shabd-logo

मुकम्मल इश्क़

15 फरवरी 2022

13 बार देखा गया 13

गर मुक़म्मल इश्क़ राधा की पहचान बन जाती 

राजसी महलों में रहकर मीरा की शान बन जाती 

तो हवायें छोड़ देतीं यूँ मुफ़त में ज़िंदगी देना 

और बना साँसों के ये दुनिया समशान बन जाती 

गर मुक़म्मल इश्क़..........

बालेन्द्र शर्मा ‘अनंत’

Balendra Sharma की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए