प्रिय पाठकों अब तक आपने पढ़ा आयुष को ढूंढता हुआ आदित भी सनी के कमरे पर आ गया था। आदित को देखते ही आयुष ने घर जाने के बारे में कहा। आदित चुपचाप सनी के पास आकर बैठ गया था। कुछ पल दोनों में बातें हुईं। सनी से बात करने के बाद आदित चला गया था और सनी भी सो गया। हमेसा की तरह आज सुबह भी आयुष सनी के यहाँ आ गया था। आयुष हमेसा की तरह सनी के बिस्तर पर जाकर बैठ गया था। और अब आगे...
तम्बाकू खाने के बाद सनी बाथरूम की ओर चला गया। और आयुष वही बैठा सनी का इंतज़ार कर रहा था। कुछ देर बाद ही सनी फ्रेस होकर अपने कमरे में लौटा। भइया आप से कुछ कैहने आया हूँ क्या आप मेरी बात सुनेंगे आयुष ने पूछा। हाँ-हाँ क्यों नही बोलो तुम क्या बोलना चाहते हो सनी ने कहा। भइया मम्मी आपको बुलाई है वो आपसे मिलना चाहती है आप आएँगे न उनसे मिलने आयुष ने पूछा। जाने से पहले हो सके तो मैं जरूर तुम्हारी मम्मी से मिलना चाहूँगा सनी ने कहा। ठीक है भइया अभी मैं जाता हूँ मैं बाद में आपसे मिलूँगा कैहकर आयुष चला गया। आज उसने सनी से कुछ बिसेष बात नहीं किया था और न ही उसने सनी के साथ ज्यादा वक्त बिताया। आज वो कुछ उदास-उदास सा लग रहा था। शायद उसे सनी के गाँव लौटने का दुःख था। आयुष के चले जाने के बाद सनी गाँव लौटने का तैयारी करने लगा। सारी तैयारी कर लेने के बाद सनी लगभग दस बजे अपने घर से निकल गया। मन में एक तीव्र इक्षा जगाए की जाने से पहले एक बार आयुष से मिल लेता हूँ सनी के कदम आगे बढ़ते जा रहे थे। कुछ ही देर के बाद वो आयुष के घर के बाहर पहुँच गया। सनी ने धीरे से दरवाजा खटखटाया। आयुष ने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया। वो जानता था की सनी उससे मिलने आएगा या फिर वो सनी का ही इंतज़ार कर रहा था। आइए भइया अंदर आइए आयुष ने दरवाजा खोलते ही कहा। सनी आयुष के साथ-साथ अंदर चला गया। घर के अंदर एक छोटे से कमरे में सनी को आयुष लेकर गया। कमरे की हालत देखकर समझ में आ ही जाता था की वो लोग भी वहाँ के किरायेदार ही है। एक छोटे से कमरे में ही एक तरफ छोटा सा बिस्तर था। बिस्तर के ठीक बाए तरफ सिलेंडर और चूल्हा था। और वही ऊपर एक तख्ते पर टीवी रखा हुआ था। बिस्तर के ठीक सामने ही दीवार से सटकर एक सोफा लगा हुआ था। आइए भइया बैठिए मैं गुड़ और पानी लेकर आता हूँ सोफे की तरफ इशारा करते हुए आयुष ने कहा। सनी सोफे पर बैठ गया। सामने ही आयुष डब्बे से गुड़ निकाल रहा था। उसकी मम्मी अभी घर पर नहीं थी। शायद वो कही गई हुई थी या फिर डियूटी चली गई थी। सोफे पर बैठा सनी आयुष को ही देख रहा था। थोड़ी ही देर में आयुष गुड़ और पानी ले आया। ये लीजिए भइया गुड़ खा लीजिए आयुष ने सनी के हाथ पर गुड़ रखते हुए कहा। तुमने तो कहा था की तुम्हारी मम्मी मुझसे मिलना चाहती है तो कहाँ है तुम्हारी मम्मी दिखी नही अब तक गुड़ चबाते हुए सनी ने पूछा। होगी यही कही आ जाएगी आप थोड़ी देर इंतज़ार कीजिए आयुष ने