0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
पहली बार देखा तो खयाल आया, कहीं मुझे कुछ हो तो नहीं गया, कहीं मैं मरने वाली तो नहीं हूं, सोचा, ऐसा मेरे साथ ही क्यों? चिल्लाई,रोई और फिर पता चला यह तो जीवनदायनी होने की प्रथम सीढ़ी है ! फिर मुझे