मंच मित्रों को निवेदित पद....... जय माँ शारदा!
"पद"
मनवा अजहु न मानत साथी
तगड़ा पैकल ले के भागत, जस बौरानी हाथी।
सात समंदर छन में पारे, छन में लहर थिराती।।
तोता उल्लू या मनु काया, मन पर बंधे न टाटी।
छन में जाय मेनका के घर, छन में गिध संपाती।।
छन मंदिर जा घंट बजावे, छन प्रिय बाचत पाती।
पाई पाई खर्च खजाना, भै, पुनि ढूँढत थाती।।
ज्ञान गरूर करो जनि 'गौतम', घर घर पोता नाती।
उमर उमर पर करे सवारी, जी जीवन खैराती।।
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी