ना हूँ दिवार मैं कोई,,, ना ही कोई हिमालय हूँ!!!
ना थमते आंख के आँशू मैं नदियाँ अब कहाँ से दूँ!!!
ये माना कि बहुत सस्ती दवाई है तेरे दिल की,,,
मगर मजबूर हूँ मैं भी तेरा अब हाल कैसे लूँ???
25 अक्टूबर 2021
ना हूँ दिवार मैं कोई,,, ना ही कोई हिमालय हूँ!!!
ना थमते आंख के आँशू मैं नदियाँ अब कहाँ से दूँ!!!
ये माना कि बहुत सस्ती दवाई है तेरे दिल की,,,
मगर मजबूर हूँ मैं भी तेरा अब हाल कैसे लूँ???
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किसी की आंखो में न खटक जाऊँ इसलिए अब बहुत कम दिखता हूँ !!! मैं सोचता तो बहुत पर कुछ लोगों के डर से कम लिखता हूँ!!! D