भाग 5 में आपने देखा कि किस प्रकार एक बच्चे को अपने पिता के संघर्षों की दास्तान सहसा ही पता चल जाती है शायद ये ईश्वर की ही रज़ा थी कि बच्चे को भी अपने पिता के संघर्षों के बारे मे जानने का मौका मिला और फिर उस गांव के लोगों ने भी उस बच्चे को उसके पिता की वो दर्दभरी दास्तान सुनाई की बच्चा भाव विभोर हो उठा और उसने एसा निर्णय लिया जो कि वाकई में अद्भुत था वो अपने पिता से मिले बगैर वापस कानपुर लौट गया और पूरे दो महीने बाद उसने वहां रहते हुए ही वो गोदाम खरीद लिया जिसमें उसके पिता जी हम्माली किया करते थे तो वही दूसरी ओर सुनील इन सब बातों से अनजान था और निरंतर अपना काम कर रहा था किन्तु एक दिन सुबह जब वो काम पर गया तो गोदाम के मालिक ने उसे गोदाम के काग़ज़ और चाबियां देकर अपनी कुर्सी पर बैठा दिया और खुद बिना किसी को कुछ बताये वहां से निकल गया इस बात से सुनील हैरान था और कुछ सोच ही रहा था कि इतने में वो ही साहूकार जिसने सुनील का घर खरीदा था वो उसके पास आकर उसे घर के कागजात दे कर बिना कुछ कहे ही निकल गया सुनील के समझ मे कुछ भी नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है l
इस वाकिये पर मुझे चंद पंक्तियाँ सूझ रही है जो कुछ इस प्रकार हैं
मेहनत से उसने अपनी घमासान कर दियाl
मुश्किलों को जीत के आसान कर दियाll
जुनून से उसने अपने अतीत को नचा दियाl
जीत ने उसकी दुनिया मे तहलका मचा दियाll
जीत लिया युद्ध जो था वक़्त के विरुद्धl
तूफानों को भी रोक के कर दिया अवरुद्धll
जिद से अपनी हार को भी शंका में ला दियाl
जुनून से जग में जीत का डंका बजा दियाll
बस अब बहुत हुआ सुनील भले ही अनजान था पर अब गांव वालों की नजरे कुछ इस तरह झुकी की कोई उससे आँख मिलाकर बात करने के लायक भी न बचा क्योंकि ये वहीं लोग थे जिन्होंने कभी भी सुनील के सपनों को नहीं समझा और बस उसका मज़ाक बनाते गए ये सब देखकर सुनील बड़ी असमंजस की स्थिति में आ गया कि अचानक एसा क्या हो गया कि गांव वाले उससे नजरे मिलाकर बात करने से भी डर रहे है ये सब बात सुनील ने उसकी पत्नी को बताई जिससे वो खुद भी हैरान थी और उसने भी सुनील को एक बात बतायी जिसे सुनकर सुनील की खुशी का कोई ठिकाना ही न था कि साहूकार के साथ गांव के कुछ लोग घर आए थे और गिड़गिड़ा कर माफी मांगते हुए गांव में मुफ्त शिक्षा हेतु बहुत ही भव्य विद्यालय बनवाने का काम शुरू किए जाने की खुशी में धन्यवाद अदा कर के चले गये l