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मेरी पहली और अनकही प्रेम कथा

24 सितम्बर 2022

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यह कहानी उस समय की है , जब मै दसवीं कक्षा में था । मै अपने स्कूल के दिनों में मैं काफी दबंग और मासूम लड़का हुआ करता था हालांकि मैं अब भी वैसा ही हूं। एक दिन की बात है मै स्कूल जाने के लिए रोज की तरह तैयार हुआ और दादी ने मुझे कुछ घर का सामान लाने के लिए पास की दुकान पर भेजा मै वहां गया उस दिन मेरे साथ पढ़ने वाली एक लड़की जिसका नाम कसक (नाम बदला हुआ है ) था । वह भी उसी दुकान पर कुछ लेने के लिए आई मैंने उसे देखा और मै कुछ पलो के लिए पता नही कहा खो गया मै उसे ही देखता ही रह गया जब तक वह मेरी आंखो के सामने से ओझल नही हो गई मुझे कुछ पल के लिए यह भी याद न रहा की मै दुकान पर क्यू गया हूं। कुछ देर बाद मैने अपना सामान लिया और घर चला गया और फिर स्कूल । आज मुझे खुशी को देखकर आभास हुआ वह पहले कभी किसी और लड़की को देखकर नही हुआ था उस समय मुझे यह भी नही पता था की प्रेम किसे कहते है ?
स्कूल पहुंचने के बाद मेरी नज़रे उसी को तलाशती रही कि काश फिर कही एक बार दिख जाए । जबकि कसक मेरी सहपाठी भी थी । हालांकि मैं किसी भी लड़की से बात करने डरता था कि उसका व्यवहार कैसा होगा और मेरे स्कूल का माहौल ऐसा था कि वहां कोई भी लड़का लड़कियों की डेस्क की तरफ भी नही जा सकता था। मेरे स्कूल के प्रधानाध्यापक का सख्त निर्देश था । 
     यह सिलसिला ऐसे ही रोज चलता रहता हैं , मै हमेशा उसको देखने का प्रयास करता रहता था कभी कभी मुझे यह भी लगता था कि वह भी मुझसे प्रेम करती है ऐसा मुझे उसकी कुछ हरकतों से लगता था जैसे वह मेरे कुछ मामलों मे मेरी नकल करती थी जैसे मेरा किसी सहपाठी को कूट देना मेरा एक सहपाठी था राजन (नाम बदला हुआ है ) जो मुझसे अक्सर पीट जाया करता था वह भी अपनी कुछ सहेलियों के साथ बिलकुल मेरे जैसा व्यवहार करती थी जिस कारण उसे कुछ लड़कों ने मेरा नाम भी दे दिया था हालाकि यह बात किसी भी लड़की को पता नही थी । 
मै स्कूल से आने के बाद हमेशा यह सोचता था की कल स्कूल जल्दी जाऊंगा लेकिन मैं ऐसा कभी कर नही पाया मै हमेशा स्कूल प्रार्थना के बाद ही पहुंचता था । यह सिलसिला रोज का था । 
  ऐसा होते होते एक ऐसा दिन भी आया जो हमलोग का स्कूल से विदा होने का था । विदाई से पहले हमारे स्कूल में रामचरित मानस का पाठ होता है और पाठ संपन्न होने के बाद हवन होता है हवन के पूर्व सभी हवन में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थी हवन होने तक उपवास करते तो मैं और मेरे मित्रो , सहपाठियों ने भी उपवास रखा था , प्रधानाध्यापक के निर्देश से हमारी कक्षा की कुछ लड़कियों ने हमारे लिए चाय बनाती है और वो चाय में शक्कर (चीनी ) डालना भूल जाती है या मजाक के उद्देश्य से नही डालती है मुझे मीठा और नमकीन दोनो बहुत प्रिय है जिस वजह मै गुस्से में वहां से चाय पीए बिना चला जाता हूं , फिर कुछ देर बाद कसक (वह लड़की जिससे मुझे प्रेम था ) मेरे लिए शर्करा युक्त चाय लेकर आती है , जो मै अपने स्वभाव की वजह से पीने से इंकार कर देता हूं । विदाई समारोह का आयोजन मेरे द्वारा किया गया था जिसमे से कुछ रुपए बच गए थे जो बाद में अन्य खाद्य पदार्थों पर मेरे अध्यापक द्वारा कहे जाने पर खर्च किए जाते है । 
कार्यक्रम के बाद कसक मुझे वहां से अलग बुलाती है लेकिन मैं इस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए वहां से चला जाता हूं । कार्यक्रम की समाप्ति पर सभी लोग चले जाते है , और इस तरह से मेरी इस नजरो की प्रेम कहानी का दुखद अंत होता है हालांकि मुझे तब इस बात का कोई अफसोस नही होता है , लेकिन आज चार साल बाद जब मैं यह अपनी कहानी लिख रहा हूं तो मुझे इस बात का अफसोस होता है , कि काश एक बार मैने उससे मिल लिया होता ।

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