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पराई 1

8 दिसम्बर 2021

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रितिका के घर में ख़ूब चहल पहल है , आज लड़के वाले उसे देखने आरहे हैं, रितिका ने  21 वर्ष अभी अभी पूर्ण किए अभी एक हफ़्ते पहले ही उसका बर्थडे दोस्तो ने और घर वालो ने बड़ी धूम धाम से मनाया था,और उसके अगले दिन से घर में उसके लिए लड़का देखना शुरू हो गया, रितिका को समझ में नहीं आया की अचानक ये शादी की बात कहां से आगई,! 

हैं घर में दादा- दादी को बात करते सुना कि रितिका अब बड़ी हो गई है , वह पराया धन है ,वह अपने घर चली जाए तो हम सब मुक्त हो जायेंगे,एक बोझ कम हो जाएगा ।

रितिका इस सोच में पड़ जाती है अचानक वह इतनी बड़ी कैसे होगई,और वह इस घर के लिए बोझ कब से हो गई ,अभी तो उसे मास्टर डिग्री भी करनी है,उसने एक दो बार मां से बात करने की कोशिश की तो मां ने साफ़ साफ़ कह दिया"बेटी ,आज नही कल तो शादी करनी ही है तो अभी ही कर देते हैं!!!


 भईया ने एक अच्छा लड़का बताया है , डाक्टरी कर रहा है ,कुछ दिनों में इंग्लैंड जाने वाला है पढ़ाई के लिए किस्मत से ऐसे लड़के और परिवार मिलते हैं , बहूत आधुनिक लोग हैं , तु  खुश रहेगी और हमे क्या चाहिए,"। 


रितिका मां से लिपट कर कहती है" नही मां मुझे अभी और पढ़ाई पूरी करनी है,में आप लोगो के बिना नहीं रह सकती,"। उसकी मां प्यार से सर पर हाथ फेरते हुए कहती है" बेटी पराया धन होती है, आखिर कितने दिन रखेंगे,और अच्छे रिश्ते तो भाग्य से मिलते हैं बेटी अब उनकी इच्छा होगी तो आगे की पढ़ाई कराएंगे ,वैसे भी कौन सी तुझे नौकरी करनी है हूं चल जा आराम कर टैंशन मत ले जो होता है अच्छे के लिए होता है,” !!!

मां वहा से जाती है, रितिका की आंखो में आंसू आते हैं वह उंगली से पोछती है और सोचने लगती है,कल तक जिस घर की वो लाडली थी अब वही उसे बार बार पराया कह रहा है,उसके घर में आधुनिकता की कोई कमी नहीं थी ,बस कमी थी तो एक वह ये की औरतों की इस घर में चलती नही थी ,उसके पिता एक सफल व्यापारी हैं ,और दादा अपने समय में बड़े पुलिस ऑफिसर थे,उन्ही की कमाई से ही उसके पापा ने ऑटोमोबाइल का बड़ा व्यापार शुरू किया जो दिन दूना रात चौगुना बढ़ता गया,आज उनके शहर में नं एक पर हैं, और इस बात का उन्हे गुमान भी है जो गाहे बगाहे उनकी बातो से पता चलता रहता है, या ये कहें की हर दूसरी बात पर ये जाता देते हैं की वो नं एक हैं,।

उसके दादा तो दादा ही हैं,वो आज भी ख़ुद को ऑफिसर ही समझते है और जो उन्होंने कहा वो पत्थर की लकीर समझी जानी चाहिए वरना वो अपनी पिस्टल निकलने में समय नहीं गवाते है,ऐसा नहीं की वो सिर्फ़ दिखाते हैं , दो लोगो को 3 साल पहले घर के सामने ही ढेर कर दिया बड़ी मुश्किल से सेफ्टी के कारण गोली चलाया गया साबित करवा कर बच पाए थे, लाखो रुपए लग गए थे,पर ऐंठन कम नहीं हुई,।

 इन्ही कारणों से घर की औरते यानी की वो और उसकी मां कुछ बोल नहीं पाते थे, ऐसा नहीं की कोई कमी थी,अगर रितिका कोई एक समान मंगवाती तो 2 आता था ,उसके पापा और दादा दोनो भाईयो से ज्यादा उसको प्यार करते थे, और दादी तो जान छिड़कती हैं,क्या मजाल है कोई उसे कुछ बोल दे ,पर बात वही होती थी, बेटी है तो पराया धन,।

