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प्रेम दीवानी

7 सितम्बर 2021

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तनु पहली क्लास से ही समर्थ से बहुत ज्यादा attached थी। हर एक चीज जो भी समर्थ को पसंद थी वो हर चीज तनु को भी अपने आप पसंद आ जाती थी। 
समर्थ ने जिस जिस स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई के लिए गया वहीं जगह तनु भी उसके साथ रही।
तनु अपने दिल का हाल कभी समर्थ को बता नही पाती थी लेकिन तनु की एक best friend थी उर्वशी जिससे वो अपनी हर बात शेयर करती थी।
देखते ही देखते चार साल बीत गए।
लेकिन तनु का प्यार समर्थ के लिए कभी भी कम नही हुआ। साल दर साल वो बढ़ता ही रहा।
उसने अपने कमरे में भी समर्थ से जुड़ी एक हर निशानी को बहुत संभाल कर रखा हुआ था।

आज क्लास का आखिरी दिन था। एक हफ्ते बाद से एग्जाम शुरू होने वाले थे।
तनु अपनी क्लास में बैठी हुई समर्थ के ख्यालों में ही खोई हुई थी।
"यार इस बार तो सुना है कि बहुत टाईट एग्जाम होंगे", उर्वशी ने कहा।
"हम्म्म", तनु ने कहा।
"तनु इस बार भी पहले की तरह एक साथ में पढ़ाई करेंगे", उर्वशी ने कहा तो तनु ने कोई जवाब नही दिया।
"यार तू तो हर वक्त बस समर्थ के ख्यालों में खोई रहा कर, एक बात बता तू अपने दिल की बात समर्थ को क्यों नही बता देती?", उर्वशी ने पूछा।
ये सुन कर तनु का चेहरा उतर गया।
"यार मुझे बहुत डर लगता है, अब तो फिर भी थोड़ी बहुत बात हो जाती है अगर उसे इन सबके बारे में जरा सी भी भनक लग गई तो मुझे पता है कि वो मुझसे कभी भी बात नही करेगा", तनु ने थोड़ी मायूसी से कहा।
"लेकिन ऐसे एक तरफा प्यार करने से भी तो कोई फायदा नही है", उर्वशी ने समझाते हुए कहा।
"प्यार सिर्फ अपना फायदा देखने के लिए नही किया जाता, मैं बस ऐसे ही खुश हूं", तनु ने कहा।
"जैसी तेरी मर्जी, अब अगर समर्थ के ख्यालों से फुर्सत मिल जाए तो एग्जाम की तैयारी भी कर लेना", उर्वशी ने कहा।
"ऐसा कुछ नही है चलो साथ में एग्जाम की तैयारी करते हैं", तनु ने कहा।
दोनों ने फिर एग्जाम आने तक एक साथ एग्जाम की तैयारी की।

एग्जाम का दिन भी आ गया।
एग्जाम सेंटर पर तनु गेट पर खड़ी हुई उर्वशी का इंतजार कर रही थी। 
समर्थ वहीं से गुजर रहा था।
"अरे तनु, यहां क्यों खड़ी हो", समर्थ ने उसे गेट पर खड़े हुए देखा तो पूछ लिया।
तनु समर्थ को देखते हुए घबरा सी गई।
"वो मैं…….मैं अपनी फ्रेंड का इंतजार कर रही हूं", तनु ने कहा।
"अच्छा, खेर तुम्हे एग्जाम के लिए best of luck", ये कह कर समर्थ ने तनु की तरफ हाथ बढ़ाया।
तनु ने हिम्मत करके अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
समर्थ ने तनु से हाथ मिला कर उसे wish दी और फिर मुस्कुरा कर वहां से चला गया।
समर्थ के जाने के बाद भी तनु कुछ देर ऐसे ही आश्चर्य में डूबी रही।
इतने में ही उर्वशी वहां आ गई।
"क्या हुआ तनु? तुम ऐसे अपने हाथ को कैसे देख रही हो?", उर्वशी ने पूछा।
"उर्वशी तुम्हें पता नही है अभी समर्थ यहां आया था उसने मुझसे shake hand किया और मुझे एग्जाम के लिए best wishes दी। I am so happy उर्वशी", तनु ने चहकते हुए कहा।
"तू पूरी पागल हो गई है, चल अब अंदर चलते हैं", उर्वशी ने कहा और फिर उर्वशी तनु का हाथ पकड़ कर अंदर ले गई।

