दक्षिण भारत का एक शहर जिसके कण कण में संगीत बसता था। उस शहर को संगीत का शहर भी कहा जाता था। हर घर में कोई न कोई संगीतज्ञ था लेकिन वासु की बात ही कुछ और थी जब वो अपना गायन शुरू करता था तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। दुनिया के कोने कोने से लोग उससे संगीत सीखने के लिए आते थे लेकिन उसका मानना था कि संगीत केवल दिल से ही सीखा जा सकता है जिसके मन में संगीत सीखने की ललक होती है वो बिना ज्यादा प्रयत्न किए संगीत सीख जाता है। उसकी साथी वीणा जिसे हर तरह का संगीत का वाद्य (Instrument) बजाना आता था। पियानो, हरमोनियम, गिटार, सितार सब तरफ के वाद्य वो बजा लेती थी। जब दोनों एक साथ अपनी प्रस्तुति देते तो लोग वाह वाह कर उठते थे। दोनों की जोड़ी को भी लोग बहुत पसंद करते थे। वासु को भी वीणा का साथ बहुत अच्छा लगता था। वासु मन ही मन वीणा को चाहता था लेकिन उसकी कभी भी वीणा से कहने की हिम्मत नही हो पाती थी।
काम समय से क्यों नही पूरा हो पाता, ये फाइल ले कर जाओ और दुबारा मुझे तब तक अपनी शक्ल मत दिखाना जब तक ये फाइल पूरी नहीं हो जाती, रोहित ने गुस्से में दहाड़ते हुए उस लड़की से कहा तो वो लड़की रोते हुए उसके केबिन से निकल गई। रोहित का पार्टनर रवि ये सब देख रहा था वो रोहित के केबिन में चला गया। यार तुम जरा जरा सी बात पर इतना क्यों भड़क जाते हो? रवि ने रोहित के केबिन में घुसते ही पूछा। अरे बस ये लोग ठीक से काम तो करते नही और थोड़ा डांट दो तो रोना शुरू कर देते हैं, रोहित ने कहा। तुम्हें कुछ दिन की छुट्टी ले लेनी चाहिए, रवि ने कहा। छुट्टी? इतना सारा काम है और तुम छुट्टी की बात कर रहे हो, तुम अपना काम देखो, मुझे अभी बहुत काम है, ये कह कर रोहित अपने काम में लग गया। रवि ने एक बार रोहित पर नजर डाली और फिर उसके केबिन से बाहर आ गया।
अगले दिन रोहित अपने केबिन में पहुंच कर अपनी चेयर पर बैठा ही था कि तभी जिस लड़की को रोहित ने डांटा था, उसने अपना इस्तीफा रोहित को दे दिया। सर मैं बहुत मेहनत करती हूं लेकिन आपके साथ काम करना, मेरे बस की बात नही है, उस लड़की ने कहा। ठीक है तुम जा सकती हो, रोहित ने कहा और अपनी चेयर पर आंखें बन्द करके पसर गया। ये लड़की इस महीने की चौथी employee है जिसने तुम्हारे बुरे बर्ताव से कंपनी छोड़ी है, रवि ने आते ही रोहित से कहा। यार तुम फिर आ गए मुझे लेक्चर देने, मैं अभी कुछ भी सुनने के मूड में नहीं हूं, रोहित ने कहा। तुम्हें सुनना पड़ेगा, जिस तरह से तुम काम कर रहे हो, अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम सारे अच्छे employee खो देंगे। इस बार रवि ने थोड़ा तेज आवाज में कहा। तो क्या करूं मैं बताओ, इतना काम है और ऊपर से इन सभी employees की लापरवाही, रोहित को भी थोड़ा ताव सा आ गया। सब काम ठीक चल रहा है, बस तुम्हे ही ऐसा लग रहा है कि कुछ भी काम नहीं हो रहा, जबसे हमने ये कंपनी शुरू की है, मुझे नहीं लगता की तुमने एक भी छुट्टी ली होगी इसलिए कह रहा हूं कि कुछ दिन घूमने जाओ, रवि ने इस बार थोड़ा प्यार से कहा। कहां जाऊं, तुम ही बता दो, रोहित ने पूछा। मैंने एक आश्रम के बारे में सुना है जो