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मेरे हिस्से की मोहब्बत

18 अक्टूबर 2021

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अम्मी, अतीफा को गुजरे हुए अभी कुछ अरसा ही हुआ है और आप मेरे निकाह की बात ले कर बैठ गईं, आप ऐसे कैसे सोच सकती हैं, काशिफ ने गुस्से में अम्मी से कहा। तो तुम कब तक अतिफा के बारें में सोच सोच कर खुद को तकलीफ देते रहोगे और फराह का क्या? वो बेचारी बच्ची क्या पूरी ज़िन्दगी अम्मी के प्यार से मरहूम रहेगी? अम्मी ने पूछा तो काशिफ वहां से बिना कुछ कहे चला गया। 
काशिफ अपने कमरे में अतीफा की तस्वीर देख रहा था। "अतीफा से निकाह करने के लिए, काशिफ ने पूरे छह साल इंतज़ार किया था और फराह के होने के बाद तो काशिफ खुद को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझने लगा था लेकिन वो कहते हैं ना कि मुकद्दर का लिखा हुआ बदला नहीं जा सकता। वहीं सब काशिफ के साथ भी हुआ एक रात बाहर से आते हुए काशिफ की गाड़ी का एक खोफनाक ऐक्सिडेंट हो गया जिसमें अतीफा हमेशा के लिए काशिफ को छोड़ कर चली गई"। तुम क्यों चली गईं मुझे छोड़ कर? क्या तुमने एक बार भी मेरा ख्याल नहीं किया, काशिफ ने अतीफा की तस्वीर देखते हुए कहा। उसकी आंखें फिर से भीग गईं थी। 
काशिफ ऑफिस में अपने काम में मशरूफ था कि तभी उसकी अम्मी का फोन आ गया। जी अम्मी कहिए, काशिफ ने फोन उठाते ही कहा। बेटे फराह को बहुत तेज़ बुखार है तू जल्दी से घर आ जा, अम्मी ने कहा तो काशिफ तुरंत ही काम छोड़ कर घर आ गया। काशिफ जब तक घर पहुंचा तब तक डॉक्टर फराह को देख कर जा चुके थे। फराह को अभी भी तेज़ बुखार था। अम्मी…...मुझे अम्मी के पास जाना है अभी, फराह धीरे से कह जा रही थी। बेटा अम्मी अभी यहां से बहुत दूर हैं, उन्हें आने में वक़्त लगेगा, इतना आप ये दवाई खाओ और सोने की कोशिश करो, काशिफ ने फराह से लाड से कहा। नहीं मुझे बस अम्मी चाहिए, जब तक अम्मी नहीं आएंगी तब तक मैं दवाई नहीं खाऊंगी, फराह ने भी जिद नहीं छोड़ी। बस बहुत हुआ फराह, चुपचाप दवाई खाओ, काशिफ ने इस बार फराह को डांटा तो फराह बैठ कर रोने लगी। बस कर कोई ऐसे भी डांटता है क्या, अम्मी ने काशिफ को झिकड़ते हुए कहा। अम्मी की बातों से काशिफ को अफसोस हुआ की उसने जबरदस्ती फराह को डांट दिया था। फराह मेरे पास आओ बेटे, काशिफ ने फराह को अपने गले से लगाते हुए बोला। बेटा ये दवाई खा लो फिर हम साथ में आपके फेवरेट कार्टून देखेंगे, काशिफ ने कहा तो फराह ने चुपचाप दवाई खा ली। काशिफ देर रात तक फराह के कमरे में ही बैठा रहा। फराह की अभी उम्र ही क्या थी, इतनी छोटी उम्र में ही उसके सर से उसकी अम्मी का साया छीन चुका था। मुझे मुआफ़ कर देना मेरी बच्ची, काशिफ ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा। इसके साथ ही काशिफ की आंखों से कुछ बूंदे उसके गालों पर बह गईं थीं। 
कुछ देर बाद काशिफ फराह के कमरे से बाहर निकला तो अम्मी बाहर ही खड़ी थी। काशिफ क्या सोचा है तुमने? अम्मी ने पूछा। किस बारे में? काशिफ ने उनका चेहरा देखते हुए पूछा। निकाह के बारे में, अम्मी ने कहा। अम्मी मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि मेरा दुबारा निकाह करने का कोई इरादा नहीं है, काशिफ ने कहा। तुमने देखा ना कि आज फराह को कितना बुखार हो गया था। अब रोज़ रोज़ तुम भी तो जल्दी यहां नहीं आ पाया करोगे और फिर फराह को भी तो कोई चाहिए जो कि हर वक़्त उसके पास रहे, अम्मी ने समझाते हुए कहा। हां तो अम्मी आप हो तो, काशिफ ने कहा। मैं हूं लेकिन मैं कब तक रहूंगी इस बात क्या भरोसा, अम्मी ने कहा। अम्मी आप कैसी बातें कर रही हो? काशिफ ने कहा। मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूं, तेरी ताया के पड़ोस की एक लड़की है सबा, बेचारी बहुत गरीब घर से हैं, उसके अम्मी अब्बू नहीं है, अपनी मुमानी के यहां रहती है, बस तेरे हां बोलने की देर है, अम्मी ने कहा। ठीक है अम्मी आप जो मुनासिब लगे कीजिए, ये कह कर काशिफ वहां से चला गया।
कुछ दिन बाद ही काशिफ का निकाह सबा से हो गया। सबा की ये पहली रात थी, वो काशिफ के आने का इंतज़ार कर रही थी। तभी काशिफ अंदर आ गया। काशिफ को देख कर सबा का दिल जोर से धड़कने लगा। काशिफ उसके करीब आ गया और कुछ देर उसे देखता रहा। सबा मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं, काशिफ ने धीरे से कहा। सबा ने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई। देखो सबा तुम्हें सब पता ही चल गया होगा, मेरी पहली शादी के बारे में भी, काशिफ ने कहा। जी, सबा ने धीरे से कहा। सबा मैं अतीफा से मोहब्बत करता था और ज़िन्दगी भर उसी से करूंगा, मेरे दिल में उसके अलावा और कोई जगह नहीं ले सकता। मुझे मुआफ़ करना सबा लेकिन मैं तुम्हें कभी भी अपनी बीवी का दर्जा नहीं दे पाऊंगा, काशिफ ने कहा तो सबा के अंदर कुछ टूट सा गया। मैं सब जानती हूं, आपको मेरी तरफ से कभी कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा, सबा ने खुद पर काबू करते हुए कहा। ठीक है, काशिफ ने कहा और कमरे से निकल गया। काशिफ के जाते ही सबा के सब्र का बांध टूट गया और उसे रोना आ गया। अगली सुबह काशिफ ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। आप नाश्ता नहीं करेंगे, सबा नाश्ता ले आई थी। नहीं, काशिफ ने कहा और ऑफिस के लिए निकल गया। सबा बस नाश्ते की प्लेट हाथ में लिए काशिफ को देखते हुए रह गई। तुम उसकी बातों से परेशान मत होना बस कुछ अरसे में उसके साथ इतना कुछ हो गया है कि उसे संभलने में थोड़ा वक्त लगेगा, अम्मी ने सबा को देखते हुए कहा। अम्मी मैं सब समझती हूं, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा, सबा ने कहा। तू बहुत समझदार है मेरी बच्ची, खुदा तुझे हर खुशी बक्शे, अम्मी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
फराह को उन्होंने कुछ वक्त के लिए रिश्तेदारी में भेज दिया था। अगले दिन रविवार था तो काशिफ फराह को लेने चला गया था। दोपहर होते ही फराह घर आ गई थी। आप कौन हैं? उसने सबा को देखते ही पूछा। बेटे ये तुम्हारी आंटी है और अब से ये यहीं रहेंगी हम लोगों के साथ, काशिफ ने ये कहा तो सबा का चेहरा उतर गया। आप सब लोग बैठिए मैं खाना लगा देती हूं, सबा ने कहा। हम लोग बाहर से ही खा कर आए हैं, काशिफ ने कहा और फराह को गोद में उठा कर अपने कमरे में चला गया। सबा ने देखा तो उसका भी खाने का मन नहीं किया। उसका मन भारी हो रहा था। हर मोहब्बत से मुझे ही क्यों मरहूम रखा है, ना अम्मी अब्बू की मोहब्बत मिली और ना ही शौहर की, सबा बैठ कर इन्हीं बातों को सोचती रही। 
काशिफ कुछ काम में मशरूफ था कि तभी अम्मी वहां आ गईं। तुम सबा के साथ कुछ ज्यादा ही ज्यादती कर रहे हो, अम्मी ने काशिफ से कहा। अब क्या कर दिया है मैंने, अम्मी उसने आपसे कुछ कहा है क्या? काशिफ ने पूछा। वो मुझसे कभी कुछ नहीं कहेगी, लेकिन उसकी आंखों में देख कर सब पता चल जाता है, अगर तू उससे थोड़ा सा मोहब्बत से पेश आएगा ना तो सब कुछ बदल जाएगा, अम्मी ने समझाते हुए कहा। अम्मी आपको सब पता है कि मेरे दिल में सिर्फ अतीफा है, उसके सिवाय मेरे दिल में किसी के लिए जगह नहीं है, काशिफ ने कहा। जगह बनाने से बनती है, तू कोशिश करेगा तो सब आसान हो जाएगा, अम्मी ने कहा तो काशिफ़ एक गहरी सांस ले कर वहां चला गया।
शाम का वक्त था। फराह अपने कमरे में थी। फराह देखो मैं आपके लिए दूध लाई हूं चलो ये पी हो, सबा ने उसे ग्लास देते हुए कहा। नहीं मुझे नहीं पीना है, फराह ने कहा। बेटा जिद नहीं करते चलो ये पी लो जल्दी, सबा ने समझाते हुए कहा। मुझे नहीं पीना है, आप मेरी अम्मी बनने की कोशिश ना करें, फराह ने कहा तो सबा को एक बार को यकीन नहीं आया कि इतनी छोटी बच्ची भी ऐसे बोल सकती है। वो वहीं बुत सी बन गई और फिर रोते हुए कमरे से निकल गई। अम्मी उधर से गुजर रहीं थीं तो सबा को इस तरह रोते हुए जाते देख कर अम्मी उसके पीछे पीछे आ गईं। तुम रो रही हो? अम्मी ने पूछा। नहीं अम्मी बस ऐसे ही, सबा ने खुद पर काबू करते हुए कहा। मुझे सब पता है, मुझसे कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं है, अम्मी ने कहा तो सबा उनके गले लग कर रोने लगी। अम्मी मुझे लगता है कि जैसे में जबरदस्ती यहां आ गईं हूं, कोई भी मुझे पसंद नहीं करता है, सबा ने रोते हुए कहा। देखो सब ठीक हो जाएगा, बस तुम्हें इन लोगों के दिलों में खुद से जगह बनानी होगी और इसकी शुरुआत तुम्हें फराह से करनी होगी। तुम और ये सब, सभी मोहब्बत से मरहूम है, कोशिश करोगी तो खुदा सब ठीक कर देगा, अम्मी ने समझाते हुए कहा तो सबा ने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई। 
अगले दिन काशिफ ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। आ जाइए मैंने नीचे नाश्ता लगा दिया है, सबा ने कहा। मैं ऑफिस जा कर कुछ खा लूंगा फिलहाल मुझे कुछ नहीं खाना है, काशिफ ने वहीं पुरानी बातें दोहराई। देखिए आपको मुझसे नफ़रत है तो आप वो गुस्सा खाने पर क्यों निकाल रहें हैं, चलिए आ जाइए, बिना नाश्ता किए मैं आज आपको जाने नहीं दूंगी, सबा ने जोर दिया तो काशिफ नाश्ते की टेबल पर आ गया। नाश्ता करके काशिफ उठा ही था कि सबा ने उसे टीफिन थमा दिया। इसमें दोपहर के लिए खाना रखा है, याद से खा लेना, सबा ने कहा। तुम ये सब क्यों कर रही हो, काशिफ ने पूछा। आप चाहें कुछ भी समझे लेकिन मैं आपकी बीवी हूं, और ये सब करना मेरा फ़र्ज़ और हक़ दोनों है, सबा ने काशिफ को टिफिन थमाते हुए कहा तो एक पल के लिए काशिफ ने उसे घूरा और फिर टिफिन ले कर चला गया। सबा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी। 
दोपहर को सबा फराह के कमरे से गुजर रही थी तो उसने देखा कि फराह अपनी गुड़िया के साथ गुमसुम बैठी है। क्या हुआ है आपको? ऐसे क्यों बैठी हो? सबा ने आ कर फराह से पूछा। फराह ने एकटक सबा को देखा। मेरी गुड़िया टूट गई है, फराह ने मायूसी से जवाब दिया। कोई बात नही, हम आपके लिए एक नयी गुड़ियां बनाएंगे, सबा ने कहा तो फराह की आंखें चमक उठी। आपको गुड़िया बनाना आता है? फराह ने सबा की तरफ अपनी चमकती हुई आंखों से देखा। बिल्कुल आता है, चलो हम दोनों मिल कर गुड़िया बनाते है, सबा ने कहा तो फराह एक दम से सबा के साथ चल पड़ी। शाम तक गुड़िया तैयार हो गई थी। ये…...मेरी गुड़िया कितनी प्यारी है, फराह ने खुश होते हुए कहा। थैंक यू, सबा आंटी, फराह ने मुस्कुराते हुए कहा। बस थैंक यू? सबा ने कहा तो फराह उसके गालों पर हल्की सी किस करके भाग गई। सबा की आंखें भर आईं। आज पहली बार ऐसा लग रहा है कि मेरा भी कुछ वजूद है, सबा ने खुद से कहा। शाम को काशिफ घर लौटा। फराह कहां है? उसने अम्मी से पूछा। वो सबा के साथ है, अम्मी ने कहा। सबा के साथ? सबा के साथ क्या कर रही है? काशिफ ने अम्मी की तरफ गौर से देखते हुए पूछा। तुम खुद जा कर क्यों नहीं देख लेते, अम्मी ने कहा तो काशिफ फराह के कमरे में चला गया। उसने देखा कि सबा और फराह दोनों, फराह की गुड़िया का घर बनाने में मशरूफ हैं। फराह बहुत खुश दिखाई पड़ रही थी। एक पल के लिए काशिफ की आंखें नम हो गईं। फराह ने जब अपने अब्बू को देखा तो भाग कर उनके पास आ गई। अब्बू आपको पता है, सबा आंटी बहुत अच्छी है, उन्होंने मेरे लिए ये गुड़िया बनाई है और अब हम दोनों मिल कर इस गुड़िया का घर बना रहें हैं, सबा आंटी को सब आता है, सब कुछ, फराह ने मासूमियत से अपने पापा से कहा। सबा भी वहां आ गई थी। आप कब आए? उसने पूछा। बस अभी आया हूं, काशिफ ने कहा। चलिए मैं आपके लिए खाना लगा देती हूं, सबा ने कहा तो काशिफ बिना कुछ कह उसके पीछे हो लिया।
