shabd-logo

common.aboutWriter

हम अपने जीवन में अनेक लोगो से मिलते हैं, कुछ समय साथ रहते हैं और एक दिन बिछुड जाते हैं ।कुछ हमे भूल जाते है और किसी को हम भूला देते है,पर कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अपनी यादों की अमिट छापहमारे दिल मे छोड जाते हैं।ऐसे ही यादो के सिलसिले मैं आपके सामने लेकर उपस्थित हो रही हूँ।सिर्फ आपके लिए ़़़़़,हम अपने जीवन में अनेक लोगो से मिलते हैं, कुछ समय साथ रहते हैं और एक दिन बिछुड जाते हैं ।कुछ हमे भूल जाते है और किसी को हम भूला देते है,पर कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो अपनी यादों की अमिट छापहमारे दिल मे छोड जाते हैं।ऐसे ही यादो के सिलसिले मैं आपके सामने लेकर उपस्थित हो रही हूँ।सिर्फ आपके लिए ़़़़़

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

common.kelekh

पगलिया

28 जुलाई 2018
2
2

चार बजने वाले थे। मुझे पूजा के लिए मन्दिर जाना था इसलिए मैं पूजा की थाली सजा रही थी। दोनो बच्चे अपना होमवर्क करने में व्यस्त थे।छोटे-छोटे बच्चो के इतने भारी -भारी बस्ते ,इन

हे जन्म भूमि ! माते धरती

28 जुलाई 2018
3
2

इसी धरा , इसी जमीं पर जीवन मुझे हर बार मिलेहे जन्म भूमि ! माते धरतीहर जन्म में तेरा प्यार मिले।। कितनी प्यारी ये धरती हैंकितनी हैं इसकी सुन्दरताइसकी माटी की सौंधी महकतन मन को कर देती ताजाकितनी शक्ती हैं तुझमें माँहम सब के बोझ को है झेलेहे जन्म भूमि

दोहरे मापदण्ड

20 जुलाई 2018
3
2

शुभा सुबह से ही जल्दी -जल्दी अपने काम को निपटाने में लगी हुई थी। वैसे तो ये रोज के ही काम थे,पर आज उन्हे निपटाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी।सुबह की चाय से लेकर झाडू-पोछा फिर नाश्ता और उसके बाद खाने की तैयारी बस ये ही तो दिनचर्या थी उसकी । हर लडकी को अपने ससुराल में

आशा कल की

20 जुलाई 2018
4
2

जीवन में घोर निराशा हो काले बादल जब मँडरायेंथक हार के जब हम बैठ गयेंकोई मन्जिल ना मिल पायेतब आती धीरे से चलतीछोटी -छोटी , हल्की-हल्की मैं आशा हुँ , तेरे कल की।। रात्री का विकट अंधेरा हो कुछ भी नजर ना

नयी सदी का गान

19 जुलाई 2018
2
1

बीत गयी जो बातें बीती बीत ही उसको जाने दोनयी सदी के नूतन कल के गीत नये गुनगुनाने दो। नये प्रकाश का नया उजाला नयी हमारी आशाएँ भरना हैं हमे सब मुट्ठी मेंकुछ भी बाकी न रह पाये।तस्वीर नयी सुनहरे पल की पहचान नयी बनाने

सन्तु जीजी -२

14 जुलाई 2018
2
3

कल की सोलह साल की दुल्हन आज बीस बरस की विधवा हो चुकी थी ।एक औरत का विधवा होना ही एक बहुत बडा अभिशाप माना जाता हैं और पश्चिमी राजस्थान में त

एक भ्रूण की पुकार

13 जुलाई 2018
1
0

🎎 जीने दो मुझको जीवन ये आने दो मुझको दुनियाँ में सुन्दर हैं धरा, आकाश फिजा भरने दो इसमे रंग मेरे 🎎 🎎 हम नन्ही- नन्ही कलियों को खिलने से पहले ना नष्ट करो नष्ट कर दिया तो फिर क्यों आशा फूलो की करते हो 🎎 🎎 इस सात रंग की

सन्तु जीजी

11 जुलाई 2018
3
1

पापा की सरकारी नोकरी के कारण पापा का दो- चार साल में तबादला होता रहता था इसलिए हमें भी उनके साथ नयी - नयी जगहो पर जाना पडता था।इस बार हम सन्तु जीजी के मोहल्ले में थे ।एक आवाज घर केपीछे वाले घर में बार- बार गुँजती थी 'सन

मन्जुला

6 जुलाई 2018
1
0

बारिश की पहली फुहार के साथ ही अपने बचपन की खट्टी-मिठी यादे ताजा हो गई। बचपन के वो झूले, वोनीम का पेड ,वो जानी -पहचानी गलियाँ और वो गुड्डे- गुडियो का खेल।मेरे लिए मानो ये कल की ही बात हो।इतनी ज

कुमुद -एक अधूरी कहानी

3 जुलाई 2018
2
0

मेरी बहुत ही अच्छी सहेली थी कुमुद। हम दोनो नवीं कक्षा में साथ ही पढा करती थी। वो एक पास के गाँव से पढने के लिएआया करती थी। हँसती, खेलती एक जिन्दादिल लडकी थी कुमुद।डर और झिझक तो उसमे थी ही नही।

---

किताब पढ़िए