shabd-logo

ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021

17 बार देखा गया 17
भाग-28
यह वह समय था जब गांधी जी के चरखे ने जोर पकड़ रखा था। याना भी इससे अछूती नहीं थी ।समय मिलने पर चरखा तो कातती ही, लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करती ।ऐसा नहीं कि वह गांधी जी से प्रभावित थी, बल्कि उसे गांधी जी की इस कथन पर विश्वास था कि ,"हर गांव में ...हर एक घर अगर चरखा काटने में जुटे तो यह गरीबों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा ....और भारत की गरीबी में यह खासा कमी ला सकता है। याना का यह मानना था कि व्यक्ति का, खासकर औरतों का आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है।
        नील ने भारत आकर याना का दूसरा ही रूप देखा। उन्होंने फिर से महसूस किया कि जीवन के जिन तथ्यों, उपलब्धियों को पाने के लिए वे हमेशा तरसते रहे उन्हें याना ने सहज ही पा लिया है ।सही मायने में जीवन के अर्थ ,उसके मूल्यों को आत्मसात कर लिया है। याना का साथ मिल जाने से उन्हें खुद का जीवन सार्थक जान पड़ा ।
      ऐसा नहीं कि नील में कभी सादा जीवन जिया ही ना हो ,पर इस बार खासा मुश्किल था। हां मन में कहीं जॉन के दूर जाने की पीड़ा की कसक थी, पर उनके लिए जीवन की परीक्षाओं की या एक और कड़ी थी और इसके लिए उन्होंने खुद के घर से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी ।अन्य कार्यों के लिए तो याना थी ही।याना के सामाजिक कार्यों में उन्हे साथ देना काफी सुहाना लगा। हालांकि यह कार्य काफी श्रम साध्य था, पर वैचारिक श्रम से कमतर। उन्हें लगने लगा कि यही वास्तविक खुशी है। जिस जीवन की कल्पना उन्होंने जॉन के साथ की याना के साथ उन्होंने  सहज ही पा लिया और याना नील को इन कार्यों का मर्म भी समझा गई।
     नील ने ध्यान से उसको पढ़ने की कोशिश की ,कुछेक सालों में पाश्चात्य सी दिखने वाली याना एक संभ्रांत महिला सी दिखने लगी थी। चेहरे पर मंद स्मित मुस्कान ,आंखों में एक अनोखा तेज जो उसके गोरे से चेहरे को और भी गरिमामय  बनाता। हल्के रंग की साड़ी में लिपटी , शब्दों से ज्यादा उसका मौन हीं लोगों से संभाषण करता ।याना की यह गरिमा पूर्ण सादगी नील को उद्वेलित करती प्रतीत होती।"
        सामाजिक कार्यों के लिए अक्सर याना दूसरे शहरों में आती जाती रहती। ऐसे ही कार्य बस एक बार वह बनारस से काफी दूर रही जो नील के लिए असह्य था ।नील इस तथ्य को समझ नहीं पा रहे थे। चोट खाए नील के लिए वह एक संबल की तरह थी और उसका आकर्षण कहीं ना कहीं मन में दबा पड़ा था जो उन्हें सहज नहीं रहने देता। बेचैनी काफी बढ़ गई तो उन्होंने याना को एक पत्र लिख भेजा ।याना के लिए यह काफी आश्चर्यचकित कर देने वाला था, क्योंकि नील ने उसके प्रति अपने आकर्षण की स्वीकारोक्ति शब्दों में पहली बार की थी। इस पत्र में उन्होंने अपनी भावनाओं को उड़ेल कर रख दिया था ।कुछ कुछ बालको सदृश्य। लिखे हुए शब्दों में हृदय की विवशता स्पष्ट परिलक्षित हो रही थी। हालांकि इस पत्र में उष्मा थी ,पर याना के लिए यह कोई मायने नहीं रखता था क्योंकि वह खुद को मानव सेवा हेतु समर्पित कर चुकी थी। फिर भी उसे नील का यह पत्र बेचैन कर गया।
      वह जवाब लिखने बैठी पर कुछ शब्दों से आगे ना बढ़ सकी। उसके अंतस में उथल-पुथल मच गया। वह खुद के सापेक्ष नील को देखती, फिर समाज को ,फिर खुद की खुद की भावनाओं को भी। अनोखे अंतर्द्वंद में फंसी वह जवाब लिखने बैठी---
      " आपका पत्र मिला ।मेरे मन में आपके लिए कई तरह के विचार आए ।कई भावनाएं शब्दशः लिखना संभव नहीं, पर आपने मुझे दुविधा ग्रस्त कर दिया ।इतना कि मैं भी नहीं जानती..... मैं आपको क्यों लिख रही हूं !....मुझे पता है आपको मेरे पत्र का बेसब्री से इंतजार होगा ।पर मैं अभी आप को लेकर कुछ खास फैसला न कर सकी।... क्षमा चाहती हूं उसके लिए।
           ..... याना
नील की आशाओं के बिल्कुल विपरीत था याना का यह जवाब ।वह वापस आई तो नील उसके द्वारा बनाई गई अधूरी पेंटिंग को पूरा करने में व्यस्त थे। याना ने उनसे बात की जो महज औपचारिक थी।नील उससे कहना चाहते थे----
"...... तुम मुझे गलत मत समझना ।तुम नहीं जानती तुमने मेरे अंदर कैसी भावना भर दी है ....परंतु अंततः में टूटा हूं!.... क्या करूं?"
रात हो चुकी थी। चिड़ियों की चहचहाहट ,पेड़ों के साए साए और झींगुरों का आर्तनाद वातावरण में एक अद्भुत कोलाहल उत्पन्न करते  जिनके बीच गंगा की लहरों की हल्की सी आवाज शांति प्रदान करती।
   याना नील के लिए चाय लाई थी, बिना दूध की।
नील ने कहा," मुझे मालूम है मैंने तुम्हारे अंदर एक हलचल-सी पैदा कर दी है !जो तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से भटका सकती है। पर विश्वास मानो जिन आदर्शों को तुम अपने जीवन में लेकर चली हो मैं उन्हें कभी भी टूटने ना दूंगा ।वरन मेरे कारण तुम्हें उस में मजबूती ही नजर आएगी ।बस मुझे तुम्हारा साथ चाहिए, मैं जानता हूं तुम्हारा संकल्प दृढ़ है पर अंततः मेरी भावनाएं......?" याना उनसे दूर हट गई ।
"....याना.... याना....!" नील पुकारते रहे।
वह स्तब्ध थी !नील की आवाज उस तक नहीं पहुंच पाई।
    भोजन के समय भी याना मौन रही ।हां उसने नील की पसंद का भोजन जरूर बनाया था जिसे वे चटखारे लेकर खा रहे थे ....बच्चों सदृश्य ! याना हंस पड़ी। नील को लगा कोई बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो।

31 दिसम्बर 2021

32
रचनाएँ
ब्लाइंड
5.0
प्रस्तुत उपन्यास" ब्लाइंड: आनंद की खोज एक पीरियड ड्रामा है जो वर्ल्ड वार के समय घटित हुआ था। जिसके विरोध में साहित्यकारों, चित्रकारों, संगीतकारों ने मिलकर एक आंदोलन शुरू किया था जिसे दादावाद नाम दिया गया था। इसका नायक एक बाइसेक्सुअल चरित्र है जिसे बचपन में ही यौन शोषण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा... परिणामतः वह सामान्य नहीं रह सका और जीवन पर यह दर्द उस हावी रहा। एक ही परिवेश और पृष्ठभूमि में पलने बढ़ने वाला मनुष्य चिंतन के धरातल पर अलग-अलग सोच का प्रतिनिधित्व क्यों करता है! प्रेम ..हिंसा ...लगाव और नफरत जैसी भावनाएं किस तरह उसके मन मस्तिष्क में पनपती और आकार लेती हैं ।कैसे वह इनको जीता और व्यक्त करता है। जीवन के लिए आनंद बेहद जरूरी है। लेकिन हर मनुष्य के भीतर आनंद की परिभाषा अलग-अलग है। इस उपन्यास का पात्र आनंद की खोज में ऐसे कई भावों की टकराहट से गुजरता है। जहां से प्रेम की जगह हिंसा और नफरत से रूबरू होना पड़ता है। लेकिन वह प्रेम और आनंद की राह नहीं छोड़ता। उपन्यास का पात्र हर रिश्तो को जीना चाहता है ,यह जानते हुए भी कि इस रिश्ते की परिणति उसकी सोच के अनुरूप नहीं होगी। लेकिन इससे भी उसे आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है ।उपन्यास पाठकों को कथावस्तु के सहारे चिंतन के ऐसे मोड़ तक ले जाता है जहां उसे औरों के लिए खुद को समर्पित कर देने में आनंद की अनुभूति होती है। उपन्यास रोचक एवं पटनीय है।
1

