फूल और काँटा
हैं जन्म लेते जगह में एक ही, एक ही पौधा उन्हें है पालता रात में उन पर चमकता चाँद भी, एक ही सी चाँदनी है डालता। मेह उन पर है बरसता एक सा, एक सी उन पर हवाएँ हैं बही पर सदा ही यह दिखाता है हमें, ढंग उनके एक से होते नहीं। छेदकर काँटा किसी की उंगलियाँ, फाड़ देता है किसी का वर वसन प्यार-डूबी तितलियों का