महात्मा जी ने एक निर्धन व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर उसे एक पारस पत्थर दिया और बोले -" इससे चाहे जितना लोहा, सोना बना लेना . मैं सप्ताह भर बाद लौट कर  वापस ले लूंगा . " वह व्यक्ति बहुत खुस हुआ .उसने बाजार जाकर लोहे का भाव पूछा तो पता चला की लोहा सौ रुपये कुंतल बिक रहा है . उस व्यक्ति ने पूछा क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए