लड़के का बाप कहता है,"बाबूजी अब बेटी को तो भेजना ही होता है ,मेरी भी दो बेटियां थी उन दोनो के जाने के बाद घर खाली खाली हो गया अब ये भी चला जायेगा तो घर तो काट खाने को दौड़ेगा, इसीलिए इसकी शादी कर रहे हैं।
रितिका सोचती है काश लड़का उसे रिजैक्ट कर दे, फिर तुरंत सोचती है ये तो परिवार और लड़का दोनो ही अच्छे लग रहे हैं ,दूसरे अच्छे नहीं हुए तो ,जब दादा जी ने कह दिया है तो पापा शादी कर के ही मानेंगे,तो रोज रोज की प्रदर्शनी से अच्छा यही लोग फाइनल कर ले,!!!
मेघना बेटे से पूछती है"बेटा तुझे कोई बात करनी है या पूछना है तो पूछ ले,"! लड़का जिसका नाम वीरेन्द्र है वह कहता है " बात तो करनी है पर वो”वह दादा जी और रितिका की मां की तरफ देखता है तो रितिका के पापा कहते हैं " रितु बेटा जा इसे घर भी दिखा दे ,और तुझे भी कुछ पूछना हो तो पूछ ले तेरी पसंद न पसंद जरूरी है"!!!
मेघना भी हां में हां मिलाते है,मां रितिका को इशारा करती है तो रितिका आगे बढ़ती है ,उसके पीछे वीरेन्द्र भी जाता है,।
दोनों टैरेस पर खड़े हैं,रितिका शांत खड़ी है ,!!!
वीरेन्द्र पूछता है "हां जी ,! आप कुछ पूछना चाहेगी" रितिका उसकी तरफ देखते हुए कहती है "पहले आप पूछ लीजिए” वीरेन्द्र मुस्कराकर कहता है" लेडीज फर्स्ट,पहले आप पूछ लो जो पूछना है,"।
रितिका कहती है" आप इतनी जल्दी शादी क्यों करना चाहते हैं,आई मीन मुझे अभी और पढ़ाई करनी है”!
वीरेन्द्र कहता है" आगे की पढ़ाई हमारे यहां से कर सकती हो,हमे कोई प्रोब्लम नही है,और रही शादी करने की बात तो वो पापा ने बताया ही , हा एक बात बताओ तुम्हारा कोई आशिक वाशिक तो नही है न , सॉरी आप गलत मत सोचना, आजकल लड़कियों के ऐसे केसेस बहुत हुए हैं कि मजबूरी में शादी कर ली और बाद में भाग लिया अपने आशिक के साथ” !
रितिका यह सुन सरप्राइज्ड रह जाती है ,वह बोलती है" हमारे घर के संस्कार इतने खराब नही हैं की हम अपनी राह से भटके,हम कॉलेज सिर्फ़ पढ़ने जाते थे आशिकी करने नही और यही बात मैं आपसे भी पूछ सकती थी" !
वीरेन्द्र कहता है" मैने पहले ही सॉरी बोल दिया फिर भी दुबारा से सॉरी,”! रितिका कहती है" इट्स ओके,इतना ही पूछना था या कुछ और भी” वीरेन्द्र मुस्कराकर कहता है" बस एक बात ,आप मुझे रिजेक्ट मत कर देना, उस बात के लिए फिर से सॉरी”! वह कान पकड़ता है ,!!!
रितिका कहती है "अब सॉरी कहा तो रिजेक्शन ही होगा ,मुझे पति चाहिए चापलूस नही"। दोनो हंसते हैं।
दोनो नीचे आते हैं , वीरेन्द्र मां को यस का इशारा करता है,मां मुस्कराते हुए कहती है"।
हमे तो बेटी पसंद है अब आप लोग बेटी से पूछ लिजिए”!
रितिका मां को देखती है और हां में सिर हिला कर इशारा करती है, मां खुश होकर कहता है," आप लोग मुंह तो मीठा करिए” रितिका के पापा और दादा दादी खुश होते हैं, !!!
दादा कहते हैं" भाई लेन देन का कुछ बताएंगे”! वीरेन्द्र के पापा कहते हैं" पापा जी ,आप लोगो के आशीर्वाद से पहले ही सब कुछ भरा पूरा है ,आप जो देना चाहे अपनी बेटी को दीजिए ,हमे तो बेटी चाहिए बस,”! सभी खुश होते हैं,दादा कहते हैं "कल ही पंडित जी को बुलाकर डेट फाइनल करते पहले ही अच्छे मुहूर्त में शादी सम्पन्न कराते हैं,।!!
रितिका की शादी धूम धाम से होती है,रितिका का परिवार बहुत खुश होता है, ईधर मेघना का परिवार भी बहुत खुश है ।
रितिका विदा होकर ससुराल आती है ,!!!
उसके दिल में घबराहट हो रही है ,नई जगह नए लोग वह कैसे एडजस्ट करेगी,वैसे उसे अपने सास ससुर और पति पर पूरा भरोसा था पर उसने सुन रखा था कि कुछ रिश्तेदार हमेशा बिगाड़ने में लगे रहते हैं और वो घर में झगड़े भी लगाते हैं ,इस तरह के लोग कभी किसी को खुश नही देख सकते हैं,!
ससुराल में उसका भव्य स्वागत होता है उसके दादा ने इतना कुछ दे दिया की उसके ससुर को बोलना पड़ा भाई हम ये सब रखेंगे कहां,तो उसके दादा ने कहा घर भी ले दे क्य,!!!!
दादा ने सब सामान ट्रकों में भरकर भिजवा दिया, एक ट्रक में तो सिर्फ मिस्ठान भरे थे, हर बाराती को एक एक सोने की अंगुठी दिया सबकी बिदाई बहुत ही शानदार तरीके से की ,पर उसमे भी कमी निकालने वालो की कमी नहीं थी,कुछ लोगो ने कहा यार बड़े होने का दिखावा कर रहे हैं,तो कोई कहता है ये क्या 5 ग्राम की अंगुठी टिका दिया,।!!
रितिका को लाकर एक कमरे में बिठा दिया गया और वीरेन्द्र कि बहने उसके पास बैठकर कहने लगी” रितिका तुम्हे खाना बनाना आता है की नही ,हमारे पापा खाने के शौकीन हैं ,हमारा भाई भी खाने में बहुत तकझक करता है*"!!!
, रितिका मन ही मन घबरा जाती है, उसे ऐसा लगता है जैसे उसे सिर्फ खाना बनाने के लिऐ ले आए हैं, दुसरी औरते भी आकर कहती है " ये तुम्हारा घर नहीं ससुराल है, मायके के नखरे भूल जाना वैगेरा वगैरा ,सबकी सुन - सुन के रितिका के मन में डर बैठने लगता है।!!
शाम होते होते वह समय आ जाता है जिसका इंतजार हर लड़के - लड़की को होता है,रितिका को उसकी ननंदे उसको एक फूलों से सजे कमरे में बिठाकर जाति हैं और डरा के जाती हैं की ठीक से बिहेव करना वरना हमारा भाई बहुत ही गुस्सेल है,!!
रितिका सोचती है आज पहले दिन ही ये लोग इतना डरा रहे हैं,तभी कुछ लड़कियां वीरेन्द्र को छोड़कर जाती हैं , वीरेन्द्र दरवाजा बंद कर अंदर आता है और बेड पर उसके पास बैठकर कहता है,"सॉरी मैं तुम्हे टाइम नही दे पाया ,वैसे भी मेहमानो के सामने पहले ही दिन थोड़ा अवॉइड करना बैटर होता है,वरना लोग पहले दिन से ही जोरू का गुलाम बना देंगे,वैसे आज तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो ,जैसे चांद आसमान से आकर चांदनी यहां मेरे कमरे में बिठाकर चला गया,आई मीन हमारे कमरे में, मैं तो तुम्हारा आशिक तुम्हे पहली बार देखते ही हो गया था,पर आज तो दीवाना हो गया,"।!!
रितिका मुस्कराकर कहती है "वाह डॉक्टर साहब तो शायर बन गए,वैसे आप भी काम नहीं लग रहे हैं ,ऐसा लग रहा है जैसे सारे सितारे एक होकर मेरे सामने आ बैठा हैं,"।
वीरेन्द्र मुस्कराकर उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर प्यार से कहता है "अपने इस सितारे को अपनी चांदनी का दीदार तो करने दो,(उसे प्यार से देखते हुए,)में सच में बहुत लक्की हूं जो तुम्हें पाया , दिल करता है तुम्हारी इन झील सी आंखो में खो जाऊं”!!!
