बसंती हवा हूँ
हवा हूँ, हवा मैंबसंती हवा हूँ।सुनो बात मेरी -अनोखी हवा हूँ।बड़ी बावली हूँ,बड़ी मस्त्मौला।नहीं कुछ फिकर है,बड़ी ही निडर हूँ।जिधर चाहती हूँ,उधर घूमती हूँ,मुसाफिर अजब हूँ।न घर-बार मेरा,न उद्देश्य मेरा,न इच्छा किसी की,न आशा किसी की,न प्रेमी न दुश्मन,जिधर चाहती हूँउधर घूमती हूँ।हवा हूँ, हवा मैंबसंती हवा