धीरे धीरे दिन गुजरने लगे। घर का माहौल अब थोड़ा सा अच्छा हो गया था। सबा ने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया था।
एक दिन काशिफ अपने ऑफिस में काम कर रहा था कि तभी उसके बॉस कि तरफ से पैगाम आया कि उसे एक हफ्ते के लिए बाहर जाना होगा। ये खबर सुन कर काशिफ थोड़ा परेशान हो गया। वो फराह को ले कर बहुत उलझन में था क्योंंकि पहले उसने फराह को इतने दिनों के लिए अकेला नहीं छोड़ा था और फिर फराह को साथ ले जाना भी मुमकिन नहीं था। ये सब सोच कर काशिफ थोड़ा मायूस हो गया था। इसी मायूसी के साथ काशिफ जब घर आया तो सबा ने उसका चेहरा देख कर ही पहचान लिया कि उसे कोई परेशानी है। क्या हुआ है आपको, आप कुछ परेशान लगा रहें हैं, सबा ने पूछा। सब कुछ ठीक है, काशिफ ने कहा। देखिए आप अपनी परेशानी मुझे बताएंगे तो हो सकता है कि आपकी परेशानी का कुछ हल निकल जाए, सबा ने कहा तो काशिफ ने उसे सब बता दिया। आप परेशान ना होइए, फराह की जिम्मेदारी मैं खुद लेती हूं, आप बेफिक्र हो कर जाइए, सबा ने कहा तो काशिफ थोड़ा मुतमईन हो गया।
अगली सुबह काशिफ जल्दी ही बाहर के लिए निकल गया। फराह उस वक्त तक सोई हुई थी। फिर उठते के साथ ही फराह ने अपने अब्बू के लिए पूछा। आपके अब्बू कुछ दिनों के लिए बाहर गए है, सबा ने कहा तो फराह का चेहरा लटक गया। तो हमारी फराह पापा के जाने के बाद मायूस है, सबा ने उसे गोद में उठाते हुए कहा। चलो हम आपके लिए खाने के लिए कुछ अच्छा सा बनाते हैं और उसके बाद हम आपकी गुड़िया के लिए कपड़े बनाएंगे, सबा ने कहा तो फराह ये सुन कर खुश हो गई। रात को सबा फराह के बिस्तर पर लेटी हुई फराह को कहानी सुना रही थी। मुझे नींद नहीं आ रही है, फराह ने धीरे से कहा। कोई बात नहीं मैं आपके पास सो जाती हूं, सबा ने कहा और फराह के पास लेट कर उसका सर सहलाने लगी। फराह उससे लग कर लेट गई। आप बिल्कुल मेरी अम्मी की तरह हो, अम्मी भी मुझसे बहुत सारा प्यार करती थीं, फराह ने कहा। अच्छा, क्या मैं भी आपकी अम्मी बन सकती हूं? आपकी सबा अम्मी? सबा ने धीरे से पूछा तो फराह कुछ देर चुप रही फिर सबा के गले लग गई। मेरी सबा अम्मी, उसने मासूमियत से कहा तो सबा की आंखें खुशियों से भीग गई।
दो दिन काशिफ अपने काम में बहुत ज्यादा मशरूफ रहा था। तीसरे दिन जब उसे मौका मिला तो उसने घर फोन मिलाया। अम्मी सलाम, फराह कहां है? वो ठीक तो है ना? काशिफ ने फोन मिलते ही अपनी अम्मी से पूछा। वो बिल्कुल ठीक है तू उसकी बिल्कुल फिक्र मत कर, अम्मी ने कहा। फराह आपके पास हो तो मेरी बात करवा दीजिए, काशिफ ने कहा। हेलो, अब्बू आप कैसे हैं, थोड़ी देर में फराह की आवाज़ सुनाई पड़ी। तुम्हें एक दिन भी अपने अब्बू की याद नहीं आई? काशिफ ने पूछा। वो मैं सबा अम्मी के साथ ड्रॉइंग कर रही थी, फराह ने कहा। सबा अम्मी! काशिफ ने मन में सोचा। ठीक है बात करवाओ मेरी उनसे, काशिफ ने कहा। थोड़ी देर में सबा फोन पर थी। जी, सबा ने पूछा। बस कुछ नहीं, ऐसे ही पूछ लिया था। काशिफ की कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी तो उसने फोन काट दिया। एक पल को उसे सभी बातें याद आने लगीं थीं। क्या मैं वाकई उसके साथ ज्यादती कर रहा हूं, उसने खुद से पूछा। 
एक हफ्ते बाद काशिफ लौट कर आया तो फराह तेज़ी से सा कर उससे लिपट गई। मेरी बच्ची, कैसी हो तुम? काशिफ ने पूछा। मैं अच्छी हूं, पता है पापा सबा अम्मी ने…………..फिर वो सारी बाते बताने लगी। उसकी सारी बातें सबा से ही शुरू हो रहीं थी और सबा पर ही ख़तम हो रही थीं। बस करो अब, तुम्हारे अब्बू थक गए होंगे, उन्हें आराम तो कर लेने दो, अम्मी ने मुस्कुराते हुए फराह से कहा। सबा भी आ गई थी, लाइए मुझे अपना सामान दीजिए मैं रख देती हूं, सबा ने कहा और काशिफ का सामान ले गई। देखा तेरा कितना ख्याल रखती है वो, अम्मी ने काशिफ की तरफ देखते हुए कहा तो काशिफ के पास कोई जवाब नहीं था वो वहां से चला गया। 
दोपहर को सब खाने पर साथ में थे। तो आज शाम को हमारी प्यारी फराह आईसक्रीम खाने अपने अब्बू के साथ चलेगी, बोलो चलोगी ना? काशिफ ने फराह से पूछा। हां अब्बू मैं जरूर चलूंगी, फराह ने खुश होते हुए कहा। कोई और भी चलना चाहे तो वो भी चल सकता है, काशिफ ने तिरछी नजर से सबा को देखते हुए कहा और फिर उठ कर चला गया। शाम को काशिफ फराह के साथ गाड़ी में बैठा हुआ सबा का इंतजार कर रहा था। ये तुम्हारी सबा अम्मी हम लोगों के साथ नहीं चलेंगी क्या? काशिफ ने फराह से पूछा। पता नहीं, फराह ने जवाब दिया। जाओ उनसे बोलो कि अब्बू उनका इंतज़ार कर रहे हैं, काशिफ ने फराह से कहा तो फराह सबा को बुलाने चली गई। इतनी देर लग गई, ये लोग कहां रह गए हैं, काशिफ ये सोचता हुआ अपनी गाड़ी से बाहर आया तो देखा, सबा फराह के साथ वहीं आ रही थी। आज इतने दिनों बाद काशिफ ने सबा को गौर से देखा। सादे मेकअप और अच्छे से कढ़े हुए बालों में वो काफी अच्छी दिख रही थी। काशिफ ने फिर गाड़ी आईसक्रीम पार्लर की तरफ बढ़ा दी। 
शुक्रिया, काशिफ ने कहा। किस बात के लिए? सबा ने पूछा। मेरे पीछे फराह का इतने अच्छे से ख्याल रखने के लिए, काशिफ ने कहा। फराह मेरी भी बेटी है, तो उसका ख्याल रखना तो मेरा सबसे अहम फ़र्ज़ है, सबा ने कहा तो काशिफ के पास कोई जवाब नहीं रहा। कौन सी आइसक्रीम लोगी? काशिफ ने बात बदलते हुए कहा। जो भी आपको पसंद हो, सबा ने कहा तो काशिफ ने ऑर्डर दे दिया। 
अगले दिन काशिफ घर आया तो सबा वहां नहीं थी। काशिफ की नजरें उसे तलाश रही थीं। तुम जिसे ढूंढ रहे हो वो कमरे में है, सुबह उसे थोड़ी ठंड लग गई थी तो मैंने उससे बोल दिया कि जा कर कुछ देर आराम कर ले, अम्मी ने कहा। नहीं ऐसा कुछ नहीं है, मैं उसे नहीं तलाश कर रहा था, काशिफ ने झूठ बोलते हुए कहा। मैं तुम्हारी अम्मी हूं, तुम्हें देखते ही पहचान लेती हूं कि तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, अम्मी ने कहा। मैं अभी आता हूं अम्मी, ये कह कर काशिफ वहां से चला गया। काशिफ जब कमरे में आया तो सबा सोई हुई थी। काशिफ आ कर उसे निहारने लगा। सोते हुए वो बहुत मासूम सी दिख रही थी। आहट सी सुन कर सबा की नींद खुल गई और उसकी नजर काशिफ पर पड़ी। आप? सबा ने कहा तो काशिफ थोड़ा झेंप सा गया। आप कब आए? आप आराम कीजिए मैं आपके लिए चाय लाती हूं, सबा ये कह कर उठने को हुई तो काशिफ ने उसे मना कर दिया। अम्मी ने बताया कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, तो तुम आराम करो, काशिफ ने कहा। बस मुझे थोड़ी ठंडी चीजों से दिक्कत है, जब भी खा लेती हूं तो थोड़ी तबीयत नासाज़ हो जाती है, सबा ने धीरे से कहा। तुम अगर पहले मुझे ये सब बता देती तो हम आईसक्रीम पार्लर पर नहीं जाते, काशिफ ने कहा। कोई बात नहीं और वैसे भी आईसक्रीम का नाम सुन कर फराह कितनी खुश हो गई थी तो ये खुशी मेरे लिए इस चीज से ज्यादा मायने रखती है, सबा ने धीरे से कहा। ठीक है तुम आराम करो, ये कह कर काशिफ बाहर आ गया। फराह अपनी गुड़िया के साथ बाहर ही खड़ी थी। पापा सबा अम्मी को क्या हुआ है? कहीं वो भी अम्मी की तरह हमें छोड़ कर तो नहीं चली जाएंगी, फराह ने मासूमियत से पूछा तो काशिफ ने उसे गले से लगा लिया। बेटा तुम्हारे अब्बू अब ऐसा कुछ भी नहीं होने देंगे। थोड़ी देर बाद काशिफ सबा के लिए सूप ले आया। ये सूप है और ये कुछ दवाएं है, इन्हें वक्त से ले लेना, काशिफ ने कहा। इन सब की जरूरत नहीं थी, मैं ऐसे ही ठीक हो जाऊंगी, सबा ने धीरे से कहा। शायद तुम ऐसे नहीं सुनोगी, काशिफ ने कहा और अपने हाथ का सहारा दे कर उसे उठाया। चलो अब जल्दी से ये सूप फिनिश करो, तुम हम सबका इतना ख्याल रखती हो तो अब हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम तुम्हारा ख्याल रखें, काशिफ ने कहा तो सबा उसका चेहरा तकने लगी। मुझे मुआफ कर दो सबा मैं तुम्हारा गुनहगार हूं, मैंने तुम्हें उन सब चीजों से दूर रखा जिन पर तुम्हारा हक था, काशिफ ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा। आप और फराह मेरे साथ हैं, मुझे इससे ज्यादा अपनी ज़िन्दगी में कुछ चाहिए भी नहीं था, सबा ने कहा। एक चीज अभी भी बाकी है और वो है तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत जो मैं तुम्हें कभी दे नहीं सका लेकिन अब मैं तुमसे वादा करता हूं कि तुम्हारे लिए मेरी मोहब्बत में कभी कमी नहीं आएगी ये कहते हुए काशिफ ने सबा की पेशानी चूम ली। अब्बू, अम्मी ये कहते हुए फराह भी वहां आ गई। फराह को देख कर सबा ने अपने हाथ फैला दिए तो फराह भाग कर आ कर सबा के गले लग गई। तीनों एक दूसरे के गले लगे हुए थे। सबा को अपना परिवार मिल गया था और वो मोहब्बत भी जिससे वो हमेशा मरहूम रही थी………..

(समाप्त)

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