रितिका मुस्कराकर कहती है" डॉक्टर साहब इतना भी मत खो जाइएगा की ढूढना मुश्किल हो जाए”.! दोनो हंसते हैं , वीरेन्द्र रितिका के माथे को चूमता है, रितिका अपने आप को उसके हवाले कर देती है,वह आज के इस हसीन पल को गवाना नही चाहती थी, और फिर दोनो एक दूसरे में समां जाते हैं,।!!
दूसरे दिन सुबह सुबह मेघना रितिका को तैयार करके अपने केमरे में ले आती है,रितिका का सुहाग रात होने की वक्ष से वह ढंग से सो भी नही पाई थी, पर रिश्तेदार सुबह सुबह जाने की तैयारी में जुटे थे तो उन्हें रितिका की बिदाई करके जाना था ,तो मजबूरी में उसे भी उठना पड़ा, उस पर वीरेन्द्र कि बहने मजाक भी कर रही थी ,जो हमारे यहां का विशेष हक़ माना जाता है,।!!!
रितिका ने अपने घर में कभी साड़ी नही पहना था और यहां उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ साड़ी ही पहनना पद रहा था,जिस वजह से वह ज्यादा डिस्टर्ब थी,उसके घर वालो ने शादी की जल्दी तो कर दी पर ससुराल में होने वाली प्रोब्लम के बारे मे नही सोचा ,काम से कम एक हफ़्ते उसे साड़ी पहनने का तरीका सीखा दिया होता,तो आज उसे तकलीफ़ नहीं होती,ऐसा लगता था जैसे उसे भगाने की जल्दी थी ,अगर शादी नही करते तो शायद वो कहीं भाग जाती या उनकी नाक कटवा देती , !!!
लड़की के मां बाप भी अजीब होते हैं,20- 25 साल तो बड़े लाड़ प्यार से पालते हैं और बाद में जैसे वो दुश्मन हो जाती है, खैर इस परंपरा को तोड़ना सम्भव भी नही है जिन्होंने तोड़ने की कोशिश की या तो समाज से खुद बहिस्कृत हुए या पूरे परिवार को बहिष्कृत होना पड़ा, उनकी जिंदगी लोगो ने नर्क बना दिया,उसी समय एक रिश्ते की बुआ कहती है"अरे बहू कहां खो गई ,(मेघना से) ये लो भाभी ये तो अभी से सबको अवॉइड करने लगी , मैं आवाज़ दे रही हूं और बहुरानी पता नही किसकी याद में खोई हैं" !
रितिका हड़बड़ा कर कहती है" सॉरी आंटी वो में कुछ सोचने लगी थी," बुआ मुंह बना कर कहती है " लो बहू भी अंग्रेजन लाई हो भाभी अब बुआ बोलने में जबान लड़खड़ा जायेगी, अंग्रेजी में आंटी बोलेंगी , अरे बुआ का मतलब अलग है और मौसी का अलग चाची काकी का अलग है,सबको एक बराबर कर दिया,!!!
मेघना कहती है "जाने दो दीदी अभी बच्ची है,सब सीख जायेगी"! बुआ कहती है" हां अभी से सर चढ़ा लो ,बाद में खुद ही भुगतना,”! वह अपना नेक पद देकर सबको विश करके जाती है ।!!
शाम को रितिका अपने कमरे में बैठकर पूरे दिन कि बातो का निचोड़ निकलने में लगी थी,उसे समझ नहीं आ रहा था कि इन सब में उसकी गलती कहां है ,घर वाले ने उसे पराई कर दिया, और ससुराल वाले उसे अपना मानने को तैयार नहीं हैं, सासू मां ने कहा था बेटी बना कर रखूंगी पर यहां के हालात से लगता है वो ढंग की बहू भी बनने लायक़ नही है । सिर्फ़ एक पति हैं जो उसे अब तक समझ रहा है , सासू मां तो अभी न्यूट्रल है ,उनके बारे में वह कुछ डिसाइड नही कर पा रही थी , ससुर जी ने तो मुझे कुछ भी नही कहा वो वैसे भी औरतों के बीच में नही आते हैं ।
वह सोचते सोचते पता नही कब सो गई,मेघना कमरे में आती हैं रितिका को सोते देख चुप- चाप बाहर जाती है,उसी समय उसकी बड़ी बेटी अंजना आती है और पूछती है" महारानी कहा हैं (मेघना उसे देखती है, अंजना सकपका के कहती है) आपकी बहुरानी की बात कर रही हूं, मां उसे ज्यादा सर मत चढ़ाना वरना बाद में रोना पड़ेगा,"!
