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मुमकिन भाग 5

17 दिसम्बर 2023

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इस कथा के सबसे मार्मिक दृश्य भाग 4 में आपने देखा कि किस तरह सुनील अपने परिवार के साथ घर छोड़कर निकल पड़ता है और इस गांव में उसका कोई भी दूसरा ठिकाना नहीं था और अपने आत्मसम्मान के कारण किसी भी रिश्तेदारों के घर जाना भी उसे मंजूर न था इसलिये वो अपने परिवार को लेकर दूसरे गांव में एक भले मनुष्य के यहां किराये पर कमरा लेकर रहने लगा फिर अपने परिवार के रहने का सारा प्रबंध कर वो अपने पुत्र को लेकर कानपुर चला गया और उसका एडमिशन आईआईटी कानपुर में करवा कर उसके सभी जरूरी इंतजामात कर दिए और फिर लौटकर अपने छोटे पुत्र को भी शहर की एक मशहूर कोचिंग संस्थान में NEET की तैयारी के लिए दाखिला करवा दिया l
किन्तु असली जंग तो अब शुरू हुई जब उसके दोनों पुत्रों के पढ़ाई के खर्च को वहन करने के लिए उसके पास बिलकुल भी रुपये न बचे और न रुपयों के इंतजाम के लिए कोई साधन इसलिए एक नए गांव में काम की तलाश में वो दर दर भटकने लगा फिर उसे एक गोदाम में हम्माल का काम मिल गया जहां वो पूरा दिन हम्माली करता और फिर रात को उसी गोदाम की पहरेदारी करता था जिससे उसके परिवार का गुजर बसर चलने लगा l
दिन बीतते गये और फिर एक ओर जहां सुनील का बड़ा पुत्र अपनी मेहनत और लगन से आईआईटी कानपुर मैं थर्ड ईयर में आ गया तो वहीं दूसरी ओर उसके छोटे पुत्र का भी NEET के जरिए AIMS दिल्ली मे चयन हो गया जिससे सुनील की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि एम्स दिल्ली एक प्रतिष्ठित संस्थान तो था ही और उसकी फीस भी ज्यादा न थी और फिर सुनील उसके छोटे पुत्र के साथ दिल्ली जाकर उसका एडमिशन दिल्ली एम्स में एमबीबीएस कोर्स में करवाकर उसका सारा प्रबंध कर वापस अपने गांव लौट आया हैरत की बात थी कि सुनील के साथ इतना सब कुछ हो गया पर उसके दोनों पुत्रों को उसने कुछ भी न बताया था l
परिस्थितियों का मारा सुनील भी शारीरिक रूप से इतना कमजोर हो गया था कि वक़्त के पहले ही बुढ़ा हो चला था पर जिम्मेदारियों के कारण वो मानसिक रूप से अपनी जिद पर हमेशा अटल रहा l
चट्टानों सी हिम्मत, और जज्बातों
का दिल में, तूफ़ान लिये चलता है l
पूरा करने की जिद, में एक पिता
बच्चों के अरमान लिए, चलता है ll
सुनील के ऊपर मंडरा रहे संकटों के बादल अब छटने लगे थे और खुशियो के पल तेजी से उसकी ओर बढ़े चले आ रहे थे और देखते ही देखते वो पल भी आ गया जिसके लिए सुनील ने वर्षों तपस्या की थी उसके बड़े पुत्र का आईआईटी कानपुर से एक एमएनसी कंपनी में अठारह करोड़ रुपये के पैकेज पर प्लेसमेंट हो गया और अपने पिता को यह खुश खबरी  देने की लिए सुनील का बड़ा पुत्र अपने गांव लौटा तो उसने देखा कि उसके घर पर कोई और रह रहा था जिस पर सुनील ने पूछताछ की तो उसे पता लगा कि वो घर सुनील ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए साहूकार को बेच दिया है और खुद अपने परिवार के साथ गांव छोड़कर चले गए और पास ही के गांव में किराये पर रहते हुए गोदाम में हम्माली करते है ये वृत्तांत सुनकर पुत्र अपने पिता के संघर्षों की पराकाष्ठा के अनुमान में बेकाबू होकर अपनी आंखों से झरने के समान बह रहे आंसुओ को रोक नहीं पा रहा था और उसे बार बार पिता का एक ही झूठ याद आ रहा था
कहते थे की साहिब हूं
             में हूं कोई हम्माल नहीं
धन दौलत भरपूर है बेटा
              बाप तेरा कंगाल नहीं
इतना सब कुछ सह कर भी
           था दिल मे कोई मलाल नहीं
सब कुछ खोकर भी क्यों
           कभी बताया अपना हाल नहीं

