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मैं एक चित्रकार व साहित्यकार हूं।

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ब्लाइंड

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प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे ब

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ब्लाइंड

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प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे ब

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गांव

गांव

गांव वह सुहानी सी पुरवाई , लहलहाते खेत, झूमती अमराई। क्या देखा है आपने गांव? जहां अल्हड़- सी प्रकृति, नव यौवना की भांति मुस्काई। दूर गायों की घंटियों की रुनझुन , लौटते ग्वाल ,उछलते जानवरो के निनाद , जैसे गाते कोई गीत- बधाई । जलते चुल्हो के उठते

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गांव वह सुहानी सी पुरवाई , लहलहाते खेत, झूमती अमराई। क्या देखा है आपने गांव? जहां अल्हड़- सी प्रकृति, नव यौवना की भांति मुस्काई। दूर गायों की घंटियों की रुनझुन , लौटते ग्वाल ,उछलते जानवरो के निनाद , जैसे गाते कोई गीत- बधाई । जलते चुल्हो के उठते

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कॉलेज गोइंग लड़कियां

कॉलेज गोइंग लड़कियां

(कॉलेज गोइंग लड़कियां) यह कॉलेज गोइंग लड़कियां! कितनी बेलौस, बेतरतीब ,बे खौफ! चलती नहीं, उड़ती है! अपने तमन्नाओं के पंख पर बेहिसाब। आंखो में सैंकड़ों ख़्वाब। परम आधुनिका। हाथों में लिए स्मार्ट फोन पर उंगलियां फिराती, अधखिली-सी! हंसती, मुस्काती। राह च

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(कॉलेज गोइंग लड़कियां) यह कॉलेज गोइंग लड़कियां! कितनी बेलौस, बेतरतीब ,बे खौफ! चलती नहीं, उड़ती है! अपने तमन्नाओं के पंख पर बेहिसाब। आंखो में सैंकड़ों ख़्वाब। परम आधुनिका। हाथों में लिए स्मार्ट फोन पर उंगलियां फिराती, अधखिली-सी! हंसती, मुस्काती। राह च

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ब्लाइंड (भाग -32)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -32</div><div>समय बीतता जा रहा था पर नील की प्रतिक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं हुआ !जॉनसन

ब्लाइंड (भाग -31)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -31</div><div>नील का जीवन यूं ही बेलगाम चलने लगा था। कोई योजना नहीं ,कोई बंधन नहीं, स्वच्छं

ब्लाइंड (भाग -30)

13 दिसम्बर 2021
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<div>भाग -30</div><div>नील लेटे हुए छत को निहार रहे थे, आत्म -दहन की प्रक्रिया से गुजरते हुए। सब कुछ

ब्लाइंड (भाग -29)

13 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">भाग-29<br> सुबह का समय था ।नील याना के साथ घाट की सीढ़ियों पर बैठे थे ।गंगा की लहरें शा

ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-28</div><div>यह वह समय था जब गांधी जी के चरखे ने जोर पकड़ रखा था। याना भी इससे अछूती नहीं थ

ब्लाइंड( भाग- 27)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-27</div><div>शाम का समय था ।नील उदास से अपने घर पर बैठे थे। आंखें कुछ देखना चाहती थी, पर वह

ब्लाइंड( भाग- 26)

12 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-26</div><div>जेनी एक बार फिर जा चुकी थी, नील को अकेला छोड़कर। नील एक बार फिर वही पहुंच गए ज

ब्लाइंड (भाग -25)

11 दिसम्बर 2021
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<div><b>भाग-25</b></div><div><b>नील का जीवन अब बदलाव की ओर अग्रसर था ,पर इस बदलाव में सिर्फ खुशियां

ब्लाइंड (भाग -24)

11 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div>"अब हम यहां नहीं रहेंगे, इस लड़की ने तो जैसे हमारा जीना मुश्किल कर दिया है

ब्लाइंड (भाग- 23)

11 दिसम्बर 2021
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<div>भाग-23</div><div>नील के सपनों की यह टूटन प्रथम नहीं थी। मातृ- विहीन नील का अतीत और भी भयानक हाल

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