दक्षिण भारत में है, रवि ने कहा। तो तुम चाहते हो की मैं उस आश्रम में जा कर संन्यासी बन जाऊं? रोहित ने पूछा। तुम बेवकूफ हो, हर कोई संन्यासी बनने आश्रम में थोड़ी ना जाता है, कुछ लोग मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए भी जाते हैं। जिस शहर में वो आश्रम है वो शहर संगीत का शहर कहा जाता है, मैंने उसके बारे में बहुत सुना है, तुम्हें वहीं जाना चाहिए, रवि ने कहा। जो हुक्म मेरे आका, मैं वहीं चला जाऊंगा, रोहित ने रवि के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा।
अगले दिन ही रोहित उस आश्रम के लिए निकल गया। तीन दिन के सफर के बाद रोहित उस आश्रम आ गया। तीन और से पहाड़ियों से घिरा वो आश्रम बहुत ही सुंदर लग रहा था। आश्रम के पास ही एक साफ नदी बह रही थी। ये नदी कितनी साफ है, रोहित ने खुद से कहा। उसे वो जगह बहुत ही विस्मित कर रही थी। रोहित आश्रम के दरवाजे पर आया और खुद के बारे में बताया। थोड़ी ही देर बाद उसे अंदर entry मिल गई। आश्रम बहुत बड़ा था। इस और से आइए, एक आदमी ने कहा तो रोहित उसके पीछे पीछे चला गया। वो रोहित को उसके कमरे तक ले गया। आप कुछ देर विश्राम कीजिए, फिर मैं आपको बाबा जी से मिलवाने के लिए ले जाऊंगा, उस आदमी के कहा। रोहित कमरे में आया तो देखा कि लेटने के लिए एक बिस्तर नीचे फर्श पर था और बाकी सारा कमरा बहुत अच्छे से साफ था। यार अब मैं नीचे कैसे सोऊंगा यहां तो बेड भी नही है, राज ने सोचा। चलो इतना फ्रेश हो लिया जाए ये सोच कर रोहित फ्रेश होने चला गया। कुछ ही देर बाद उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। रोहित ने दरवाजा खोला तो वहीं आदमी उसके सामने खड़ा था। आइए बाबा जी ने आपको बुलाया है, उस आदमी ने कहा तो रोहित उसके पीछे पीछे चला गया।
रोहित जब बाबा जी से मिला तो उसके हाथ अपने आप ही उनके आगे जुड़ हुए। बैठो, बाबा जी ने कहा। रोहित बैठ गया। दिल्ली से यहां आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना? उन्होंने पूछा। नहीं बाबा जी, रोहित ने कहा। देखो यहां रहने के कुछ नियम है जिसमे से सबसे मुख्य नियम है ये है कि यहां तुम अपने लैपटॉप और मोबाइल या अन्य कोई इस तरह का सामान प्रयोग नही करोगे। अभी आश्रम का एक सेवक आएगा और तुम उसे ये समान दे दोगे, बाबा जी ने कहा तो रोहित मन ही मन रवि को कोसने लगा।
आश्रम में सभी सवेरे ही उठ जाते थे। रोहित को भी सवेरे ही उठना पड़ा। रोज के कार्यक्रम के हिसाब से आधे घंटे बाद संगीत का कार्यक्रम था। रोहित को संगीत में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन आश्रम के नियम कायदे के अनुसार उसे सब कार्यक्रमों में रहना था। संगीत का कार्यक्रम एक हॉल में होता था। रोहित जब वहां आया तो कोई लड़की सितार बजा रही थी। रोहित भी बाकी लोगों के साथ वहीं बैठ गया। वो संगीत इतना मधुर था कि रोहित उसमे खो सा गया। उसकी आंखे बन्द हो गई और वो खुद को एक अलग ही दुनिया में महसूस करने लगा। श्रीमान उठ जाइए संगीत का कार्यक्रम समाप्त हो गया है। रोहित ने आंखे खोली तो सभी लोग वहां से जा चुके थे। रोहित ने उस लड़की को देखा तो वो रोहित को देख कर मुस्कुरा रही थी तो रोहित थोड़ा शर्मिंदा सा हो गया। वो वापस वहां से और लोगों के पास आ गया। ये लड़की जो सितार बजा रही थी कौन थी? उसने एक आदमी से पूछा। वो वीणा है, रोज यहां आती है, उस आदमी ने कहा। वीणा, रोहित ने मन में कहा।