देखते ही देखते एग्जाम भी बीत गए। 
आज आखिरी एग्जाम था। 
तनु थोड़ी सी गंभीर थी। 
"तुझे क्या हुआ है? ऐसे मुंह क्यों लटका रखा है?", उर्वशी ने उसका चेहरा देखते हुए पूछा। 
"कुछ नहीं आज आखिरी दिन है, मैं नहीं जानती कि अब मैं कभी भी समर्थ से मिल भी पाऊँगी या नहीं", तनु ने मायूसी हो कर कहा। 
"देख तनु तु ऐसे परेशान रहती है ना तो मुझे भी बहुत बुरा लगता है, आज तु समर्थ से अपने दिल की बात बोल दे", उर्वशी ने कहा।
"मैं नहीं कह पाऊंगी", तनु ने थोड़ा मायूस सा होते हुए कहा।
"चल मेरे साथ चल, में खुद तेरे लिए समर्थ से बात करूंगी", उर्वशी ये कह कर जबरदस्ती तनु को खींच कर वहां ले गई जहां पर समर्थ था।
लेकिन वहां पहुंचते ही उर्वशी के हाथ से तनु का हाथ छूट गया।
समर्थ एक लड़की के गले लगा हुआ था।
उर्वशी ने तनु को देखा जो खुद पर काबू करने की कोशिश कर रही थी।
"चल यहां से चलते हैं", उर्वशी तनु को ले कर वापस चली गई।
"मुझे पता है तुझे बहुत बुरा लग रहा होगा लेकिन अच्छा है कि पहले ही पता चल गया", उर्वशी ने कहा।
"उर्वशी मुझे बुरा नही लगा, उल्टा मुझे तो खुशी है कि समर्थ खुश है क्योंकि उसकी खुशी में ही मेरी खुशी है, चाहे वो मेरे साथ हो या किसी और के साथ", तनु ने अपने आसूं छुपाते हुए कहा।
"तू रो रही है ना", उर्वशी ने तनु के चेहरे को देखते हुए कहा।
"क्या करू ये आसूं हैं कि रुक ही नही पा रहे हैं", तनु ने रोते हुए कहा।
उर्वशी ने तनु को अपने गले से लगा लिया।
"कॉलेज खत्म हो गए हैं, अब तू अपना ध्यान कैरियर बनाने में लगा, धीरे धीरे तू उसे अपने आप ही भूल जायेगी", उर्वशी ने उसे समझाते हुए कहा।
"जो मेरी हर सांस में समाया है उसे मैं कैसे भूल सकती हूं", तनु ने अपने मन में सोचा।

तनु फिर जॉब करने लगी और फिर अपने काम में ऐसी बिजी हुई कि उसे फिर किसी चीज का होश ना रहा। लेकिन वो कभी समर्थ को नही भूल पाई।
एक दिन तनु अपने ऑफिस में ही थी और ऑफिस से निकलने की तैयारी कर रही थी कि तभी उर्वशी वहां उससे मिलने के लिए आ गई। 
"मतलब ये बात होगी कि काम के चक्कर में अपनी सहेली को भी भूल जाओ", उर्वशी ने तनु के केबिन के सामने खड़े हो कर कहा।
"उर्वशी तुम? इतने दिनों बाद?", तनु ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"हां मैं ही आईं हूं तुम्हें मिलने, तुम्हारे पास मुझसे मिलने का वक्त ही कब है?", उर्वशी ने शिकायत करते हुए कहा।
"ऐसा नहीं ही बस ऑफिस से फुर्सत ही नहीं मिल पाती है", तनु ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा।
"खेर मेरी छुट्टी हो गई तो बाहर कहीं बैठ कर बात करते हैं", तनु ने कहा और फिर दोनों एक कॉफी शॉप पर चले गए।
"तो तुम्हारी किसी से बात होती है?", उर्वशी ने कॉफी पीते हुए पूछा।
"किसी से भी नही होती, बस घर से ऑफिस और ऑफिस घर, वीकेंड पर मम्मी के साथ थोड़ा काम करवा देती हूं या थोड़ा बहुत मार्केट का काम निपटा लेती हूं बस यहीं सब है", तनु ने कहा।
"मेरी तो एक दो लोगों से हो ही जाती है, कॉलेज के कुछ लोग तो हमारी ही कंपनी में काम कर रहे हैं", उर्वशी ने कहा।
"समर्थ का कुछ पता है?", तनु ने अचानक से पूछ लिया।
"हां वो भी हमारी ही कंपनी के पास वाली कंपनी में काम करता है, बाकी मिलना तो कभी हुआ नही उससे", उर्वशी ने कहा।
"अच्छा, कौन सी कंपनी में?", तनु ने कुछ सोचते हुए पूछा।
उर्वशी ने तनु को कंपनी का नाम बता दिया।
"अब तू उससे मिलने मत पहुंच जाना", उर्वशी ने तनु पर गहरी नजर डालते हुए कहा।
"नहीं मैं नहीं मिलूंगी", तनु ने कहा।
उर्वशी ने अपनी घड़ी देखी।
"ठीक है तो मैं अब चलती हूं", उर्वशी ने कहा और फिर चली गई।

