अपने दर्द को अपनों से छुपता हूँ मै,
अपने दर्द की दस्ता अपने आप को सुनता हूँ मै |
ज़िन्दगी में अपनों के बोझ को अकेले उठता हूँ मै,
खुद असहज रहता हूँ मै, पर अपनों को हर वक्त हँसता हूँ मै
खुदेड़
11 अप्रैल 2015
आशा है हम आपके दर्द का हिस्सेदार बन आपकी विपदा कम कर सकेंगे .....खूब लिखा है अपने
11 अप्रैल 2015