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मुंग की खेती से प्रति एकड 25 हजार का शुद्ध घाटा । कौन करेगा इसकी भरपाई ?

11 जुलाई 2020

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एकड़ में मूँग फसल की लागत का पूरा हिसाब किताब -


जमीन तैयार करने और बोने में ट्रेक्टर का डीजल 16 लीटर - 1120 रु.


बीज का खर्चा (15 से 20 किलोग्राम) - 2000 रु.

बीज उपचारित दवाई - 50 रु

उर्वरक खाद (DAP)का खर्चा - 600 रु.

कीटनाशक दवाई 4 स्प्रे का खर्चा - 3500 से 4000 रु.

दवाई छिड़कने, पानी देने की मजदूरी - 1500 से 2000 रु.

इस वर्ष फसल सुखाने के लिए डाली गई दवाई का खर्च - 400 रु

फसल साफ करवाने की मजदूरी का खर्च - 200 रु

फसल कटाई का खर्चा - 1500 रु.

खेत से घर लाने का खर्च - 200 से 300 रु.

मंडी तक ले जाने का खर्च - 300 से 500 रु.

अन्य खर्च - 1000 रु

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1 एकड़ में मूँग फसल की लागत का पूरा हिसाब किताब

-

जमीन तैयार करने और बोने में ट्रेक्टर का डीजल 16 लीटर - 1120 रु.

बीज का खर्चा (15 से 20 किलोग्राम) - 2000 रु.
बीज उपचारित दवाई - 50 रु
उर्वरक खाद (DAP)का खर्चा - 600 रु.
कीटनाशक दवाई 4 स्प्रे का खर्चा - 3500 से 4000 रु.
दवाई छिड़कने, पानी देने की मजदूरी - 1500 से 2000 रु.
इस वर्ष फसल सुखाने के लिए डाली गई दवाई का खर्च - 400 रु
फसल साफ करवाने की मजदूरी का खर्च - 200 रु
फसल कटाई का खर्चा - 1500 रु.
खेत से घर लाने का खर्च - 200 से 300 रु.
मंडी तक ले जाने का खर्च - 300 से 500 रु.
अन्य खर्च - 1000 रु

इस प्रकार टोटल 13 से 14 हजार रु की लागत एक एकड़ मूँग फसल उगाने में किसान को आ रही है।

नोट - यह खर्च किसान के स्वयं के उपकरणों एवं जमीन का है
इसमे यदि किसान किराए के उपकरण और जुताई की जमीन का देखे तो खर्च और अधिक आएगा ।

1 एकड़ में मूँग फसल का औसतन उत्पादन इस वर्ष 7 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ होना था परन्तु नहर के लेट छूटने के कारण बारिश से किसानों को 2 से ढाई कुंटल का नुकसान हुआ है
इसलिए उत्पादन 5 से 6 कुंटल प्रति एकड़ रहा ।

वर्तमान में किसान को 1800 से लेकर 2000 रु. एक क्विंटल मूँग उत्पादन करने की लागत आ रही है।

और वर्तमान में मंडियों में मूँग का भाव 3400 से लेकर 6000 तक चल रहा है जो कि समर्थन मूल्य से 1400 से 3800 रुपए कम बिक रहा है

समर्थन मूल्य पर मूँग फसल बिकती तो आज किसान को 36 से 42 हजार रु मिलता ।
और अभी वर्तमान मंडी भाव से देखा जाए तो किसान को 18 से 22 हजार रुपये मिल रहा है ।

आज किसानों को एक एकड़ में 22 से 25 हजार का शुद्ध घाटा है ।
कौन करेगा इसकी भरपाई ?

अब आप ही बताए इसमे किसान को क्या मिल रहा है ?

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