ब्लाइंड( भाग- 1)

7 नवम्बर 2021
8
3
2

<div> <span style="font-size: 1em;">..... मैंने बचपन से ही </span><u style=

2

ब्लाइंड (भाग- 2)

8 नवम्बर 2021
5
3
3

<div><br></div><div>'ये क्या!... आप इस तरह बेतरतीब... घबराए हुए से? कहीं कुछ हुआ तो नहीं?' उसने जानन

3

ब्लाइंड( भाग- 3)

9 नवम्बर 2021
4
3
2

<div><br></div><div>यह जॉन के साथ नया नहीं था। पिता उसके थे नहीं, मा न जाने कहां चली गई थी। उसे पालन

4

ब्लाइंड (भाग- 4)

10 नवम्बर 2021
4
3
2

<div><br></div><div>घर आने के बाद वे पेंटिंग बनाने में जुट गए ।कई दिनों से वे कुछ नया सोच भी नहीं पा

5

ब्लाइंड (भाग- 5)

11 नवम्बर 2021
4
3
3

<div>जॉन... जॉन ....वापस आओ।' नील चिल्लाए।</div><div>जॉन चुपचाप खड़ा रहा।... निश्चल ...निस्पंद- सा!

6

ब्लाइंड( भाग- 6)

13 नवम्बर 2021
3
2
4

<div>नील की उपलब्धियों में आज और भी विस्तार होने वाला था। आज के तमाम प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उन

7

ब्लाइंड (भाग- 7)

13 नवम्बर 2021
3
2
3

<div>साक्षात्कार के बाद नील जॉन के पास पहुंचे ।खुशी अभी भी उनके चेहरे से टपक रही थी ।थोड़ी ही देर बा

8

ब्लाइंड (भाग-8)

5 दिसम्बर 2021
3
2
2

<div>नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त थे या यूं कह सकते हैं कि वह खुद को व्यस्त रखना पसंद करते थे ।उनके

9

ब्लाइंड (भाग -9)

5 दिसम्बर 2021
2
2
2

<div>थोड़ी ही देर बाद दोनों दुबारा जीसस की प्रतिमा के सामने खड़े थे। नील ने मन ही मन जीसस को धन्यवाद

10

ब्लाइंड (भाग- 10)

5 दिसम्बर 2021
2
2
2

<div>आज जॉन को नील से मिले कई दिन बीत चुके थे। नील काफी बेचैन थे ।उन्होंने पता किया वह ,बीमार था। नी

11

ब्लाइंड( भाग- 11)

6 दिसम्बर 2021
2
2
1

<div>घर आने के कुछ पल बाद नील पेंटिंग बनाने में व्यस्त हो गए। यूं भी खुद के गमों और खुशियों को पेंटि

12

ब्लाइंड (भाग- 12)

6 दिसम्बर 2021
2
2
2

<p dir="ltr">नील आए यूं ही खाली से बैठे ना जाने क्यों उदास से दिख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह चाहक

13

ब्लाइंड (भाग -13)

7 दिसम्बर 2021
2
2
2

<div>अचानक सामने से आती गाड़ी ने नील की तंद्रा तोड़ी। उन्होंने किसी तरह ब्रेक लगाया।</div><div>" क्य

14

ब्लाइंड (भाग- 14)

7 दिसम्बर 2021
2
2
1

<div>आज मौसम सुबह से ही बारिश हो मे नहाया था। नील चाह कर भी स्टूडियो नहीं जा सके। अपने लिए कॉफी बनाई

15

ब्लाइंड (भाग -15)

