रंग कब बिगड़ सका उनका
रंग लाते दिखलाते हैं ।
मस्त हैं सदा बने रहते ।
उन्हें मुसुकाते पाते हैं ।।१।।
भले ही जियें एक ही दिन ।
पर कहा वे घबराते हैं ।
फूल हँसते ही रहते हैं ।
खिला सब उनको पाते हैं ।।२।।
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
4 मार्च 2016
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'