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मेरे जीवन की यादें

ENGINEER SHASHI KUMAR

15 अध्याय
1 लोगों ने खरीदा
1 पाठक
30 नवम्बर 2022 को पूर्ण की गई

इसके माध्यम से मैं मेरे जीवन की उन यादों का अपने शब्दों के माध्यम से रचित करना चाह रहा हूं जो मुझे मेरी जिंदगी में हल्की हल्की सी याद आती है। जब उन संस्कारों के खिलाफ कुछ भी होता है तो मुझे उन पलों की यादें आने लगती है और मैं उन समय के लोगों को याद करके सिहर उठता हूं। 

mere jivan ki yaden

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पुस्तक के भाग

1

लेखक परिचय

3 नवम्बर 2022
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लेखक परिचयलेखक शशिकुमार मूलतः गांव करई उपखंड हिण्डौन सिटी करौली राजस्थान के निवासी हैं। इनका जन्म 12 जून 1990 को हुआ था न। इनके पिताजी श्री शिवसिंह खेती का कार्य करते हैं। जिनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव

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स्कूल के वो दिन

2 नवम्बर 2022
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टूटे से खंडहर में तब्दील भवन और उसके पास में बना एक छोटी सी पटोर(राजस्थान में लाल पत्थर,जो दस से बारह फुट की साइज़ के होते हैं जिन्हें सीढ़ीनुमा तरीके रखकर बनाया जाता है) का भवन जो इस स्कूल की ऑफिस हु

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मेरे संस्कार मेरे पुरूखों की अमानत

3 नवम्बर 2022
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मुझे मेरे माता -पिता ही नहीं उनसे ज्यादा मुझे मेरे दादा-दादी प्यार करते थे। मेरे दादा और दादी कुछ दिनों से खेतों पर रहने लगे थे ।वे मुझे बहुत प्यार करते थे इसलिए खेतों पर रहते हुए हम सभी भाईयों के लिए

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अतीत के अंदाज खेलों के साथ

3 नवम्बर 2022
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वर्तमान के हर खेल में मनुष्य से ज्यादा रूपये की जरूरत है क्योंकि हर खेल को खेलने के लिए महंगी खेल-सामग्री की आवश्यकता पड़ती है।‌मेरे बचपन के खेल में एक अनुपम खुशी और प्यार का अहसास होता था उस समय आज क

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मेरे गांव के त्यौहार

4 नवम्बर 2022
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मेरे गांव और मेरा बचपन जीवन के लिए उपहार था ।मेरे बचपन का हर त्यौहार बिना सजावट के खुशियों का संसार था।वक्त की करवटें मुझे मायूस कर गई।दिखावटी दुनिया दिल में नासूर कर गई।।जोश और उत्साह होता था, उमंगे

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नदियों के किनारे

6 नवम्बर 2022
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नदी के किनारे बसा मेरा गांव और उसके पास में उपस्थित बीहड़ की हरियाली जिसमें पीलू का पेड़ जिसका वानस्पतिक नाम साल्वाडोरा पर्सिका है जिसे टूथब्रश का पेड़ भी कहा जाता है। यह मध्य पूर्वी भारत में और अफ्री

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चूल्हे की रोटी

7 नवम्बर 2022
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"रामा चाची के हाथ की रोटी " जिसे खाने के लिए लोग तरसते थे। वे चूल्हे की रोटी इस समय लुप्त होती जा रही है।मैंने मेरे पापा और चाचा को कहते हुए सुना था कि रामा चाची की रोटियों के स्वाद की कोई कीमत थी उनक

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खेतों की हरियाली

9 नवम्बर 2022
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हमारे गांव के चारों तरफ खेत ही खेत दिखाई पड़ते थे यदि गांव से बाहर निकलकर देखा जाये तो रवि और खरीफ दोनों फसलों के समय हरियाली ही हरियाली नजर आती थी।पेड़ों की हरियाली हर इंसान के लिए मनमोहन और अत

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मेरे दादा की कहानियां

15 नवम्बर 2022
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"वे रातें भी कितनी खूबसूरत होती थी जहां मेरे दादा की कहानियां मुंह जुबानी होती थी।"उन दिनों मैं कभी भी भुला नहीं पाऊंगा जब गांव के सारे बच्चे रात के अंधेरे में हमारे घर पर आकर इकट्ठे हो जा

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कंपोस्ट खाद

23 नवम्बर 2022
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मेरे जीवन की वे यादें जो मुझे अंदर ही अंदर बहुत खुशियां प्रदान करती है क्योंकि उस समय की हर तकनीक में देशी तरीके होते थे।उस समय मिट्टी की उर्वरता शक्ति बनाए रखने के लिए देशी खाद का प्रयोग किया जाता था

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वर्तमान में टूटे हुए रिश्ते

27 नवम्बर 2022
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वर्तमान में दुनिया के हर भाग में मनुष्य एकाकीपन में जीवन जीना चाहता है,वह अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति का व्यवधान नही चाहता है। हर कोई व्यक्ति स्वतंत्र रहकर जीना चाहता है, लेकिन उस व्यक्ति के लिए स्व

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शुद्ध सब्जियां अनौखा स्वाद

27 नवम्बर 2022
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भारत गांवों को देश है,इन गांवों में अधिकतर लोग कृषि कार्य करते हैं इसलिए गांवों के कृषक लोग अपनी मेहनत के साथ खेतों में अन्न और सब्जियां उगाते हैं। गांवों में देशी तरीके से की जाने वाली खेती खत्म

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मेरे ईश्वर

30 नवम्बर 2022
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कहते है ईश्वर कण-कण में बसता है , मनुष्य के जीवन में भगवान उसकी आस्था का प्रतीक है जो उसे आभास कराता है कि उसे बनाने वाला एवं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का रचने के अधिकार जिस शख्स के पास होते है वह ईश्वर है।

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जीवों से प्रेम

30 नवम्बर 2022
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प्रकृति में मनुष्य के साथ जीवों की भी उत्पत्ति भी हुई है जो मनुष्य के लिए एक अनोखा वरदान है जिस तरह मनुष्य प्रकृति में पेड़*पौधों पर निर्भर है उसी प्रकार हर मनुष्य जीवों के ऊपर निर्भर है क्योंकि मनुष्

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मुफ्त में मिलती थी खुशियां

30 नवम्बर 2022
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मेरे बचपन और अतीत की बातें बहुत निराली थी जो मुझे भाव-विभोर कर देती है। मेरे दादाजी मेरे दादा ही नहीं मेरे लिए मेरे लिए आदर्श थे । वे मुझसे बहुत प्रेम करते थे उनसे मुझसे इतना लगाव था कि मैं उनकी उपस्थ

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