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मनुष्य में धर्म का उदय

27 नवम्बर 2022

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हम सभी मनुष्य है और इस पृथ्वी पर निवासरत है ।हमारे अलावा करोड़ो जीव जंतु का भी वास है । इसमे सर्वाधिक बुद्धिमान मानव ही है । बुद्धि के विकास के साथ हमने विज्ञान की मदद से रहन सहन,दुख,असुरक्षा पर विजय प्राप्त की है । आदिमानव से आधुनिक मानव तक विकास ही विकास हुआ है जो कल राजा वस्त्र पोशाक पहनते थे आज के गरीब के पास उससे अच्छा वस्त्र उपलब्ध है ।अपने सुखमय के लिये कई साधन निर्माण किए प्रकृति का उपयोग भी किया।आज व्यक्ति के पास सब साधन मौजूद है जो पहले कभी हुआ नही करता था ।अपने को सुख प्रसन्न रखने के लिए जितने साधन ईजाद किये शायद किसी समय नही के बराबर था ।पहले आदमी के पास समय नही था अब सब काम उपकरण मशीन ने ले लिया है ।मनुष्य के पास अब समय ही समय है ।

कितने युध्द हो चुके है पृथ्वी पर जमीन के टुकड़ो के लिए तो ,धर्म के नाम पर तो,कभी गद्दी के लिए तो ,कभी वासना के लिए । कितने जंगल नष्ट कर चुके है वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं । क्या हम मनुष्य हो पाए है। अब भी राजनीति के दलदल में  तु तु मैं मैं कर रहे हैं ।धर्म के नाम पर कितना सम्प्रदायिक दंगे करते है । खून खराबा हो जाता है आज कल मीडिया पर ही युद्घ छिड़ जाता है । कुरान मुसलमानों का नही था,ईसूमसीह ईसाइयों का नही था ,रामायण हिन्दूओ का नही था ,बुद्ध का धम्म पद बौध्द का ना था, गुरुग्रन्थ सिक्खो का नही था। कुरान ,रामायण ,ईसू, धम्मपद ,गुरुग्रन्थ किसी जाति विशेष के लिए नहीं बनाया गया था ये तो मनुष्य जाति कल्याण के लिए बना था ।बाद में जिस वर्ग ने उसे माना मुसलमानों ने माना तो कुरान मुस्लिम समुदाय का हो गया ।हिन्दुओ ने राम को माना तो रामायण हिन्दूओ का हो गया। ईसू मसीह को मानने वाले लोग ईसाई कहलाने लगे ।गुरू नानक को पूजने वाले सिक्ख समुदाय के हो गए । अपने ईष्ट को मानते मानते दुसरे को तुच्छ या कम समझने लगे। दुसरे धर्म का समझ कर उसके गूढ रहस्य को भूल गये ।

सभी को समान रूप से तभी देखेंगे जब हमारी अन्तर धार्मिक सद्भावना सही होगी हमारे अन्दर धर्म का उदय होगा तभी व्यक्ति धार्मिक होगा। धार्मिक का अर्थ किसी धर्म से लेना देना नही है ।वो तो तुम्हारे भीतर उतरेगा सत्य का, अच्छाई का ,इमानदारी का , विनम्रता का आचरण तब तुम धार्मिक होओगे और तुम्हारा सुगंध पुलक दूसरो तक फैलेगा।तुममे कल्याण की भावना उपजेगी।एक एक व्यक्ति जब अंदर से सत्यता लिए होगा तभी सुन्दर समाज की रचना होगी। जो प्रेम सेवा कल्याण, भाईचारे पर आधारित होगा। एक दूसरे के धर्म का सम्मान करेंगे जो मनुष्य जाति का ही है जिसका बटवारा हमने कर लिया था।

            आज वर्तमान युग मीडिया का मोबालाइजेसन का है ।सभी धर्मो वर्गो के लोगो को जानना असान हो गया है ।दुरी संचार के साधनो ने मिटा दी है । आदमी अपने विवेक अपनाकर सभी लोगो को समझ रहा है ।विभिन्न धार्मिक लोगो से मेल जोल बढ़ा है एक दुसरे के त्योहारों में सम्मिलित होते है । भारत में जातिवाद की प्रथा अभी भी कायम है । लेकिन चेतना के जागृत होते ही व्यक्ति जान पाता है कि वह एक वाहन मात्र है जो कपड़े उतारने व पहनने जैसा है ।इस आधुनिक संचार युग ने निश्चिंत तौर पर लोगो के विचार और धर्म को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।मै यही चाहता हूँ कि लोगो में धार्मिक सद्भाव बढ़े । लोगो का जीवन हर्ष सुखमय बीते उमंग व उल्लास का जीवन जिये। यह तभी होगा जब हम अपनी अंदर डुबकी मारेंगे ।पाखंड को छोडेंगे ,मुखौटा निकाल फेकेंगे ।अहंकार को निकाल फेकेंगे सजग जीवन जियेंगे ।


Save tree 🌲save earth 🌏&save life❤

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