बाहर कार के हॉर्न की आवाज़ आती है,उसकी तंद्रा टूटती है ,उसका भाई बोल रहा है वो लोग आगये,सभी बाहर की ओर जाते हैं मां जल्दी से उसके पास आकार कहती है "तु अभी तक यही खड़ी है ,चल जल्दी तैयार हो जा,लड़के वाले आगए है," रितिका मां को देखती है मां उसके सामने हाथ जोड़ते हुए चलने का इशारा करती है।
लड़के वाले हॉल में बैठे हैं ,उनके सामने नमकीन और मिठाई के कई आईटम रखे हैं ,लड़का सुंदर स्मार्ट है या ये कहें की दोनो की जोड़ी परफेक्ट रहेगी तो गलत नहीं होगा,लड़के की मां उसकी बहन और पिता भी देखने में सभ्य और सुसंस्कृत लग रहे हैं,उसी समय रितिका मां के साथ आती है वह सभी को प्रणाम करती है ,लड़का और पूरा परिवार उसे देखने लगते हैं, रितिका ख़ुद को सम्हालने की कोशिश करती है,!!!

लड़के की मां मेघना कहती है "बैठ जाओ बेटी,"रितिका बैठती है उसे ऐसा लगता है जैसे अपने घर में ही पराई हो गई है,उसके दादा कहते हैं "देख लो भाई बड़े लाड़ प्यार से पाला है हमने अपनी बिटिया को,बड़े अरमानों के बाद लक्ष्मी के रूप में ये आई थी वरना दो पुस्तो से तो हम लड़के ही थे”। सभी हंसते हैं, रितिका मन ही मन सोचती है, इतना चाहते हैं तब भी तो भगाने पर लगे हैं , मेघना कहती है" भाई हम तो बेटी ही लेने आए हैं , बहु तो नाम के लिए होगी,हमारे यहां जैसे यहां है वैसे ही रहे आगे पढ़ना है तो पढ़ाई भी कराएंगे बस बेटे के जाने से पहले शादी निपटाना है,"!!

रितिका को ये जान के खुशी होती है कि चलो उसकी पढ़ाई का टैंशन तो खतम हो गया और बातो से लग रहा है की बाकी प्रोब्लम भी नही होगा,तभी उसके दादा बोलते हैं " देखिए हम भी चाहते हैं कि ये जहां भी जाए खुश रहे , इकलौती बेटी है दिल तो नही करता पर हमारे समाज के जो रीति रिवाज है वो तो मानना पड़ेगा,"।!!

क्रमशः


Anita Singh

Anita Singh

बहुत ही सुंदर लिखा है

28 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

29 दिसम्बर 2021

धन्यवाद जी नमस्कार

कविता रावत

कविता रावत

समाज का आईना साफ दिखता है कहानी में लडकी को पराया धन समझने वाले कब एक दिन पराए हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता है बहुत अच्‍छी कहानी

18 दिसम्बर 2021

 Dr Vasu Dev yadav

Dr Vasu Dev yadav

अच्छी लेखनी लड़की को पराई कह कर माता पिता भी कितने दुखी होते है यह समझने की बात है पर समाज के आगे वे भी विवश हैं

8 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

8 दिसम्बर 2021

सही कहा

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत ही तकलीफ देने वाले शब्द हैं कि बेटी तू तो पराया धन है। जन्मदाता पराया धन कहते हैं और ससुराल वाले पराई जाई... अब लड़की जाये तो कहाँ जाये? राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻

8 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

8 दिसम्बर 2021

वही तो समस्या है

संजय पाटील

संजय पाटील

वास्तव मे इस टॉपिक मे लेख लिखना भावुकता से परिपूर्ण होता है | शानदार लिखा है आपने 👌

8 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

8 दिसम्बर 2021

धन्यवाद जी

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Bahut hi shandaar Likha aapne 👏👏

8 दिसम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

8 दिसम्बर 2021

धन्यवाद जी

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रचनाएँ
पराई
5.0
लड़की जब अपने घर रहती है ,तो उसके मां बाप उसे पराया धन कहते हैं और जब ससुराल जाती है तो वहां भी उसे पराए घर की कहा जाता है ,लड़की सोचती है की आखिर उसका घर कौनसा है ,उसके अपने कौन है,,,

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