भाग-1 में आप लोगो ने देखा कि किस तरह गांव वाले सुनील का मज़ाक उड़ाया करते थे परन्तु सुनील अपने सपनों पर अडिग था और इन सब बातों का उस पर कोई खास प्रभाव न पड़ता थाl वक़्त गुज़रता गया और सुनील भी जी तोड़ मेहनत करता रहा इस बीच सुनील का बड़ा बेटा हाई स्कूल की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुआ और आगे की पढ़ाई के लिए सुनील ने अपने दोनों बच्चों को शहर के ही एक हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया जिससे सुनील की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गयी उसने बड़े बेटे का दाखिला शहर की एक मशहूर आईआईटी कोचिंग क्लास में इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए करवा दिया जिसमें सुनील के लाखों रुपये खर्च हो गए
इस कारण सुनील की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि वो कर्ज में उतर गया पर उसके हौंसले अभी भी बुलंदियों पर ही थेl
निगाहें शिखर ए मंज़िल पर क्या गई
बेताब कदम खुद ब खुद चल पड़े
मुश्किलों से भरे रास्तों की थाह न ली
नजरे शिखर से मिलाकर निकल पड़े
कुछ एसे ही हालातों का सामना सुनील भी कर रहा था सपने तो वो देख ही चुका था अब चाहे जीवन खत्म हो जाए पर सपने अधूरे नहीं रहने देना l सुनील भी अब दोगुनी मेहनत करने लगा वो पूरे दिन में मात्र दो घंटे ही सोता था और यही सिलसिला महीनों तक चलता रहा पर उसने बच्चों को इस बात की भनक तक न लगने दी ताकि उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट पैदा न हो जाए तो वही दूसरी ओर अपने पिता के हालातों से बेख़बर उसके बच्चे भी बड़ी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करते थे l और कहीं ना कहीं बच्चे भी अपने पिता की परिस्थितियों से अनजान ना थे और अप्रत्यक्ष रूप से अपने पिता के संघर्ष के बारे मे सब जानते थे l
सुनील के हालात इतने बदतर हो गए थे कि गांव वाले उसका मज़ाक बनाने लगे थे और बात बात पर उसे बेवकूफ़ कहा करते थे जिससे सुनील भी एक अप्रिय मानसिक वेदनाओं से त्रस्त हो चुका था l