अगले दिन संगीत का कार्यक्रम खत्म होते ही रोहित वीणा के पास आ गया। जरा सुनिए, रोहित ने कहा। जी बोलिए, वीणा ने कहा। आपके संगीत में एक जादू सा है, क्या मैं भी संगीत सीख सकता हूं? रोहित ने पूछा तो वीणा के चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गई। तो आप संगीत सीखना चाहते है? वीणा ने पूछा। हां, क्यों मैं नहीं सीख सकता क्या? रोहित ने पूछा। शायद नहीं, वीणा ने कहा। क्यों नही सीख सकता? रोहित ने पूछा। संगीत सीखने के लिए आपके अंदर जो भावनाएं होनी चाहिए वो भावनाएं आपमें नही है, वीणा ने कहा। अच्छा, फिर भी में सीखना चाहता हूं, क्या आप मुझे सिखाएंगी? रोहित ने मुस्कुराते हुए पूछा। ठीक है, अगर आप चाहते हैं तो मैं एक कोशिश करके देख लूंगी, वीणा ने कहा तो रोहित के चेहरे पर एक चमक आ गई थी।
वीणा जब घर पर आई तो वासु उसका इंतजार कर रहा था। आप इतनी सुबह सुबह यहां? वीणा ने पूछा। बस सुबह सुबह आपके हाथ से चाय पीने की इच्छा हुई तो मैं यहां आ गया, वासु ने मुस्कुराते हुए कहा। ठीक है मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूं, वीणा ने कहा। आज अच्छा मौका है, मुझे वीणा को सब बता देना चाहिए कि मैं उसके लिए क्या महसूस करता हूं, वासु ने सोचते हुए कहा। थोड़ी ही देर में वीणा चाय ले आई। वीणा मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं, वासु ने थोड़ा झिझकते हुए कहा। हां, बताओ ना, वीणा ने कहा। वो…….बाते ये है कि……..कल शाम एक प्रस्तुति है उसमें हमें जाना है, वासु ने तेज़ी से बोल दिया। बस यहीं कहना था आपको? वीणा ने वासु की तरफ गौर से देखते हुए कहा। हां बस यहीं कहना था, वासु ने अपने चेहरे का पसीना पोछते हुए कहा। मुझे नहीं लगता कि आपको बस यहीं कहना था, वीणा ने कहा तो वासु चुप ही रहा। ठीक है मुझे अब चलना चाहिए ये कह कर वासु वहां से निकल गया।
आप इतना कुछ जानती हो संगीत में फिर भी आप इस जगह से बाहर क्यों नही निकलती हो?, रोहित ने वीणा से पूछा। क्योंकि मुझे जो सुकून यहां मिलता है वैसा सुकून कहीं नहीं मिलेगा, मुझे यहां रह कर ही खुशी मिलती है तो मैं बाहर क्यों जाऊं, वीणा ने कहा। वैसे आप मुझे संगीत कब सिखाने वाली है? रोहित ने पूछा। बस जल्दी ही, वैसे अगर आप संगीत का इतना ही शौक रखते है तो आज शाम एक कार्यक्रम है, आपको उसमें जरूर आना चाहिए, वीणा ने कहा। मैं जरूर आऊंगा, रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा।
शाम के कार्यक्रम में रोहित पहुंच गया। संगीत कार्यक्रम शुरू हो चुका था। वासु और वीणा ने इतनी अच्छी प्रस्तुति दी कि रोहित बस सुनता ही रह गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद वीणा ने वासु से रोहित का परिचय कराया। आपका गायन सच में बेमिसाल है, रोहित ने वासु से कहा तो वासु ने भी रोहित को मुस्कुराते हुए धन्यवाद किया।
