टी. मनु
उपन्यासकार व सामाजिक कार्यकर्त्ता...
'मास्कवाली' लड़की !
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'
'मास्कवाली' लड़की !
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'
'मास्कवाली' लड़की...
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'
'मास्कवाली' लड़की...
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'