" *हम सभी क्षमा प्रार्थी हैं कैसे"* *मेरा प्रयास और भावार्थ* मेरी यह कोशिश रहती है कि ऐसे ही विषयों पर कुछ लिखा जाए जो मनुष्य के सामान्य मनोविज्ञान की कसौटी पर खरे उतरते हों। मेरी यह भ
जीवन और मरण जीवन का सबसे बड़ा सत्य है. जो दुनिया में आता है, उसे एक न एक दिन जाना ही होता है. हम में से कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में अपनों को दुनिया छोड़ कर जाते देखा होगा. ऐसे में कुछ वाकये इस तरह के भी हो जाते हैं, जब लोगों को उनके मरे हुए नज़दीकी व्यक्ति सपने में नज़र आ जाते हैं. इस दौ
आइये मिलते है नेहा से एक २० वर्षीय युवती है जिसे सेल्फ़ी लेने की आदत सी है वह जहां जाती है वहाँ अपनी 4-5 सेल्फ़ी लेती है, और फिर उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारो के बीच दिखाती (शेयर करती) है। दोस्तों नेहा सिर्फ एक उदहारण है कि आज के युवाओं में सेल्फ़ी का कितना क्रेज है,हर सेकंड अकेले फेसबुक पर दस
(यह लेख सुप्रसिद्ध साइकेट्रिस्ट (मनोरोग-विशेषज्ञ) डॉक्टर सुशील सोमपुर के द्वारा लिखे लेख का हिंदी रूपांतरण है।) जो व्यक्ति अवसाद की स्थिति से गुजर रहा होता है, उसके लिए ये कोई पाप की सजा या किसी पिछले जन्म के अपराध की सजा के जैसी लगती है, और जिन लोगों का उपचार किया गया और वे बेहतर हो गए उन्हें ये क
प्रेमचन्द हिन्दी के प्रथम मौलिक उपन्यासकार हैं। उन्होंने एक क्रमबद्ध एवं संगठित कथा देने का महत्त्वपूर्ण प्रयास किया है। उन्होंने हिन्दी के पाठकों की अभिरुचि को तिलिस्मी उपन्यासों की गर्त से निकालकर शुद्ध साहित्यिक नींव पर स्थिर किया। उनकी कला, उनका आदर्शवाद, उनकी कल्पना और सौन्दर्यानुभूति
वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोज निकालने का दावा किया है जिसका वर्णन रामायणमें पाताललोक के रूप में है। हनुमानजी ने यहीं से भगवान राम व लक्ष्मण कोपातालपुरी के राजा अहिरावण के चंगुल से मुक्त कराया था। यह स्थान मध्य अमेरिकीमहाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। अमेरिकी वैज्ञानिकोंने ल