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मेरी कवितायेँ और तुम

12 सितम्बर 2015

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अपनी आँखों के रस को मुझे अपने ऑंठो से पी लेने दो कुछ ही दिन है मेरे तेरे साथ उनको तो जी भर जी लेने दो राकेश मोहन ''कटकाणी''
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