"कुंडलिया"
पैसठ दिन औ तिन सौ, एक वर्ष का माप।
प्रतिपल अपने पुत्र को, प्रेम पिलाता बाप।।
प्रेम पिलाता बाप, मार कर इच्छा सारी।
सब कुछ लेकर यार, चला मत मीठी आरी।।
इक दिन में मत बांध, पिता को 'गौतम' छाछठ।
तू भी तो है बाप, देख ली चौंसठ पैंसठ।।
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी