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अक्टूबर डायरी 2021

13 अक्टूबर 2021

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13 अक्टूबर 2021
मेरी प्यारी डायरी
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शुभ-प्रभात एवं जय माता दी,

सुबह से ही आज पूरे घर में हलचल रही । कोई इस बाथरूम में कोई उस बाथरूम में, पहले तैयार होने की होड़ । किचन में हलवे औऱ छोले की महक भूख को तेज करती हुई निकल जाती  । कढ़ाई से पूरियों को तलने से आया धुआँ भी महक का काम करने लगा था । फिर थिंदी देर में आई घर में छन-छन करती हुईं कंजकेँ, कोई रोती हुईं कुछ हँसती हुईं । अहा कितनी सुंदर मनभावन तस्वीर दिखती हुईं ये कंजकेँ। यूँ आँखों को देवियों की तरह लगने वाली सुंदर कन्याएं ।
एक-एक कर सबके पाँव धोकर बिठाया फिर टिक्का मौली औऱ प्रसाद । आज तो बस इसी रौनक़ में सब बीतने लगा ।
दूसरीं ओर लगता है आज बालकॉनी प्रोजेक्ट के लिए लेबर नहीं पहुंची । लेकिन पानी की तराई तो हो रही है ।
अभी के लिए इतना ही ।
फिर मिलते हैं ।
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इस डायरी में मेरी रूटीन के मुतल्लक कुछ बातों का सिलसिला ही दर्ज होगा ।

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