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आवाज़ दिल की

25 अक्टूबर 2021

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ना हूँ  दिवार  मैं कोई,,,  ना  ही  कोई  हिमालय हूँ!!!

ना थमते आंख के आँशू मैं नदियाँ अब कहाँ से दूँ!!!

ये माना  कि  बहुत  सस्ती दवाई  है  तेरे  दिल की,,,

मगर  मजबूर हूँ मैं भी तेरा  अब हाल  कैसे  लूँ???

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