यदि ये चेहरे बयां करते जज़्बात दिलों के तो शायद इन एहसासों की जरूरत न होती यदि महज़ कहने से कोई अपना हो जातातो शायद रिश्ते निभान
रोशनी का दर्पण,समाज के सागरप्रेमचंद जी,शब्दों के रथ पर सवार आप कहानियों के नायाब जादूगर गाँव की गली से लेके शहरी रफूगरहिन्दी के पितामह उपन्यास सम्राट कलम के सिपाही लेखक हैं विराट31 जुला