अगले दिन ही तनु अपने ऑफिस से जल्दी ही निकल गई और उसी कंपनी में पहुंच गई। वहां पहुंच कर तनु रिसेप्शन पर पहुंच गई।
"मुझे समर्थ से मिलना है, समर्थ सक्सेना जो यहां पर काम करते हैं", तनु का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
"समर्थ सर बीमार होने की वजह से छुट्टी पर चल रहें हैं", रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया।
"क्या हुआ उन्हें?", तनु ये सुन कर परेशान सा हो गई थी।
"ये तो मुझे पता नहीं है", रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया।
तनु ये सुन कर बेचैन सी हो गई थी वो तुरंत ही समर्थ के घर के लिए निकल पड़ी।
वहां से तनु को पता चला कि समर्थ अस्पताल में भर्ती है।
वक्त बहुत हो गया था लेकिन तनु बिना कुछ परवाह किए अस्पताल के लिए निकल गई।
अस्पताल पहुंच कर तनु ने देखा कि समर्थ आईसीयू में भर्ती था। तनु वहीं खड़ी हो कर उसके वार्ड में देखने लगी तभी एक नर्स समर्थ के वार्ड से निकली।
"मैम प्लीज ये अंदर जो हैं, उन्हे क्या हुआ है?", तनु ने पूछा।
"इनकी दोनों किडनी खराब हो गई हैं, अगर डोनर मिल जाता है तो ठीक, नही तो कुछ कह नहीं सकते", नर्स ने कहा तो तनु वहीं अफसोस में बैठ गई।
तनु बहुत देर तक वहां ऐसे ही बैठी हुई सोचती रही कि तभी उसका ध्यान अपने फोन रिंग बजने से टूटा। उसने देखा तो उसकी मम्मी का फोन था। तनु ने फोन उठा लिया।
"मम्मी बस थोड़ी देर में घर पहुंच जाऊंगी", तनु ने ये कह कर फोन काट दिया।
"मुझे ये करना ही है", तनु ने खुद से कहा और फिर डॉक्टर के केबिन की तरफ बढ़ गई।
डॉक्टर अपने केबिन में ही थे।
तनु ऐसे ही उनके केबिन में आ गई।
"डॉक्टर साहब वहां जो आईसीयू में समर्थ नाम से भर्ती हैं, प्लीज उनका ऑपरेशन कर दीजिए, उनका और मेरा ब्लड ग्रुप एक ही है, मैं अपनी एक किडनी उन्हे दे दूंगी, प्लीज डॉक्टर", तनु ने हाथ जोड़ कर कहा और उसे रोना आ गया। 
डॉक्टर भी तनु को ऐसे देख कर थोड़ा इमोशनल हो गए।
"डोंट वरी, परेशान ना हो", डॉक्टर ने तनु से कहा।
"नर्स प्लीज इन्हे ले जाओ और इनका ब्लड सैंपल ले लो", डॉक्टर ने कहा।
तनु ने अपना ब्लड सैंपल दिया और फिर अपने घर आ गई।
रात भर तनु को बेचैनी के कारण नींद नही आई और सुबह जल्दी ही वो अस्पताल के लिए निकल गई।
तनु जब अस्पताल पहुंची तो डॉक्टर उसे समर्थ के वार्ड से निकलते हुए ही मिल गए।
तनु को देख कर वो हल्का सा मुस्कुराए।
"हमने आपके सारे  टेस्ट कर लिए हैं और समर्थ को आप अपनी किडनी दे सकती हैं", डॉक्टर ने कहा।
"थैंक यू सो मच डॉक्टर साहब", तनु बच्चों की तरह खुश होते हुए बोली।
"थैंक्स तो हमें आपका बोलना चाहिए जो आप इतना बड़ा कदम उठा कर एक मरीज की जान बचा रही हैं", डॉक्टर ने कहा।
