किसी की आंखो में न खटक जाऊँ इसलिए अब बहुत कम दिखता हूँ !!! मैं सोचता तो बहुत पर कुछ लोगों के डर से कम लिखता हूँ!!!
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<div>कि पतझड़ से सम्भलकर के मैं खुद सावन में आया हूँ!!!</div><div><br></div><div>जरा तुम
<p>ना हूँ दिवार मैं कोई,,, ना ही कोई हिमालय हूँ!!!</p> <p>ना थमत