सनातन धर्म में कार्तिक माह और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। कार्तिक माह में गंगा स्नान और भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन दीप-दान और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति में वृद्धि होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के रूप में मत्स्य अवतार हुआ था, मत्स्य अवतार को भगवान विष्णु के दस अवतारों में पहला अवतार माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का सिख धर्म में भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। सिख धर्म में इसे गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गुरुद्वारों में विशेष पूजा-पाठ और लंगर का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा ऐसी भी धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्राा जी का अवतरण पुष्कर के पवित्र नदी में हुआ था। इस कारण हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों लोग पुष्कर नदी में स्नान, पूजा-पाठ और दीपदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान, दीपदान और यज्ञ करने का विशेष महत्व होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर सबसे पहले प्रात:काल जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें। अगर यह संभव हो तो इस दिन घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद मंदिर और सरोवर में दीपक जलाएं। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा और स्मरण करें। भगवान के मंत्रों का जाप विशेषकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इसके बाद भगवान विष्णु की सभी तरह की सामग्री से उनकी पूजा और भोग लगाएं। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव की भी पूजा करें। इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करें। कार्तिक पूर्णिमा की सांयकाल को घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए और गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिए। रात के समय चंद्रमा की पूजा करें। इस दिन गाय को भोजन भी अवश्य कराएं। कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्याओं के अनुसार इस दिन सभी देवी-देवता स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और नदियों के किनारे देव दिवाली मनाते हैं। इस कारण से इस देव दिवाली भी कहते है।
ज्योतिर्मय निशा का पर्व पावन,कार्तिक पूर्णिमा का दिव्य सावन।गंगा की धारा में कर अद्भुत नर्तन,धर्म और श्रद्धा का अनुपम अर्पन।तारों से सजी ये रात्रि का उपहार,चमकता चंद्रमा है शांत, मनुहार।देवदीवाली का भ
क्या हिन्दू क्या सिख, क्या वैष्णव, ब्राह्मण, शैव और देवी के उपासक, इस दिन का सभी के लिए विशेष महत्त्व है। हिन्दू धर्म की सभी मान्यताओं के लिए इस दिन श्रद्धा और विश्वास से भर जाने के लि
धूप कहीं उल्लास की, कहीं दुखोँ की शाम, जीवन कहीं पे नारकीय, कहीं पे चारो धाम। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
दिखे साथ में दौड़ता, ले हाथों में हाथ, दो दिन में जाय छूट ये, किस मतलब का साथ। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
क्या जीवन का अर्थ है, क्या रिश्तों का मोल, मत धूल पकड़ना हाथ में, छोड़ रतन अनमोल। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
मिल जाए सो व्यर्थ है, नहीं मिला वो ध्यान, गँवा फ़सल संतोष की, नहीं सुखी इंसान। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
जोड़-तोड़ बाजीगरी, है इनकी सबमें होड़, प्रेम और सदभावना, क्यों बैठे सब छोड़। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
साँसों को जो कैद रखे, है ये बस पिंजड़ा एक, ऐसा दृष्टिकोण रख, फिर तू जीवन देख। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
विष के सम निंदा जानिए, और ईर्ष्या अभिशाप, जैसे सुलगता कोयला, होते-होते राख़। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
कसे कभी रस्सी बहुत, फिर ढीली पड़ जाए, ये जीवन की यात्रा, चलत अनवरत जाए। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"