वीणा ने रोहित को संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। लेकिन रोहित की संगीत में ऐसी कोई खास रुचि नहीं थी इसीलिए वो कभी भी सीख नही पाता था। जब आपमें संगीत सीखने की ऐसी कोई इच्छा नहीं है तो आप सीख ही क्यों रहें हैं? एक दिन वीणा ने रोहित से पूछ ही लिया। क्योंकि इस बहाने मुझे आपके साथ रहने का मौका मिल जाता है, रोहित ने वीणा को देखते हुए कहा। रोहित की आंखों में कुछ ऐसा था कि वीणा के चेहरे पर थोड़ी लालिमा छा गई। आपके बस की संगीत सीखना नही है, मुझे नहीं लगता की मैं आपको सीखा पाऊंगी, वीणा ने थोड़ा अटकते हुए कहा। मैं फिर भी सीखूंगा और बार बार कोशिश करता रहूंगा, ये कह कर रोहित वहां से चला गया। वीणा उसे बस देखते ही रह गई।
अगले दिन सुबह आश्रम में संगीत कार्यक्रम में वीणा नही थी तो रोहित को थोड़ी फिक्र हुई। रोहित आश्रम से सीधा वीणा के घर चला गया। दरवाजा वीणा ने ही खोला था। आप आज आश्रम नही आईं? रोहित ने पूछा। नहीं, वीणा का चेहरा थोड़ा अजीब सा हो रहा था। आप मेरी कल की बात से नाराज तो नही हो? रोहित ने पूछा। मैं नहीं जानती, वीणा ने कहा और अंदर जाने लगी। रोहित ने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ लिया। ये क्या बेतमीजी है? वीणा ने गुस्सा सा करते हुए कहा। मुझे तुमसे प्यार हो गया है वीणा, रोहित ने कहा तो वीणा चुप सी हो गई। जबसे मैंने तुम्हारा संगीत सुना है तभी से मुझमें एक अलग सा एहसास सा जाग गया है, तुम कहती थी ना कि संगीत सीखने के लिए जो भावनाएं चाहिए वो मुझमें नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि मुझमें वो भावनाएं है, रोहित ने वीणा से कहा। आप मुझसे नहीं मेरे संगीत से प्रेम करते है, वीणा की आंखों में आसूं थे। नहीं मैं तुमसे प्रेम करता हूं, रोहित ने कहा। तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी। वीना ने दरवाजा खोला तो वासु वहां खड़ा था। आप? वीणा ने वासु को देख कर कहा। हां मैं, अंदर आने को नही कहोगी, वासु ने कहा तो वीणा एक तरफ हो गई। वासु ने अंदर रोहित को देखा तो उसे कुछ निराशा सी महसूस हुई। आप श्रीमान भी यहीं हैं, वासु ने रोहित को देखते हुए कहा। हां लेकिन मुझे अब जाना होगा, रोहित ने वीणा को देखा और वहां से चला गया। वीणा की आंखें अभी भी नम थी। देखो वीणा, मैं तुम्हारे लिए एक नया सितार लाया हूं, जरा इसे बजा कर तो देखो, वासु ने मुस्कुराते हुए कहा। मेरा अभी मन नहीं है, वीणा ने धीरे से कहा। मन भी हो जायेगा, जरा एक बार इसे पकड़ो तो सही, वासु ने वो सितार वीणा को देते हुए कहा। वीना ने सितार लिया और बजाने लगी कि तभी अचानक से उसका एक तार टूट गया और जो मधुर लहर उस सितार से निकल रही थी वो चुभने सी लगी। यहीं हाल होता है, जब हम खुद को संगीत से अलग कर लेते है, गायन और वाद्य दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, वासु ने कहा और वहां से उठ कर जाने लगा। मैं जानती हूं कि आप मुझसे प्रेम करते है, वीणा ने कहा। वीणा के ये कहते ही वासु के कदम रुक गए। आज शाम मेरी एक गायन की प्रस्तुति है, वहां जरूर आना, वासु ने कहा और फिर वो तेज़ी से वहां से चला गया।
