shabd-logo

हे जन्म भूमि ! माते धरती

28 जुलाई 2018

843 बार देखा गया 843
featured image

इसी धरा , इसी जमीं पर

जीवन मुझे हर बार मिले

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले।।


कितनी प्यारी ये धरती हैं

कितनी हैं इसकी सुन्दरता

इसकी माटी की सौंधी महक

तन मन को कर देती ताजा


कितनी शक्ती हैं तुझमें माँ

हम सब के बोझ को है झेले

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले ।।


तेरे आँगन में खेले हम

आँचल में तेरे ही हम हैं पले

तेरे कंधो पर चढकर ही

देखे हैं दुनियाँ के मेले


हर जीव को हर प्राणी को

तेरी ही गोद में शरण मिले

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले ।।


कितना तुझमें हैं त्याग भरा

कितना तुझमें बलिदान है

अपना कण- कण हमे सौप दिया

क्या इसका भी तुम्हे भान है


कितनी हैं तू सहनशील माँ

ये देख के आँसू बह निकले

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले ।।


धन्य हुए तुझको पाकर

तेरी गोदी में खेल कर

बन सके अगर तेरे जैसे

एहसान होगा ये जीवन पर


जिन्दा रहूँ तो इसी जमीं पर

इसी जमीं पर दम निकले

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले।।


आज माँ चित्कार रही

अपने बच्चो को पुकार रही

बंजर-बंजर हो जाँऊ न मैं

संकट में हुँ बचालो तुम्ही


कर पायें नही कुछ माँ के लिए

तो हमको भी धिक्कार रहे

हे जन्म भूमि ! माते धरती

हर जन्म में तेरा प्यार मिले।।

मंजु तंवर की अन्य किताबें

मयंक बाजपेई

मयंक बाजपेई

बहुत अच्छी कविता है !!

30 जुलाई 2018

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

काफी अच्छा प्रयत्न है |

28 जुलाई 2018

1

कुमुद -एक अधूरी कहानी

3 जुलाई 2018
0
2
0

मेरी बहुत ही अच्छी सहेली थी कुमुद। हम दोनो नवीं कक्षा में साथ ही पढा करती थी। वो एक पास के गाँव से पढने के लिएआया करती थी। हँसती, खेलती एक जिन्दादिल लडकी थी कुमुद।डर और झिझक तो उसमे थी ही नही।

2

मन्जुला

6 जुलाई 2018
0
1
0

बारिश की पहली फुहार के साथ ही अपने बचपन की खट्टी-मिठी यादे ताजा हो गई। बचपन के वो झूले, वोनीम का पेड ,वो जानी -पहचानी गलियाँ और वो गुड्डे- गुडियो का खेल।मेरे लिए मानो ये कल की ही बात हो।इतनी ज

3

सन्तु जीजी

11 जुलाई 2018
0
3
1

पापा की सरकारी नोकरी के कारण पापा का दो- चार साल में तबादला होता रहता था इसलिए हमें भी उनके साथ नयी - नयी जगहो पर जाना पडता था।इस बार हम सन्तु जीजी के मोहल्ले में थे ।एक आवाज घर केपीछे वाले घर में बार- बार गुँजती थी 'सन

4

एक भ्रूण की पुकार

13 जुलाई 2018
0
1
0

🎎 जीने दो मुझको जीवन ये आने दो मुझको दुनियाँ में सुन्दर हैं धरा, आकाश फिजा भरने दो इसमे रंग मेरे 🎎 🎎 हम नन्ही- नन्ही कलियों को खिलने से पहले ना नष्ट करो नष्ट कर दिया तो फिर क्यों आशा फूलो की करते हो 🎎 🎎 इस सात रंग की

5

सन्तु जीजी -२

14 जुलाई 2018
0
2
3

कल की सोलह साल की दुल्हन आज बीस बरस की विधवा हो चुकी थी ।एक औरत का विधवा होना ही एक बहुत बडा अभिशाप माना जाता हैं और पश्चिमी राजस्थान में त

6

नयी सदी का गान

19 जुलाई 2018
0
2
1

बीत गयी जो बातें बीती बीत ही उसको जाने दोनयी सदी के नूतन कल के गीत नये गुनगुनाने दो। नये प्रकाश का नया उजाला नयी हमारी आशाएँ भरना हैं हमे सब मुट्ठी मेंकुछ भी बाकी न रह पाये।तस्वीर नयी सुनहरे पल की पहचान नयी बनाने

7

आशा कल की

20 जुलाई 2018
0
4
2

जीवन में घोर निराशा हो काले बादल जब मँडरायेंथक हार के जब हम बैठ गयेंकोई मन्जिल ना मिल पायेतब आती धीरे से चलतीछोटी -छोटी , हल्की-हल्की मैं आशा हुँ , तेरे कल की।। रात्री का विकट अंधेरा हो कुछ भी नजर ना

8

दोहरे मापदण्ड

20 जुलाई 2018
0
3
2

शुभा सुबह से ही जल्दी -जल्दी अपने काम को निपटाने में लगी हुई थी। वैसे तो ये रोज के ही काम थे,पर आज उन्हे निपटाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी।सुबह की चाय से लेकर झाडू-पोछा फिर नाश्ता और उसके बाद खाने की तैयारी बस ये ही तो दिनचर्या थी उसकी । हर लडकी को अपने ससुराल में

9

हे जन्म भूमि ! माते धरती

28 जुलाई 2018
0
3
2

इसी धरा , इसी जमीं पर जीवन मुझे हर बार मिलेहे जन्म भूमि ! माते धरतीहर जन्म में तेरा प्यार मिले।। कितनी प्यारी ये धरती हैंकितनी हैं इसकी सुन्दरताइसकी माटी की सौंधी महकतन मन को कर देती ताजाकितनी शक्ती हैं तुझमें माँहम सब के बोझ को है झेलेहे जन्म भूमि

10

पगलिया

28 जुलाई 2018
0
2
2

चार बजने वाले थे। मुझे पूजा के लिए मन्दिर जाना था इसलिए मैं पूजा की थाली सजा रही थी। दोनो बच्चे अपना होमवर्क करने में व्यस्त थे।छोटे-छोटे बच्चो के इतने भारी -भारी बस्ते ,इन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए