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Dream Girl

10 अक्टूबर 2021

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आज फिर से विशाल को वहीं सपना दिखाई दिया जिसमें वो एक लड़की के साथ खड़ा था और वो लड़की उसे बहुत प्यार से देख रही थी। विशाल ने उसका हाथ थाम रखा था। "विशाल प्लीज मेरा हाथ मत छोड़ना", उस लड़की ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि तभी झटका लगा और वो लड़की खाई में जा गिरी। विशाल एक दम से उठ गया। वो पसीने से भीगा हुआ था। वो उठा और पानी पीने लगा और फिर अपनी बालकनी पर आ गया और सामने फैले समुंद्र को निहारने लगा। विशाल को किसी भी चीज की कोई कमी नही थी। उसके पापा एक जाने माने बिजनेसमैन थे। देश और विदेश में उनकी कंपनियां और प्रॉपर्टी फैली हुई थी। विशाल को शुरू से ही लड़कियों की कोई कमी नही थी। देखने में भी वो बहुत स्मार्ट था। लेकिन जबसे उसने वो सपना देखना शुरू किया था तो बस उसे उस लड़की से चाहत हो गई थी।
विशाल अपनी दोस्त अवनी के साथ होटल में बैठा हुआ था। "तो पक्का तुम शाम को मेरी तस्वीरों की प्रदर्शनी में आ रहे हो?", अवनी ने पूछा। "बिल्कुल मैं पूरी कोशिश करूंगा आने की", विशाल ने कहा। "कोशिश नही, तुम्हें आना ही है", अवनी ने कहा। "ठीक है, मेरी तरफ से पक्का है", विशाल ने मुस्कुराते हुए कहा। "ठीक है तो मुझे अब चलना चाहिए, शाम को प्रदर्शनी है और मुझे बहुत काम है", अवनी ने कहा और वहां से चली गई। 
शाम को विशाल प्रदर्शनी में पहुंचा, वहां बहुत सारी तस्वीरें थी। कुछ तस्वीरें बहुत अच्छी थी और कुछ थोड़ी अजीब। "तो तुम आ ही गए", अवनी ने उसे मुस्कुराते हुए कहा। "यार एक बात बताओ कि इन अजीब तस्वीरों को कौन खरीदता होगा?", विशाल ने पूछा। "तुम्हे आर्ट के बारे में कुछ नहीं पता, ये मॉडर्न आर्ट है", अवनी ने कहा। "कुछ ज्यादा ही मॉडर्न है", विशाल ने मुंह बनाते हुए कहा और आगे बढ़ गया। तभी उसकी नजर एक तस्वीर पर पड़ी जो हुबहू उसी लड़की की नकल थी जो उसे सपने में दिखाई देती थी। विशाल उसे गौर से देखने लगा। "लगता है कि तुम्हें ये तस्वीर कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही है", अवनी ने मुस्कुराते हुए पूछा। "अवनी ये….ये लड़की वहीं है जो मुझे अपनी तस्वीरों में दिखाई देती है", विशाल ने थोड़ा सरप्राइज होते हुए कहा। "क्या? सच में?", अवनी को भी झटका सा लगा। "बिल्कुल ये वहीं है, मुझे बताओ ये तस्वीर किसने बनाई है?", विशाल ने अवनी से पूछा। "रुको मैं देखती हूं", अवनी ने कहा। उसने चेक किया तो वहां किसी का भी नाम नही पड़ा था। "मुझे अफसोस है विशाल कि इसे बनाने वाले की डिटेल्स यहां नही है, जहां तक मुझे पता है कि इनमें से कुछ तस्वीरें एक एजेंसी की तरफ से आई है, तुम चाहो तो मैं वहां का पता दे सकती हूं", अवनी ने कहा। "मुझे दे दो और हां ये तस्वीर मैं ले जा रहा हूं और इसकी और भी कॉपी बनवा कर मेरे पास भिजवा देना", ये कह कर विशाल वहां से चला गया। विशाल अपने बंगले पर आ गया और अपने कमरे में जा कर उस तस्वीर को अपने बिस्तर के पास वाली मेज़ पर रख दिया। उसके पास उस एजेंसी का पता आ गया था। "मैं सुबह ही वहां के लिए निकल जाऊंगा, अब इंतजार नही होता", विशाल ने सोचा और फिर सोने की कोशिश करने लगा। रात को विशाल को वहीं सपना फिर से दिखाई देने लगा। विशाल की नींद खुल गई। उसने वो तस्वीर उठा ली। "मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो और कहां रहती हो, लेकिन मैं तुम्हें दिल से चाहता हूं, कल मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपने पास ले आऊंगा", विशाल ने कहा।