8 दिसम्बर 2021
2
2
1

<div>नील का आज भारत में प्रथम दिवस था, प्रथम सुबह। उन्हें यहां के वातावरण में एक अजीब सी ताजगी

16

ब्लाइंड (भाग -16)

8 दिसम्बर 2021
2
2
1

<div>नील वापस अपने देश लौट रहे थेअपने साथ भारत की अविस्मरणीय यादें समेट। चेहरे पर जॉन से मिलने की खु

17

ब्लाइंड (भाग- 17)

10 दिसम्बर 2021
2
2
2

<div>अचानक एलिस को अपनी यहां देख नील आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने कारण पूछा।</div><div>" कु

18

ब्लाइंड (भाग -18)

10 दिसम्बर 2021
4
5
1

<div>एलिस के रूखे व्यवहार से जॉन झुंझला उठा था। इन सब का कारण वह नील को समझ बैठा। सही मायने में वह न

19

ब्लाइंड( भाग- 19)

10 दिसम्बर 2021
2
2
1

<p dir="ltr">"अंततः मेरी दूरियां बनाने के हर निश्चय के बाद भी वह मेरे सामने खड़ा था। हां मैं उसे भूल

20

ब्लाइंड( भाग-20)

10 दिसम्बर 2021
2
2
2

<div>नील शहर से दूर ,इन दिनों पेंटिंग के एक कार्यशाला में आए हुए थे जहां विश्व के तमाम प्रतिष्ठित चि

21

ब्लाइंड( भाग- 21)

10 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>नील के लिए सब कुछ अप्रत्याशित था जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी ना की थी। वह सोच भी नहीं सकते थे

22

ब्लाइंड (भाग- 22)

11 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग-22</div><div>शाम का समय था। नील कैनवास पर कुछ रेखाएं खींचते और मिटाते जाते। ऐसा लग रहा था ज

23

ब्लाइंड (भाग- 23)

11 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग-23</div><div>नील के सपनों की यह टूटन प्रथम नहीं थी। मातृ- विहीन नील का अतीत और भी भयानक हाल

24

ब्लाइंड (भाग -24)

11 दिसम्बर 2021
1
0
1

<div><br></div><div>"अब हम यहां नहीं रहेंगे, इस लड़की ने तो जैसे हमारा जीना मुश्किल कर दिया है

25

ब्लाइंड (भाग -25)

11 दिसम्बर 2021
2
3
1

<div><b>भाग-25</b></div><div><b>नील का जीवन अब बदलाव की ओर अग्रसर था ,पर इस बदलाव में सिर्फ खुशियां

26

ब्लाइंड( भाग- 26)

12 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग-26</div><div>जेनी एक बार फिर जा चुकी थी, नील को अकेला छोड़कर। नील एक बार फिर वही पहुंच गए ज

27

ब्लाइंड( भाग- 27)

12 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग-27</div><div>शाम का समय था ।नील उदास से अपने घर पर बैठे थे। आंखें कुछ देखना चाहती थी, पर वह

28

ब्लाइंड( भाग- 28)

12 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग-28</div><div>यह वह समय था जब गांधी जी के चरखे ने जोर पकड़ रखा था। याना भी इससे अछूती नहीं थ

29

ब्लाइंड (भाग -29)

13 दिसम्बर 2021
1
1
1

<p dir="ltr">भाग-29<br> सुबह का समय था ।नील याना के साथ घाट की सीढ़ियों पर बैठे थे ।गंगा की लहरें शा

30

ब्लाइंड (भाग -30)

13 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग -30</div><div>नील लेटे हुए छत को निहार रहे थे, आत्म -दहन की प्रक्रिया से गुजरते हुए। सब कुछ

31

ब्लाइंड (भाग -31)

13 दिसम्बर 2021
1
1
1

<div>भाग -31</div><div>नील का जीवन यूं ही बेलगाम चलने लगा था। कोई योजना नहीं ,कोई बंधन नहीं, स्वच्छं

32

ब्लाइंड (भाग -32)

13 दिसम्बर 2021
2
1
2

<div>भाग -32</div><div>समय बीतता जा रहा था पर नील की प्रतिक्रियाओं में कोई परिवर्तन नहीं हुआ !जॉनसन

---

किताब पढ़िए