"कुंडलिया"
लिक्खा है वो वांच मत, सोच समझ कर बोल।
बहुत पुरानी बात है, दुनियाँ है ही गोल।।
दुनियाँ है ही गोल, तोल की दशा निराली।
कब मुँह का आशीष, समझ ले मजमा गाली।।
'गौतम' घिरी जमीन, पचा ले मिरचा तिक्खा।
मत कर साँची बात, किताबों में जो लिक्खा।।
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी