मेरी कलम से निकली सामाजिक तत्वों को उजागर करती कुछ नज़्में इस किताब में नज़र आने वाली हैं । जिनमें आजकल के दौर के रिश्तों को बाखूबी दर्शाया गया है । बजाय मैं खुद कुछ कहूँ इस से बेहतर यही की मेरी नज़्में औऱ कविताएं ही आप से बातें करें । सादर
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