*सपना*
(मां के लिए)
बचपन की कहानियां सुनी थी
रात को गहरी निंदिया रानी आनी है
सुबह सवेरे देखे सपने को सच कर जानी है
वो बचपन था अब होश संभाला है
अब तो जैसे वो मुझ में जी रही हो
मेरे से जादा सपने सच करने की लालसा उसे लगी हो
अब तो मेरे सपने मेरी मां पूरा करती है
हर मुमकिन कोशिश करती है
बिना नींद में देखे मेरे सपनों को भाप लेती है
पूरा करते करते उसके सपने अधूरे रह गए है
मुझे भी उसके जैसे बनना है
अपनी हर शक्ति लगा कर उसके सपने पूरे करना है
वो आंखे बंद करे और सपने में देखू
वो उड़ना चाहे और उसके पंख में सजाऊ
अब वो घर बैठे और में उसे खिलायू
उसके सपने टूटने नहीं दुगी
दिन रात महेनात करके
उसकी आशाओं को हासिल कर लूगी
उसकी बिखरी ज़िन्दगी के सिरे को एकत्र करके जोड़ना है,
उसके सूखे पत्ते को फिर से हरा भरा बनाना है
मुझे मेरी मां के हर सपने को सच कर जाना है