कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क' बाँटते हुए कहे जा रहा था, वैक्सीन के बाद भी सुरक्षा रखनी चाहिए... कुछ मेरे बातों को ध्यान से सुन रहे थे, तो कुछ मुफ्त में मिल रहे 'मास्क' को अपने झोलों का शृंगार बना रहे थे ! उसी भीड़ में एक युवती की ओर मैं आकर्षित हुआ ! वह युवती भारतीय लड़की-सी दिख रही थी, हालाँकि उस भीड़ में काफी लड़की थी, लेकिन उस 5'10" ऊँची-लंबी युवती में आखिर क्या थी कि मैं उनकी ओर खींचा चला जा रहा था ? अरे हाँ ! वह भी उस भीड़ में एकमात्र लड़की थी, जिसने 'मास्क' लगा रखा था, शायद इसलिए मैं उस लड़की की ओर आकर्षित हुआ ! नहीं; यह कहना शायद झूठपन हो, क्योंकि मास्क से छुपी चेहरे में मैं उसकी नशीली आंखों पर फिदा हो गया था !