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मोहन

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समाज सुधारक राजा राम मोहन रायडॉ० शोभा भारद्वाजचिता से अर्श तकवैदिक काल के प्रारम्भ से अनेक महान स्त्रियाँ पुरुषों के समान विद्वान रही हैं | कन्या को विवाह के लिए वर चुनने की पूरी स्वतन्त्रता थी यहाँ तक परिवार एवं पति की सहमती से नियोग द्वारा उत्पन्न सन्तान को कुल का नाम मिलता था युवक युवती की सहमती

"पद"मोहन मुरली फिर नबजानाराह चलत जल गगरीछलके, पनघट चुनर भिगाना।लाज शरम की रहनहमारी, मैँ छोरी बरसाना।।गोकुल ग्वाला बालाछलिया, हरकत मन बचकाना।घूरि- घूरि नैनामलकावें, बात करत मुसुकाना।।अब नहिं फिर मधुबनको आऊँ, तुम सौ कौन बहाना।रास रचाना बिनुराधा के, और जिया पछिताना।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

भारतीय पुलिस को अक्सर भ्रष्ट और असहयोगी के रूप म

दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल हैख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती हैअपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगाकोई तन्हा रहना नहीं चाहें मजबूरी बनाती हैकिसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता हैबिना मेहनत के मंजिल कब किसके हाथ आती हैक्यों हर कोई परेशां है बगल बाले की

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