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मां

8 दिसम्बर 2024

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रचनाएँ
बशीरा बस कंडक्टर
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मेरी पुस्तक का नाम "बशीरा" है। मैंने अपनी इस पुस्तक में बशीरा नाम के एक व्यक्ति के बारे में लिखा है। बशीरे के जरिए मैंने यह समझाने की कोशिश की है कि जो लोग खुद को बदकिस्मत समझते हैं और भगवान को कोसते हैं कि हमें हीं भगवान ने इतने दुख दिए, उन्हें यह समझाने की कोशिश की गई है कि वे लोग अपने घर से बाहर निकलकर और लोगों से मिल-जुलकर तब पता चलेगा कि इस संसार में अकेला मैं ही दुखी नहीं हूं। और भी बहुत से लोग हैं जो इस संसार में दुखी हैं। इस पर कबीर दास जी का दोहा भी है: "दूसरों के घरों में झांक कर देखा, तो वहीं आग उस घर में जल रही थी, जो आग मेरे घर में जल रही थी।"
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बशीरा

13 मई 2023
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यह कहानी एक अनाथ बच्चे की है, जिसका नाम बशीरा है। उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। तब वह सिर्फ तेरह वर्ष का था जब उसके माता-पिता की भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। बशीरा बहुत दुखी हुआ। उसका तो मा

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मेरा लेखिका बनने का सफर

17 मई 2023
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मेरा नाम रजनी कौर है। मेरे पिता का नाम मंदा सिंह और माता का नाम शिंदो कौर है। मेरे चार भाई-बहन हैं, और मैं अपने भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर हूं। मेरा जन्म 2 अगस्त 2004 को श्री मुक्तसर साहिब जिले में

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परमात्मा की प्राप्ति

13 मई 2023
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घर - बार त्याग कर, जंगलों में भटकते फिरते हैं। जंगलों में कूद-मूल खाकर गुजारा करते फिरते हैं। कानों में मुद्रियां पाए और शरीर पर सवाह मली फिरते हैं। जो, ऐसे भगवान की प्राप्ति में फिरते हैं, जो अपने आप

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मां

8 दिसम्बर 2024
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हमें मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है कई हथियारों का, लेकिन हमें इस दुनिया में लाने वाली है सिर्फ मां। खुद दुखों को झेलकर हमें खुश रखने की कोशिश करती है, हमारी आंखों से आंसू भी नहीं आने देती,

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अनोखा रिश्ता

25 मई 2023
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वैसे तो मानव जीवन में मानव रिश्तों को ही सबसे ऊपर और अहम समझा जाता है। लेकिन मेरा मानना है कि हमारी जिंदगी में अगर जानवरों को भी अहमियत दी जाए, तो वे इंसान के साथ एक अलग और अनोखा रिश्ता कायम करते हैं,

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