flashback :
राजस्थान ;भरतपुर
जब वो वो एक दूसरे से अनजान थे,,,.।
काव्या , अनिरुद्ध,, सिँह ठाकोर ,,,काव्या घर कि एंजेल थी,, दो भाइयो के बाद मन्नत से मिली थी,,, उसकी मा चंचल,, नाम कि ही तरह शांत और सरल है,, उसके भाई,, गुंडे जैसे,,, आस पास के लोग उस्से डरते है,, अपनी बहन के दो प्रोटेक्टर,,, बिग बी,,,,,!
बड़े भाई का नाम जय सिंह,,, उस्से छोटा भाई,,, विजय सिंह,,, दोनों दिखने मे ही बॉडीगार्ड जैसे लगते है,,, सब लोग जॉइन फैमिली मे रहते है,, उसके चाचा, करण सिंह,,, बड़े ही भोले,, पर औरतो कि तरह चुगलखोर।,, उसकी चाची, सुमन जी उसके पती कि चुगली करने कि आदत से बोहोत परेशान थी,,,, उनका एक बेटा, वनराज सिंह,,, वो भी काव्य से बड़ा ही है,, और काव्य सब से छोटी, और सब कि लाडली,,,।
विरभद्र सिंह, काव्य के दादा जी अब नहीं रहे,,,और कंचन जी काव्य कि दादी जी है,,, सब ख़ुशी ख़ुशी साथ रहते है,,, ना कोई लड़ाई झगड़ा ना ही कोई कलेश सब भाई यों मे भी बोहोत प्यार था और बड़े भाई कि बात मानने के संस्कार, सब लोग एक दूजे कि सहमति से कोई भी काम करते,,, ।
शहर मे सब कि बोहोत इज्जत है,,, पर कोई है जो इस घर से बोहोत ही जलता है,,, केहने को वो एक ही जाती के है पर आये दिन किसी ना किसी बात से इनलोगो के बिच मतभेद होते रहते,,,
वो है, राजेंद्र सिंह,, और उसका भाई, गजेंद्र सिंह, !
दोनों ही बिज़नेस करते है,, !
पर अनिरुद्ध सिंह और उसका भाई,, दयालु स्वभाव के है, उन्होंने जितना बनपड़ता लोगो कि मदद कि लोगो को काम दिया,, उन्होंने उद्योग खोले,, ताकि जरुरत मंद को काम मिले,,, दोनों भाई यही काम मे रहते, के कैसे आगे बढ़ा जाये, और सब से विनम्रता से बर्ताव करने कि वजह से लोगो को उनके साथ काम करने मे ख़ुशी मिलती,,,
यही वजह थी के राजेंद्र सिंह और उनके भाई गजेंद्र सिंह को वो पसंद नहीं थे,,, उसकी फैक्ट्री पर बहोत ही कम मजदूर थे और,, उनका बिज़नेस ज्यादा नहीं बढ़ पा रहा था,,,.।
राजेंद्र सिंह का बेटा अर्जुन सिंह,, बोहोत ही गुस्से वाला था,,आये दिन किसी के साथ लड़ाई के किस्से लोगो को सुनने मिलते,,
हा ये वही है,,,!
इन दोनों मे कोई समानता नहीं, पर वो कहते है ना दिल के तार जहा जुड़ने होते है जुड़ ही जाते है,, इनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है,,,।
अभी तक तो ये दोनों तकराये ही नहीं,, थे क्यूंकि अर्जुन,, अभी अभी हॉस्टल से आया है,।
उसके पापा ने उसके गुस्सैल स्वभाव से तंग आ के उसको,, हॉस्टल भेज दिया था,,.
अब कॉलेज करने अपने शहर वापस आया है,, और हॉस्टल भेजनें के बाद भी उसमे कोई सुधार नहीं आया,,, वो अभी भी खड़ूस का खड़ूस ही है,,!
ये कोई कॉलेज मे मिले और प्यर हो गया ये वाली स्टोरीनहीं,,,
काव्या को ये पढ़ाई लिखाई मे कोई दिलचस्पी नहीं,,
उसने 12th भी पास नहीं कि,, एक बार फ़ैल हो गई बस फिर क्या था छोड़ दी पढ़ाई,,! घूमो खाओ पियो बस और क्या चाहिए???,,, बस यही विचार है काव्या के,,!
अगर कोई कुछ भी कहदे तो बोहोत बुरा लगजाता है महारानी को,, फिर सब इनको मानाने मे लगजाते है,, देखने मे ही इतनी मासूम के कोई भी दिल हार जाये,,, बड़ी बड़ी ब्रॉउन आंखे,, लम्बे और थोड़े से कर्ली बाल,, और पिंक कलर के उसके होंठ,,जब भी बोलती है सब को प्यारी लगती है,, भगवान जी ने बड़ी ही फुर्सत से बनाया होगा,, एक दम परफेक्ट,,,,।
काव्या को घुमने का बड़ा शोख है,, पर अनिरुद्ध सिंह उसे कही जाने नहीदेते,, उसे डर रहता क्यूंकि उनकी एंजेल थी ही प्यारी,, बचा के रखना पड़ता है,,, बस इसी वजह से वो सब से उखड़ी उखड़ी रहती क्यूंकि उसे कैद मे रहना पसंद नहीं,, वो तो पंछी कि तरह उड़ना चाहती है,,,।
पर आज काव्या को बाहर जाने का मन है,,!
