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नियति

Sachin Tiwari

9 अध्याय
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गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी । 

niyati

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पुस्तक के भाग

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नियति

23 दिसम्बर 2023
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अक्सर हमारे क्षेत्र के आसपास ही कुछ लोग एसे भी होते है जिन्हें हमने कभी देखा भी न हो न ही कभी उसका कोई जिक्र तक सुना हो....l परन्तु गरीबी की पराकाष्ठा से रुबरु होते इन्हीं चंद लोगों में से यदि को

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नियति 2

24 दिसम्बर 2023
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रात को लगभग 8:00 बजे बालू दिहाड़ी से वापस लौटता है और उसके इंतजार में बेसब्र नैया झटपट उसे पानी देते हुए कहती है कि... ई कौनो वक़्त है तुम्हारे लौटन का......lअरे नैया आज छत कि लकड़ी बाँधकर आए हैं इसलि

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नियति 3

30 दिसम्बर 2023
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अपने आंखों से बहते आंसुओ को छुपाकर बालू घर पहुंच गया और फिर नैया को पुकारने लगा....lइतने में नैया बालू के पास आकर पानी पिलाती है lनैया आज मै बहुत थक गया हूं और मुझे भूख भी नहीं है में सोने जा रहा हूं.

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नियति 4

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरा एक साल बीत गया और बालू ने कुछ पैसे जोड़ कर अशोक का दाखिला स्कूल में करवा दिया और किताबें और बैग आदि जरूरत के सभी समान भी खरीद लिये.......lअशोक अब 6 वर्ष का हो चुका था.....lअम्मा दे

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नियति 5

30 दिसम्बर 2023
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देखते ही देखते पूरे तीन महीने बीत गए अशोक की पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी और वो रोज खुशी खुशी स्कूल जाता था उसे स्कूल जाना बहुत पसंद था..lनए नए दोस्तों से मिलना उनसे बाते करना भी अशोक को बहुत ही पसंद था औ

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नियति 6

30 दिसम्बर 2023
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रात के समय झोपड़ी के बाहर अलाव जला कर हांथ सेंकते हुए बालू के दिमाग में सिर्फ पैसों के इंतजाम को लेकर ही सोच चल रही थी.....फिर उसने तय कर लिया कि सुबह उठते ही वो काम की तलाश में निकल जाएगा और फिर चाहे

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नियति 7

30 दिसम्बर 2023
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इसी तरह दिन बीतते चले गए...... और जी तोड़ मेहनत करता हुआ बालू भी अशोक की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देना चाहता था...... परिस्थितियों से लड़ते हुए बालू खुद को पूरी तरह से भूल

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नियति 8

7 जनवरी 2024
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अब यहां से अशोक के जीवन की एक नई शुरुआत होती है क्योंकि एक ओर जहां अब अशोक की पढ़ाई बाधित हो चुकी थी तो वही दूसरी ओर ये जगह भी अशोक के लिए एकदम नई थी......lधीरे धीरे अशोक भी यहां के लोगों के साथ घुल म

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नियति 9

12 जनवरी 2024
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और फिर इसी तरह दिन बीतते चले गए..........पर बालू के संघर्षों और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अशोक का मन भी अब पढ़ाई में नहीं लगता है......lअपने पिता बालू को इस तरह से संघर्ष करता देख कर अशोक क

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