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मुमकिन भाग 3

17 दिसम्बर 2023

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भाग-2 में आप लोगों ने देखा कि गांव वालों के मज़ाक से सुनील की मानसिक दशा खराब होती जा रही पर सुनील भी एक रबर की भांति अडिग था कोई कितना भी तोड़ मरोड़ ले पर अंत मे वह अपना आकार फिर से ले ही लेता है l
कूद पड़ा समुंदर में वो
तैरना भी नहीं जानता था
उफान पर था समुंदर भी
पर उसे नही पहचानता था
पागलपन में तूफ़ान से भिड़ा
बंदा वो अनजान था शायद
मंज़िल मिली जुनून से उसको
उसके साथ भगवान था शायद
अब परिस्थितियां कुछ यूं थी कि दिन भर की मेहनत से थककर रात को कोयले की खदान में काम करने वाले सुनील को अचानक ही दिल का दौरा पड़ने से से वो कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा किन्तु अपने बच्चों को इस बात की भनक तक नहीं लगने दी इस दौरान सुनील की पत्नी ने चाय की दुकान भी संभाली और अपना काम भी करती रही तो वही दूसरी ओर सुनील की बुढ़ी मां अस्पताल में सुनील की देखरेख करती थी l
पूरे बीस दिनों बाद सुनील जब अस्पताल से वापस अपने घर आया तो डॉक्टर की दी हुई सलाह को भूलकर वो रात को फिर कोयले की खदान में काम करने चला गया इस बात से सुनील के माता पिता और उसकी पत्नी भी नाराज थे परन्तु वो लोग भी सुनील की जिद से परिचित थे इसलिए कुछ न कर सके l
कुछ समय बाद सुनील के बड़े बेटे ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा भी दी और नतीजे के इंतजार में कुछ दिनों के लिए अपने गांव आने के लिए तैयार था किंतु सुनील के पिताजी ने उसे मना कर दिया क्योंकि वो जानते थे कि उनकी परिस्थितियों से परेशान होकर कहीं उनका पुत्र हताश ना हो जाये इसलिए वो खुद ही जाकर अपने बच्चों से मिल आए और उन्हें जरूरत के सभी सामान भी दे आए l
फिर कुछ दिनों के बाद नतीजे घोषित हुए और सुनील के बड़े पुत्र का चयन आईआईटी कानपुर में हो गया जिससे खुश होकर सुनील अपने पुत्र से मिलने के लिए अपनी पत्नी के साथ शहर गया l
पुत्र के साथ आईआईटी कानपुर में जाकर सारी जानकारियां प्राप्त कर वो वापस लौट रहा था किंतु उसके मन में फीस एवं अन्य खर्च को लेकर चल रहे विचारों को उसने तनिक भी प्रकट नहीं होने दिया और पुत्र को वापस शहर छोड़कर अपने गांव आ गया जिसके बाद तो वो पैसों की व्यवस्था में इतना उलझ गया कि तीन दिनों तक ठीक से खाना भी नहीं खाया l
तुम्हारे हर अरमान की खातिर
             जो झेल गया हर दुख-संताप को
खुद को भूला जो तुम्हारी खातिर
              कभी न भूलना उस  बाप को

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

विषय वस्तु काफी सजीव लगी बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌

22 दिसम्बर 2023

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रचनाएँ
मुमकिन
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मुमकिन कहानी आधारित है अपने बच्चों के लिए एक पिता के द्वारा सृजित सपनों की l जिन्हें पूरा करने के लिए पिता मुश्किलों के उस दौर से गुजरा जहां से परिस्थितियों के प्रतिकूल होने पर भी उस पिता ने हार न मानी और अंततः उसकी जोरदार जीत से कई आलोचकों के मुंह पर करारा तमाचा लगा जो उसकी गरीबी का मज़ाक बनाया करते थे l
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मुमकिन भाग 1

17 दिसम्बर 2023
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एसा क्या है जो किया नहीं जा सकता डर से खुलकर क्यूं जिया नहीं जा सकता कहते है कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता जरूरत है तो बस थोड़े से हौंसले कि और कुछ कर गुज़रने के चाहत की l हमारी य

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मुमकिन भाग 2

17 दिसम्बर 2023
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भाग-1 में आप लोगो ने देखा कि किस तरह गांव वाले सुनील का मज़ाक उड़ाया करते थे परन्तु सुनील अपने सपनों पर अडिग था और इन सब बातों का उस पर कोई खास प्रभाव न पड़ता थाl  वक़्त गुज़रता गया और सुनील भी जी त

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मुमकिन भाग 3

17 दिसम्बर 2023
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भाग-2 में आप लोगों ने देखा कि गांव वालों के मज़ाक से सुनील की मानसिक दशा खराब होती जा रही पर सुनील भी एक रबर की भांति अडिग था कोई कितना भी तोड़ मरोड़ ले पर अंत मे वह अपना आकार फिर से ले ही लेता है l

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मुमकिन भाग 4

17 दिसम्बर 2023
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भाग 3 में आप लोगों ने देखा कि किस तरह सुनील पैसों की व्यवस्था में खुद को पूरी तरह भूल चुका था सुनील को तकरीबन पांच लाख रुपयों की जरूरत थी ताकि वो अपने पुत्र की फीस और अन्य जरूरतें पूरी कर कानपुर में

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मुमकिन भाग 5

17 दिसम्बर 2023
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इस कथा के सबसे मार्मिक दृश्य भाग 4 में आपने देखा कि किस तरह सुनील अपने परिवार के साथ घर छोड़कर निकल पड़ता है और इस गांव में उसका कोई भी दूसरा ठिकाना नहीं था और अपने आत्मसम्मान के कारण किसी भी रिश्तेदा

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मुमकिन भाग 6

17 दिसम्बर 2023
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भाग 5 में आपने देखा कि किस प्रकार एक बच्चे को अपने पिता के संघर्षों की दास्तान सहसा ही पता चल जाती है शायद ये ईश्वर की ही रज़ा थी कि बच्चे को भी अपने पिता के संघर्षों के बारे मे जानने का मौका मिला और

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मुमकिन भाग 7

17 दिसम्बर 2023
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भाग 6 में आप लोगों ने देखा कि किस तरह सुनील अपने साथ हो रही इस ख़ुशनुमा बातों को लेकर हैरान था इसलिये सारा माजरा समझने के लिये वो वापस अपने पुराने गांव मे अपने परिवार के साथ लौट जाता है और वहां पहुं

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