अगले दिन सुबह ही विशाल उस एजेंसी पर चला गया। "मुझे तुम्हारी इस एजेंसी के मैनेजर से मिलना है", रिसेप्शन पर जा कर विशाल ने कहा। "सर आपको उनसे क्या काम है?", रिसेप्शनिस्ट ने पूछा तो विशाल ने उसे वो तस्वीर दिखाई। "मुझे ये जानना है कि इस तस्वीर को किसने बनाया है?", विशाल ने कहा। "दो मिनट रुकिए सर मैं मैनेजर सर को बुलाती हूं", उसने जवाब दिया। कुछ ही देर बाद मैनेजर वहां आ गया। "बोलिए क्या बात है?", मैनेजर ने आकर पूछा तो विशाल ने उससे भी वहीं बात पूछी। "सॉरी सर, हम उसमे आपकी कोई मदद नहीं कर सकते, हमारे भी कुछ रूल्स हैं", मैनेजर ने कहा तो विशाल को ताव आ गया। "भाड़ में गए तुम्हारे रूल्स, तुम जानते भी हो कि तुम किस से बात कर रहे हो", ये कहते हुए विशाल ने अपना विजिटिंग कार्ड मैनेजर को दिखाया तो मैनेजर ने तुरंत ही विशाल को पता दे दिया। विशाल वहां से निकल कर उस पते पर पहुंचा तो वहां एक छोटा सा घर था जिसमें बहुत सारी तस्वीरें बनी हुई थी। वहां पर उस लड़की की और भी तस्वीरें थी। विशाल उन तस्वीरों को देखने लगा। "लगता है कि तुम्हें ये तस्वीर बहुत पसंद आई है", एक बुजुर्ग से आदमी ने उससे कहा। "हां बहुत ज्यादा, मैं इस लड़की को ढूंढते हुए ही यहां आया हूं", विशाल ने कहा। "इस लड़की का नाम अंजली है, यहीं थोड़ी सी दूरी पर ही रहती है, बहुत गरीब है बेचारी, एक बार ये अपनी तस्वीर बनवाने के लिए यहां आई थी, लेकिन मुझे नही पता था कि ऐसे कोई इस तस्वीर की लड़की को ढूंढते हुए यहां आ जायेगा", उस पेंटर ने कहा। "आप नही समझेंगे इस बात को", विशाल ने कहा और तुरंत वहां के लिए निकल गया। उसका घर थोड़ी तंग गलियों में था तो विशाल ने अपनी गाड़ी बाहर ही छोड़ दी। विशाल का दिल जोरों से धड़क रहा था। तभी एक घर के दरवाजे से वो लड़की अंजली उसे निकलते हुए दिखाई पड़ी तो विशाल उसे देख कर थम सा गया। जिस लड़की की तलाश उसे इतने वक्त से थी वो उसके ठीक सामने थी। अंजली उसके पास से ऐसे ही निकल गई तो विशाल को होश सा आया। वो अंजली के पीछे पीछे चलने लगा। कुछ दूर जा कर अंजली रुक गई और विशाल के पास आई। "मैं आपको बहुत देर से देख रहीं हूं कि आप मेरे पीछे आ रहे हैं, आप मेरा पीछा क्यों कर रहे हैं?", अंजली ने कहा तो विशाल हड़बड़ा सा गया। "वो शायद आपको गलतफहमी हो गई है", विशाल ने कहा तो वो कुछ देर ऐसे ही विशाल को देखती रही और फिर वहां से चली गई। आगे जा कर वो एक सिटी बस में बैठ गई तो विशाल ने भी अपनी गाड़ी उठा ली और उस बस के पीछे पीछे चलने लगा। अंजली शायद किसी छोटे से दफ्तर में ऑपरेटर का काम करती थी। विशाल ने अवनी को फोन मिला कर उसे सारी बात बता दी। "बताओ उसे बता दूं सारी बात?", विशाल ने पूछा। "हां और जैसे कि वो तुम्हारी सारी बात मान जायेगी", अवनी ने कहा। "तो मैं क्या करूं", विशाल ने मायूस होते हुए कहा। "पहले उसका दिल जीतो और बिलकुल साधारण से बन कर रहना, एक दम से मत बता देना कि तुम बहुत अमीर हो, समझे", अवनी ने कहा। "बिल्कुल समझ गया", विशाल ने कहा और थोड़े अपने कपड़े गंदे से करके उस दफ्तर में घुस गया। "भाई साहब यहां कोई काम मिल सकता है क्या?", विशाल ने वहां बैठे एक आदमी से पूछा। "कोई काम नहीं है, जाओ यहां से", उस आदमी ने कहा। "मैं फ्री में भी काम करने को तैयार हूं", विशाल ने कहा। "अरे जाओ ना, हमें किसी की जरूरत नहीं है", उस आदमी ने कहा तो विशाल को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो बिना कुछ कहे वहां से निकलने लगा। तभी पीछे से उसे रुकने की आवाज आई। अंदर से एक दूसरा आदमी और निकल कर आया। "फ्री में कंप्यूटर पर भी काम कर लोगे?", उसने पूछा। "बिल्कुल मैं कर लूंगा", विशाल ने कहा। "ठीक है तो अंदर आ जाओ", उस आदमी ने कहा तो विशाल उसके पीछे पीछे दफ्तर में आ गया। "मैं यहां का मैनेजर हूं", उसने कहा। "ये है तुम्हारा कंप्यूटर और ये फाइल्स हैं, इन्हे टाइप करना शुरू कर दो", मैनेजर ने कहा तो विशाल ने उस फाइल के ढेर को देखा। "कोई दिक्कत तो नही है?", मैनेजर ने पूछा। "नहीं, कोई दिक्कत नही है", विशाल ने कहा। अंजली उसे बहुत देर से गौर से देख रही थी। "तुम तो वहीं हो ना?", अंजली ने पूछा। "हां मैं वहीं हूं दर दर नौकरी के लिए धक्के खा रहा था, अब जाकर ये नौकरी हाथ लगी है", उसने कहा। "अजीब बात है, इस कंजूस ने तुम्हें नौकरी पर कैसे रख लिया", अंजली ने कहा तो विशाल मुस्कुराने लगा। 
विशाल अब रोज ही वहां जाने लगा। वो जितना अंजली को देखता उतना ही उसके मन में अंजली के लिए प्यार बढ़ता था। बस वो सही वक्त का इंतजार कर रहा था। आज शाम मेरे साथ आईसक्रीम खाने चलोगी?, एक दिन विशाल ने हिम्मत करके पूछ लिया। तो अंजली बस चुप रही। शाम होते ही विशाल अंजली के साथ हो लिया। "वो देखो उस आईसक्रीम वाले की आईसक्रीम बहुत अच्छी होती है", अंजली ने धीरे से कहा तो विशाल ने वहीं से दो आईसक्रीम ले ली। "तो तुम्हारे घर पर कौन कौन है", विशाल ने अंजली से पूछा। "मैं और मेरे पापा, मेरी मम्मी को गुजरे हुए पांच साल हो गए", अंजली ने कहा। "ओह सॉरी", विशाल ने कहा। "वैसे तुम्हारे घर में कौन कौन है?", अंजली ने पूछा। "मैं और मेरे मम्मी पापा", विशाल ने कहा। "अच्छा अब मैं चलती हूं", अंजली ने थोड़ी फीकी सी मुस्कान के साथ कहा और फिर चली गई। विशाल के दिल में एक सुकून सा आ गया था। "कल मैं उससे अपने दिल की बात जरूर बता दूंगा, मुझसे अब इंतजार नही होता", विशाल ने सोचते हुए कहा। अगले दिन अंजली आई तो उसकी आंखें सूजी हुई थी। काम करते हुए उसके हाथ भी कांप रहे थे। "तुम ठीक तो हो ना?", विशाल ने उसे इस हालत में देख कर पूछा तो उसने बस हामी भरी। कुछ देर बाद वहां का मैनेजर आ गया। तुम विशाल तुम्हें अभी के अभी हटाया जा रहा है, उसने बोला तो विशाल भी चौंक गया। उधर अंजली की आंखों में भी पानी आ गया था। "क्या हुआ, मुझे ऐसे क्यों हटाया जा रहा है?", विशाल ने पूछा। "तुम्हें हटाना ही पड़ेगा, चलो अब निकलो यहां से", मैनेजर ने कहा तो विशाल वहां से जाने लगा। अंजली उसे रोहांसी सी हो कर देख रही थी। विशाल बाहर आ गया और शाम होने का इंतजार करने लगा। शाम को अंजली दफ्तर से बाहर निकली तो विशाल ने उसे आवाज दी। अंजली ने आवाज सुन कर भी अनसुना कर दिया और तेज तेज चल कर वहां से जाने लगी। "अंजली क्या हुआ है तुम्हें?", विशाल ने अंजली के पास आ कर उसका हाथ थाम लिया। "प्लीज मुझे जाने दीजिए, आप नही जानते कि वो लोग कितने खतरनाक हैं", अंजली ने कहा। "कौन लोग", विशाल ने ये कहा ही था कि उसके मुंह पर एक जोरदार मुक्का पड़ा और विशाल थोड़ा दूर जा गिरा, उसके मुंह से खून बहने लगा