मेघना बेटी को देखती है और कहती है" तु यहां की चिंता मत कर,अपना घर ढंग से सम्हाल”!
अंजना मुंह बना कर कहती है" वो तो मैं ही सम्हालती हूं,हमारे ऐसे भाग्य कहां ,आप की बहुरानी तो यहां ऐश करेगी,”! वह जाती है मेघना सोचती है ,।!!
दूसरे दिन वीरेन्द्र की छोटी बहन संजना रितिका से आकर कहती है," रितिका ,(रितिका हड़बड़ा कर देखती है) चलो जल्दी से तैयार हो जाओ पड़ोस वाले आने वाले हैं,और हां साड़ी जरा ढंग से पहनना,और तुमसे कई बार बोला है कि ये तुम्हारा ससुराल है, मायेका नही ,यह तुम्हारे मां बाप नही है जो तुम्हारे नखरे उठाएंगे,जल्दी तैयार होकर आजाओ,"!
वह जाती है रितिका 5 दिन के लगातार इस एक्सरसाइज से परेशान हो चुकी थी,एक तो उस से साड़ी पहनी नही जाती है फिर भी किसी तरह पहन कर वह आती , तब दूसरे मेहमान आने के पहले उसे फिर से नई साड़ी पहननी पड़ती है,अब उसे लगता है कि ये सब छोड़ के भाग जाए , और कहा जायेगी अब तो उसका घर ही नही रहा, जो भी है अब उसे यही रहना है,वीरेन्द्र भी सुबह से बाहर गए हैं,वरना उनसे ही बाते कर मन हल्का करती,वह सोचती है मोबाइल पे कॉल करले पर कही उन्हे बुरा न लग जाए इस डर से वह नही करती है,वैसे तो दिन में कई बार दादा , पापा और मम्मी के कॉल आते हैं,पर वह कुछ नहीं बोलती है,क्योंकि जब उन्होंने उसे पराया कह कर निकाल दिया तो अब उनसे क्या शिकायत करे,उसकी आंखों से आंसू निकलते हैं ,तभी मेघना अंदर आती है और उसके आंखों में आंसू देख पूछती है" क्या हुआ बहू ,कोई तकलीफ़ है क्या ? तबियत तो ठीक है ना”!
रितिका मेघना को देख कहती है" मम्मी मेरा घर कहा है, बचपन से लेकर अब तक घर में यही सुनती आई की मैं पराए घर की अमानत हूं,और यहां सब कहते है ये मौका नही ससुराल है ढंग से रहना पड़ता है, आप जब देखने आई थी तो कहा था बेटी बना कर रखूंगी, पर मैं तो बहू भी नहीं बन पा रही हूं मैने इतने दिन साड़ी कभी नहीं पहनी ,पर यहां दिन में कई बार बदल रही हुं, मम्मी प्लीज आज मुझे रेस्ट करने दीजिए मैं थक गई हूं कल से फिर सब करूंगी ”!
मेघना उसे ध्यान से देखती है,उसके मासूम चेहरे पर एक अवसाद नज़र आता है, वह उसे प्यार से देखते हुए कहती है" सॉरी बच्चा,तुझे जो पहनना है अपनी पसंद का पहन ले ( रितिका मेघना को आश्चर्य से देखती है) में सच कह रही हुं बेटी कपड़े पहन कर बाहर आ जाओ मैं बाहर हुं।
थोड़ी देर में रितिका जींस और कुर्ती में बाहर आती है वह इस ड्रेस में बहुत ही सुंदर लग रही है, !!!
वीरेन्द्र की दोनो बहने देख मां से कहती है" मम्मी ये सनक गई है क्या? मेघना रितिका के पास जाकर कहती है ये इसका घर है और ये मेरी बेटी है इसे जो पहनना है पहने और जैसे रहना है रहे, मुझे बुरा नही लगेगा ,जिसे बुरा लगे वो अपने अपने घर जाए,पूरे घर में चुप्पी छा जाती है ,!!
रितिका मेघना के गले कर कहती है थैंक यू मम्मी ,मेघना उसके सर पर हाथ फेरते हुए सबको देखती है ।
समाप्त