कहा। तुम्हारी मम्मी का इंतज़ार करते हुए कही मुझें देर न हो जाए आयुष के हाथ से पानी का ग्लास लेते हुए सनी ने कहा। मम्मी इतना भी दूर नहीं गई होगी की आपको देर हो जाए आ जाएगी कुछ देर में सनी के बगल में सोफे पर बैठते हुए आयुष ने कहा। चलो कोई नहीं कुछ देर इंतज़ार ही सही सनी बुदबुदाया। आपने कुछ कहा आयुष ने पूछा। तुमने मुझें गुड़ क्यूँ खिलाया इससे क्या होता है सनी ने पूछा। वो लोग कैहते है की ऐसा करने से रिस्तो में मिठास बानी रैहती है मैं नहीं चाहता की आपके और मेरे बीच किसी प्रकार का कड़वाहट आए। तुम जानते हो गुड़ खिलाना बिहार का परंपरा है बिहार में लोग जाते हुए को गुड़,चीनी या दही खिलाते है जतरा के लिए। मुझें नहीं लगता की तुम दिल्ली का मूल निवासी हो सनी ने कहा। हाँ भइया मैं दिल्ली का नहीं हूँ लेकिन मैं बिहार का भी नहीं हूँ आयुष ने कहा। इतने में पायलों की छम्म-छम्म सुनाई देने लगी। शायद आयुष की मम्मी आ गई थी। लगता है मम्मी आ गई आयुष ने कहा। इतने में ही लाल साड़ी पहने एक औरत कमरे के अंदर आई। जब सनी ने उसे देखा तो देखता ही रैह गया। देखने से ही प्रतीत हो रहा था मानो चाँद जमी पर उतर आया हो। और लाल साड़ी पैहने हुए वो मानो किसी पड़ी जैसी लग रही थी। आयुष के सौतेले भाई आदित से उसका चेहरा काफी मिलता-जुलता था। देखने से ऐसा लग रहा था की वो आयुष की मम्मी न होकर आदित की मम्मी है। तो ये है तुम्हारा दोस्त कैहते हुए वो औरत बिस्तर पर जाकर बैठ गई। हाँ यही है मेरे सनी भइया आयुष ने कहा। उस औरत को देखकर सनी को कुछ-कुछ होने लगा था। अब सनी को यहाँ रुकना उचित नही लग रहा था। शायद वो कुछ पल और यहाँ रुक जाए तो वो उस औरत पर मोहित ही हो जाए। मुझें लगता है की मुझें देर हो जाएगा मुझे अब चलना चाहिए सनी ने कहा। अरे रुकिए तो कम से कम चाय तो पी लीजिए तो जाइएगा आयुष की मम्मी ने कहा। अरे नही-नही वैसे भी मैं खाना खा चुका हूँ और खाना खा लेने के बाद मैं चाय नहीं पीता। मुझें अब चलना चाहिए सोफे से उठते हुए सनी ने कहा। कुछ देर नही होगा थोड़ी देर में क्या बिगड़ जाएगा एक कप चाय की तो बात है आयुष की मम्मी ने कहा। आप बात नही समझ रही है मुझें जाना होगा सनी ने कहा। जाने से आपको किसने रोका है मैं जानती हूँ आपको चाय बहुत पसंद है मुझें आयुष ने बताया है आपके बारे में कम से कम एक कप चाय तो पीते जाइए मेरे लिए न सही आयुष के लिए आयुष की मम्मी ने कहा। न चाहते हुए भी सनी को कुछ पल और यहाँ रुकना पड़ा।
क्या होगा आगे क्या सनी को आयुष की मम्मी से प्यार हो जाएगा। क्या सनी सबकुछ भूल कर गाँव वापस लौट जाएगा। या फिर गाँव वापस न जाकर यही दिल्ली में रहेगा। क्या आयुष की मम्मी भी सनी को पसंद करेंगी। क्या आयुष सनी को अपना पापा बनाएगा या फिर दोनों दोस्त ही रहेंगे। जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। और जरूर करे लेखक को फॉलो।
कहानी जारी रहेगी..................