था। "तेरी हिम्मत कैसे हो गई कि तू मेरे माल पर नजर गड़ाए"। विशाल ने देखा तो एक तगड़ा सा आदमी और उसके दो साथी वहां खड़े थे। "प्लीज इन्हे छोड़ दीजिए, इन्होंने कुछ नहीं किया है", अंजली उस आदमी के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगी। "तेरे बाप को पीने को मैं पैसा देता हूं और तू गुलछर्रे इस लड़के के साथ उड़ा रही है, चल हट", उस आदमी ने हाथ मारा तो अंजली गिर कर बेहोश हो गई। वो आदमी विशाल की तरफ बढ़ने लगा। अंजली की हालत देख कर विशाल को गुस्सा आ गया था। वो उठने लगा तो उस आदमी के एक साथी ने एक और वार विशाल के सर पर किया और विशाल वहीं बेहोश हो गया। इन दोनों को उठा कर गाड़ी में डालो, उस तगड़े आदमी ने कहा। 
विशाल को जब होश आया था तो वो बिल्कुल खाई के किनारे पर खड़ा हुआ था और एक आदमी ने उस पर बंदूक तान रखी थी। "अब तो देख लिया ना कि मैं क्या कर सकता हूं", उस तगड़े आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा। "और तू, क्या कह रही थी तू कल कि तू इस लड़के को पसंद करती है, सबसे पहले मैं तुझे ही खत्म करूंगा", उस आदमी ने कहा और अंजली को खाई की तरफ घसीटता हुआ ले गया। विशाल को अपना सपना सच दिखने लगा था। "मैं ये सच नहीं होने दूंगा", विशाल ने खुद से कहा और उस बंदूक तानने वाले आदमी पर एक मुक्का जड़ा। वो तगड़ा आदमी अंजली को ले कर खाई की तरफ बढ़ा तो विशाल ने भाग कर अंजली का हाथ थाम लिया और उसके पेट में एक लात जड़ दी वो भी दूर जा पड़ा। अंजली उसके सीने से लग गई थी। "बहुत शौक है तुझे गुंडा बनने का?, मैं तुझे दिखाता हूं की मैं कौन हूं और मुझे कौन कौन से फाइट्स आती है", विशाल ने कहा और उसके पास आ कर उसकी अच्छे से धुनाई कर दी। "ये आदमी मुझ पर बहुत दिनों से शादी के लिए दबाव बना रहा था", अंजली ने कहा। "don't worry, अब ये सपने में भी इन सबके बारे में नही सोचेगा", विशाल ने मुस्कुराते हुए कहा। विशाल ने फोन कर ही दिया था तो एक कतार से गाड़ियां लगी चली आई। "आओ बैठो", विशाल ने गाड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा। "ये गाड़ी……..", अंजली ने कहा। "तुम जो ये सब देख रही हो, ये सब मेरा ही है, अब आ जाओ", विशाल ने कहा तो अंजली थोड़ा झिझकती हुई गाड़ी में बैठ गई। "तो फाइनली तुम्हे तुम्हारी सपने वाली लड़की मिल ही गई", अवनी ने मुस्कुराते हुए कहा। "हां", विशाल ने अंजली को देखते हुए कहा। "लेकिन आपने आने में बहुत देर लगा दी, मैं आपका दो साल से इंतजार कर रही हूं", अंजली ने कहा तो विशाल और अवनी उसकी बात सुन कर चौंक गए। "मतलब?" दोनों ने एक साथ पूछा। "मतलब ये है कि जो सपने आपको दिखाई देते थे वो ही मुझे भी दिखते थे और मुझे पता ही था कि एक ना एक दिन आप मुझे ढूंढ ही लेंगे", अंजली ने थोड़ा धीरे से मुस्कुराते हुए कहा। "तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?", विशाल ने पूछा। "क्योंकि मैं देखना चाहती थी की आप भी मुझे उतना ही प्यार करते हैं, जितना कि मैं आपसे करती हूं", अंजली ने कहा। "तो क्या तुम्हे तुम्हारा जवाब मिल गया?", विशाल ने अंजली को देखते हुए पूछा। "हां मिल गया", अंजली ने कहा। "और वो क्या है?", विशाल ने पूछा। "यहीं की आप मुझे खुद से भी ज्यादा प्यार करते हैं", अंजली ने मुस्कुराते हुए कहा तो विशाल ने मुस्कुरा कर उसे सीने से लगा लिया।

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