प्यारी डायरी..
प्रणाम, कैसी हो, आशा करती हूं कि अच्छी होगी।
सखी, आज जिस विषय पर तुमसे बात करनी हैं, वह हैं- "अंधविश्वास" अर्थात अंधा विश्वास। इसके शाब्दिक अर्थ में ही इसका संपूर्ण अर्थ समाया हुआ हैं कि जो विश्वास अंधा हैं, वह हमें सही राह भी नहीं दिखा सकता।
इस दुनिया में हर शब्द के दो मतलब होते हैं। एक अच्छाई के रूप में और एक बुराई के रूप में। जहां विश्वास का अर्थ अक्सर प्रेम से लिया जाता हैं, वही अंधविश्वास का अर्थ ही घृणा प्रतीत होता हैं। जहां विश्वास रिश्तो की मजबूती के लिए जाना जाता हैं, वही अंधविश्वास मजबूत चीजों को भी कमजोर बना देता हैं।
विश्वास और अंधविश्वास की परिभाषा भी कुछ इस तरह से हैं कि हमारे मन की सही धारणा या सत्य के स्थायी तत्वों को "विश्वास" कहते हैं और हमारे मन की गलत धारणा और हानिकारक स्थायी तत्वों को हम "अंधविश्वास" कहते हैं।
हमें अंधविश्वास आखिर होता ही क्यों हैं? अगर हम किसी व्यक्ति की गलत बातों पर भी बिना सोचे समझे और बिना विश्लेषण के हीं विश्वास कर लेते हैं, और बस उसी बात को सर्वथा सही मानने लगते हैं, तो यहीं से हमारे अंदर अंधविश्वास की उत्पत्ति हो जाती हैं।
अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत होती हैं कि सही विश्वास के साक्ष्य व प्रमाण मिलने पर भी, व्यक्ति अपने अंधविश्वास को नहीं बदल पाता हैं। जैसे कि हम कह सकते हैं कि एक धारणा वाले कुछ व्यक्तियों को यह विश्वास हैं कि "भगवान सिर्फ मंदिर में मिलते हैं और कहीं नहीं"। जबकि दूसरी धारणा वाले व्यक्ति मानते हैं कि "भगवान का वास तो हर कण-कण में हैं"।
अब इसमें पहली धारणा वालों का विश्वास बिल्कुल अंधविश्वास हैं और दूसरी धारणा वालों को बिल्कुल सही विश्वास हैं। आप भी हमारी इस बात से सहमत होंगे। विश्वास और अंधविश्वास पर और भी कई उदाहरण हमारे आसपास हर समय बने रहते हैं। बस जरूरत हैं तो उन्हें ध्यान से देखकर उनका विश्लेषण करने की, कि क्या विश्वास हैं और क्या अंधविश्वास?
आज के दिन की महत्वपूर्ण सीख यह हैं कि "यदि हम अपने जीवन के किसी विषय के प्रति अपनी धारणा या मानसिकता को बदलना चाहता हैं, तो सर्वप्रथम हमें यह जांचना होगा कि हमारा विश्वास किस चीज पर हैं। क्योंकि जैसा हमारा विश्वास या अन्धविश्वास होंगा, उसी के अनुकूल हमारी धारणाएं बनेंगी"।
आज के लिए बस इतना ही, फिर मिलेंगे कुछ और नयी बातों के साथ। क्योंकि इन बातों का सिलसिला तो हमेशा चलता रहेगा, तुम्हारे साथ.......।
🌻वासुदेवाय नमः🌻