बस फिर क्या था काव्या के खुराफाती दिमाग़ मे खिचड़ी पकने लगी,, वो कैसे भी कर के बाहर घुमने जाना चाहती थी,,, वो आयेदिन ऐसे पागल पन करती रहती,, फिर उसको सब कि डांट पडती,,, पर ये सुधरेंगी नहीं जाना है मतलब जाना ही है,,,!
महाशिवरात्रि के दिन मेला लगा था,,, काव्या को बस वही जाना था उसने अपनी फ्रेंड,, पायल को फ़ोन किया, और कहा कैसे भी कर के मेला देखने जाना है,,,.तू रेडी रहना मे फ़ोन करू तू निकल जाना,,उसकी सहेली को भी काव्या के साथ बाहर घुमने का मौका मिलजाता और खर्चा भी नहीं होता,,, क्यूंकि सारे पैसे काव्या देती,, फिर तो वो क्यू ही नहीं जाती,,???
सुबह काव्या कि मा और चाची दोनों किचेन मे सब के लिए नास्ता बना रहे थे,,, तभी काव्या निचे आयी , मुँह फुलाकर,,, उसकी चाची ने उसे ऐसा मुँह बनाते देखा और केहने लगी,,, फिर क्या डिमांड है तुम्हारी,, सुबह सुबह ये क्या मुँह बनाया है,???
तभी चंचल ने सुमन को रोकते हुऐ कहा रहने दो उसकी और देखो ही मत,, इसकी डिमांडे तो कभी ख़तम ही नहीं होने वाली,,!
काव्या ने बिचारा मुँह बनाते हुऐ कहा,, कोई डिमांड नहीं मेरी अब इंसान दुःखी भी नहीं हो सकता???
चंचल ने हस्ते हुऐ कहा ड्रामा बंध कर सब पता है मुजे,,, अब तुम्हारी बातो मे नहीं आने वाली,,
तभी काव्या ने कहा,, मुजे बस पायल के घर जाने दो,, वो कहा दूर रहती है,,, उसके घर तो जाना ही है!
देखा सुमन मेने कहथा ना ये देखो कितना ड्रामा। करती है ये लड़की परेशान होते हुऐ चंचल ने कहा,,.।
काव्या ने फिर हाथ जोड़े चाची प्लीज जाने दो ना शाम को वापस आ जाउंगी,,,। और इस बार तो मे झूठ भी नहीं बोल रही आप सुमन को फ़ोन कर के पूछ लीजिये,,,!
जाने दीजिये ना जेठानी जी,, बच्ची का चेहरा उतर गया घर पे रह के बोर हो जाती होंगी,,। सुमन ने कहा,,
बोर हो जाती है तो क्या हम ने कहा था के पढ़ाई लिखाई छोड़ दे,???,, जितना दिमाग़ ये फालतू चीजों मे दौड़ाती है अगर पढ़ाई मे इतना दिमाग़ लगाया होता तो क्याही बात थी,,,!
काव्या थोड़ी देर निचे मुंडी कर के खड़ी रही और सुनती रही,,
चंचल को काव्या का उतरा मुँह देख के दया आ गई और कहा रुक तेरे भाई को कहती हु,, तुझे पायल के घर छोड़ आये,,।
काव्या कि आंखे चमक उठी,, वो भागते हुऐ अपनी दादी के पास गई,, और केहने लगी दादी पैसे,,??
काव्या कि दादी काव्या के लिए पैसे इकट्ठा करती,, और जब उसे चाहिए वो दे देती,, उसकी हर शरारत के बारे मे दादी को सब पता होता था,,,।
दादी ने तकिये के निचे से पर्स निकला और काव्या को पैसे दिए,, और केहने लगी, मेले मे खो मत जाना,, वरना तेरे पापा परेशान होंगे,,
काव्या ने उसकी दादी के सर पे जोर से पप्पी कि,,, दादी बोलने लगी छोड़ छोड़ मुजे पागल कहींकी,,।
बाहर से हॉर्न कि आवाज आने लगी,, वो भागते हुऐ निचे गई,उसका भाई वनराज उसे पायल के घर छोड़ ने आया था,,
फिर निकली सवारी आज ये लड़की क्या गड़बड़ करेंगी ये तो यही जाने,,,।
खेर ये तो तेय है के अगर घर पे किसी को पता चला तो आज उसके घर जाते ही उसे डांट पड़ने वाली है,पर उसके पहले आज उसकी मुलाक़ात अर्जुन से होने वाली है.।
🙏मूल्यांवान समय देने के लिए धन्यवाद,,,,।।।
जल्दी ही मिलते है कहानी के दूसरे चेप्टर के साथ,,,