अगले दिन वीणा आश्रम में आई तो संगीत के कार्यक्रम में रोहित नही था। वीणा उसे देखने उसके कमरे पर आई तो उसे अंदर से संगीत की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी। वीणा ने हल्के से दरवाजे पर दस्तक दी तो रोहित ने दरवाजा खोला। आप और आज यहां? आइए अंदर आइए, रोहित ने कहा। ये संगीत आप बजा रहे थे? वीणा ने पूछा। हां ये पियानो लिया है, इतना अच्छा तो नही बज रहा लेकिन आपके लिए इतनी कोशिश तो कर ही सकता हूं, रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा। तो आप इतना प्रेम करते है मुझसे? वीणा ने कहा। हां करता हूं, रोहित ने कहा। आज शाम वासु के गायन की प्रस्तुति है, आप वहां मेरे साथ चलना, वीणा ने कहा और फिर बिना वहां रुके चली गई।
शाम के कार्यक्रम में बस गिने चुने लोग ही थे। वीणा रोहित के साथ उस कार्यक्रम में आई थी। कार्यक्रम शुरू होने ही वाला था। वासु एक सितार के साथ मंच पर आ गया था। उसने सितार बजाना शुरू कर दिया। आज वासु एक अलग ही राग बजा रहा था। वीणा की आंखों में आसूं आने लगे थे। वासु उस राग को बजाने में इतना तल्लीन हो गया था कि सितार के तारों से उसके उंगलियों से खून निकलने लगा था लेकिन वो इन सब की परवाह किए बिना बजाए चला जा रहा था। बस…...अब बंद करो ये सब, वीणा ने चिल्लाते हुए कहा। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे। वासु ने सितार बजाना बंद कर दिया। वीणा फिर तुरंत ही वहां से निकल गई और उसके पीछे पीछे वासु भी सब छोड़ कर चल दिया। रोहित को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन उन दोनों को जाते देख रोहित भी उनके पीछे हो लिया।
वीणा वासु के हाथों पर मरहम लगा रही थी, उसकी आंखों में आसूं थे। क्या जरूरत पड़ी थी इस राग को बजाने की, आपको पता है ना कि ये कितना मुश्किल राग है, क्यों किया आपने ऐसा? वीणा ने सिसकते हुए वासु से पूछा। क्योंकि मेरे पास मेरे संगीत के अलावा तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है, वासु ने धीरे से कहा तो वीणा उसके सीने से लग गई। रोहित भी वहां आ गया था। अरे आप, वीणा वासु से अलग हटते हुए बोली। तुम दोनों एक साथ कितने अच्छे लगते हो। मैं ही तुम दोनों के बीच गलत आ गया था। तुम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हो, ये कहते हुए रोहित के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी।
अगले दिन रोहित ट्रेन में अपना सामान रख रहा था। वासु और वीणा उसे स्टेशन पर विदा करने आए थे। अपना ध्यान रखना, वीणा ने मुस्कुराते हुए कहा। हां और आप लोग भी, मैं यहां से बहुत कुछ ले जा रहा हूं, प्यार, अपनापन, संगीत, कुछ अनमोल यादें और हां अपनी शादी में मुझे बुलाना मत भूल जाना, रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा। ट्रेन सीटी देने लगी थीं। रोहित ने एक गहरी सांस ली। अब आप लोगों से विदा लेने का वक्त आ गया है, रोहित के ये कहते हुए आंसू निकल आए थे। उसने खुद को काबू करते हुए एक फीकी सी मुस्कान बिखेरी और ट्रेन में चढ़ गया। ट्रेन धीरे धीरे स्टेशन छोड़ने लगी थी। वासु और वीणा की भी आंखों में आंसू आ गए थे। वासु ने वीणा का हाथ थामा और फिर दोनों स्टेशन से बाहर चले गए……….
(समाप्त)