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

आखिरी चंद लाइनों में जो कविता आपने लिखी है बेहद खूबसूरत लिखा है आपने 👌👌

18 दिसम्बर 2023

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रचनाएँ
मुमकिन
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मुमकिन कहानी आधारित है अपने बच्चों के लिए एक पिता के द्वारा सृजित सपनों की l जिन्हें पूरा करने के लिए पिता मुश्किलों के उस दौर से गुजरा जहां से परिस्थितियों के प्रतिकूल होने पर भी उस पिता ने हार न मानी और अंततः उसकी जोरदार जीत से कई आलोचकों के मुंह पर करारा तमाचा लगा जो उसकी गरीबी का मज़ाक बनाया करते थे l
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मुमकिन भाग 1

17 दिसम्बर 2023
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एसा क्या है जो किया नहीं जा सकता डर से खुलकर क्यूं जिया नहीं जा सकता कहते है कि इस दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता जरूरत है तो बस थोड़े से हौंसले कि और कुछ कर गुज़रने के चाहत की l हमारी य

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मुमकिन भाग 2

17 दिसम्बर 2023
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भाग-1 में आप लोगो ने देखा कि किस तरह गांव वाले सुनील का मज़ाक उड़ाया करते थे परन्तु सुनील अपने सपनों पर अडिग था और इन सब बातों का उस पर कोई खास प्रभाव न पड़ता थाl  वक़्त गुज़रता गया और सुनील भी जी त

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मुमकिन भाग 3

17 दिसम्बर 2023
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भाग-2 में आप लोगों ने देखा कि गांव वालों के मज़ाक से सुनील की मानसिक दशा खराब होती जा रही पर सुनील भी एक रबर की भांति अडिग था कोई कितना भी तोड़ मरोड़ ले पर अंत मे वह अपना आकार फिर से ले ही लेता है l

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मुमकिन भाग 4

17 दिसम्बर 2023
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भाग 3 में आप लोगों ने देखा कि किस तरह सुनील पैसों की व्यवस्था में खुद को पूरी तरह भूल चुका था सुनील को तकरीबन पांच लाख रुपयों की जरूरत थी ताकि वो अपने पुत्र की फीस और अन्य जरूरतें पूरी कर कानपुर में

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मुमकिन भाग 5

17 दिसम्बर 2023
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इस कथा के सबसे मार्मिक दृश्य भाग 4 में आपने देखा कि किस तरह सुनील अपने परिवार के साथ घर छोड़कर निकल पड़ता है और इस गांव में उसका कोई भी दूसरा ठिकाना नहीं था और अपने आत्मसम्मान के कारण किसी भी रिश्तेदा

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मुमकिन भाग 6

17 दिसम्बर 2023
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भाग 5 में आपने देखा कि किस प्रकार एक बच्चे को अपने पिता के संघर्षों की दास्तान सहसा ही पता चल जाती है शायद ये ईश्वर की ही रज़ा थी कि बच्चे को भी अपने पिता के संघर्षों के बारे मे जानने का मौका मिला और

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मुमकिन भाग 7

17 दिसम्बर 2023
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भाग 6 में आप लोगों ने देखा कि किस तरह सुनील अपने साथ हो रही इस ख़ुशनुमा बातों को लेकर हैरान था इसलिये सारा माजरा समझने के लिये वो वापस अपने पुराने गांव मे अपने परिवार के साथ लौट जाता है और वहां पहुं

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