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तूफानों के गुजरने तक सब्र रख, ज़िंदा अगर है, तो पड़ोस की ख़बर रख कहीं ऐसा न हो, तूफानों के साथ ज़िन्दगी तेरी मौत के मुँह में गुजर जाएगी, घर पड़ोस का टूटेगा, नीब तेरी भी उजड़ जाएगी,
अपने दर्द को अपनों से छुपता हूँ मै, अपने दर्द की दस्ता अपने आप को सुनता हूँ मै | ज़िन्दगी में अपनों के बोझ को अकेले उठता हूँ मै, खुद असहज रहता हूँ मै, पर अपनों को हर वक्त हँसता हूँ मै खुदेड़