साया
हर तरफ धुंध है,कोहरा सा छाया,या मन का भरम है,वो धुंधला सा साया ।यादों की टीस से,ऐंठता है बदन,जब भी आता है,ठंडी हवा का झोंका ।मुद्दतें गुज़रीं,मुलाक़ात हुए,हमसाया थे जो,हमसफ़र ना हुए ।अब तो तन्हाई है,मालिक मेरी,जब से मेरी रूह के,वो रहबर ना हुए ।हर तरफ धुंध है,कोहरा सा छाया,या मन का भरम है,वो धुंधला स