"बस आपसे एक रिक्वेस्ट है कि आप समर्थ को कभी नहीं बताएंगे की ये किडनी मैने उन्हें डोनेट की है", तनु ने कहा।
"इस बात का मैं ध्यान रखूंगा, अब जाओ और शाम को यहां आ जाना, कल हम समर्थ का ऑपरेशन करेंगे", डॉक्टर ने कहा।
तनु वहां से चली गई और शाम होते ही वापस अस्पताल में आ गई। उसने अपनी मम्मी को भी झूठ बोल दिया था कि उसे कंपनी के काम से बाहर जाना पड़ रहा है।
अगले दिन ऑपरेशन शुरू हो गया और जैसी उम्मीद थी, ऑपरेशन सही से हो गया।
कुछ दिन में तनु को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। 
उसे एक खुशी के साथ साथ सुकून भी था कि समर्थ अब ठीक हो गया है और तनु ने फिर से जॉब पर जाना शुरू कर दिया।
इस बात को तीन महीने से ऊपर गुजर चुके थे। तनु को कभी कभी समर्थ की याद आ जाती थी। 
एक दिन तनु जब ऑफिस से निकली तो उसे सामने ही समर्थ दिखाई दे गया। समर्थ को ऐसे अचानक अपने सामने देख कर तनु का दिल जोरों से धड़क उठा लेकिन तनु ने तुरंत ही खुद को संभाल लिया और
तनु समर्थ को इग्नोर वहां से जाने लगी कि समर्थ ने आगे बढ़ कर तनु का हाथ पकड़ लिया।
"तुम्हें क्या लगा कि तुम चुपचाप से मुझे अपनी किडनी दे दोगी और मुझे पता भी नही चलेगा?", समर्थ ने पूछा।
"क्या कह रहे हो आप?, मेरी कुछ भी समझ नही आ रहा है", तनु ने झूठ बोलते हुए कहा।
"तुम्हे अच्छे से पता है कि मैं क्या कह रहा हूं, तुम मुझसे इतने सालों से प्यार करती हो तो क्या मैं इतना भी नही समझ सकता", समर्थ ने कहा तो तनु ने उसे चौंक कर देखा।
"हां मुझे सब पता है और ये भी अच्छे से पता है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो लेकिन तुम्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं होगा की मैं भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं", समर्थ ने कहा।
तनु ने समर्थ की आंखों में देखा, वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन समर्थ ने उसके होंठो पर अपनी उंगली रख दी।
"बस तुमने बहुत बोल और कर लिया है, अब मेरी बारी है, मुझे पता है कि उस दिन तुमने मुझे एक लड़की के साथ देखा था लेकिन यकीन मानो की मेरी तरफ से कुछ भी ऐसा नहीं था वो अचानक से मेरे गले लग गई थी। उसके बाद मैने बहुत बार सोचा कि तुम्हें सब सच बता दूं लेकिन मैं तुम्हारा सामना करने की हिम्मत नही कर पाया। मैं जानता हूं कि मैं तुम्हारे प्यार के लायक नही हूं लेकिन मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना", ये कहते हुए समर्थ की आंखों में आसूं आ गए थे।
तनु कुछ नही कह सकी वो बस समर्थ के गले लग गई और रोने लगी। उसे समर्थ के दिल की धड़कने सुनाई दे रही थी जो कि सिर्फ उसी के लिए धड़क रही थी


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