निःशुल्क
यह मेरी आदतें हमने जन्म से ना पाई है यह सीखी नहीं परिस्थितियों ने सिखाई हैं एक दिन गए बिजली विभाग के दफ्तर में, चार बाबू चाय की चुस्ती में मस्त थे, हमारी कौन सुने वो तो अपने में ही व्यस्त थे लाइन जित