आसमान से नीचे आई, मेरे लिए तू एक परी
बातें तेरी लगतीं जैसे, मिश्री की हो कोई डली
तेरा दिल और मेरा दिल, अब दोनों साथ धड़कते हैं
बिन तेरे अब मैं हूँ जैसे, जल के बिना कोई मछली
मेरा जीवन बिन रंगों के, दिखता था बस श्वेत श्याम
तेरे आने से है आई, इसमें रंगों की होली
इतना वादा मेरा तुझसे, प्यार करूँगा मैं इतना
हर पल खुश तू ऐसे रहेगी, जैसे हो कोई पगली
इक इक पल तेरा इंतज़ार, करना अब मुश्किल होता है
तू ही बता तुझको लेने मैं कब आऊँ लेकर डोली
यदि मैं अपने ही शब्दों में कहूँ तो,
मैं वोह शीशा हूँ जिसके टुकड़े हुए आये दिन
फिर भी हर बार जिसने जुड़ने की हिम्मत की है
नहीं कोई और ज़िम्मेदार मेरी इस हालत का
खता है मेरी यारों मैंने मोहब्बत की है
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