जीवन की सच्चाई
आजा़द हुए हमे 73 साल हुए मगर हक़ीक़ी आजा़दी कोई दिलाए तो सही । नफ़रतो के इस दौर मे भी मुहब्बत को कोई जगाये तो सही । अविश्वासो की इन आँधियाँ मे भी विश्वास का कोई दीया जलाए तो सही । रिश्ते तो बहुत होते हैंं मगर इन रिश्तों को कोई निभाए तो सही । सपने तो बहुत लोग देखते हैं मगर इन सपनो को